फ्लोरोसिस के लक्षण और उपाय

फ्लोराइड नॉलेज एंड एक्शन नेटवर्कफ्लोराइड की अधिक मात्रा वाला पानी पीने से या अधिक फ्लोराइड वाले जल से सिंचित खाद्यान्न खाने से फ्लोरोसिस होता है. भारत में पेयजल में इसकी सुरक्षित मात्रा है 1एमजी/प्रति लीटर. फ्लोरोसिस की प्रमुख किस्में हैं- डेंटल फ्लोरोसिस और स्केलेटल फ्लोरोसिस.

फ्लोरोसिस के लक्षण


दांतों में अत्यधिक पीलापन.
हाथ और पैर का आगे या पीछे की ओर मुड़ जाना.
पांव का बाहर या अंदर की ओर धनुषाकार हो जाना.
घुटनों के आसपास सूजन.
झुकने या बैठने में परेशानी.
कंधे, हाथ और पैर के जोडों में दर्द.
जवानी में ही बुढ़ापे का लक्षण नजर आना.
पेट भारी रहना.

फ्लोरोसिस में आप क्या कर सकते हैं


जांच
1. पानी की जांच
पानी के नमूने में जांच के लिए प्रयुक्त होने वाले तत्व को मिलायें. अगर इससे पानी का रंग पीला हो जाता है तो इसका मतलब है कि पानी में फ्लोराइड की भारी मात्रा है. अगर यह गुलाबी हो जाता है कि पानी में फ्लोराइड कम मात्रा में है.

2. खून और मूत्र की जांच
खून में फ्लोराइड की मौजूदगी से जाहिर होता है कि फ्लोराइड आपके शरीर में प्रवेश कर गया है. अगर यह मात्रा 0.05एमजी/1 है तो यह सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
3. हड्डियों का एक्सरे
एक्सरे की मदद से स्केलेटल फ्लोरोसिस का पता लगाया जा सकता है. हमें खास तौर पर लंबी हड्डियों का एक्सरे कराना चाहिये और वे हड्डियां जो देखने से ही प्रभावित लगती हैं.

आप क्या कर सकते हैं


फ्लोराइड मुक्त जल
1. फ्लोराइड हटाने वाले फिल्टर का इस्तेमाल करें- एक्टिवेटेड एल्युमिना का इस्तेमाल करने वाले फिल्टर से फ्लोराइड हटाया जा सकता है. आइएनआरइएम फाउंडेशन द्वारा तैयार फिल्टर में जीरो-बी होता है जो कुछ बैक्टेरिया को भी हटा सकता है.

2. बारिश का पानी जमा करें- सामान्यतः बारिश के पानी में बहुत कम या नहीं के बराबर फ्लोराइड पाया जाता है. हम बारिश में छत पर गिरने वाले पानी को एक टैंक में जमा कर सकते हैं.

3. फ्लोराइड मुक्त जल के दूसरे विकल्प- अगर घर में ऐसा कोई दूसरा पानी का विकल्प हो तो उसकी फ्लोराइड से संबंधित जांच करायें. इसके बाद आप समुचित फिल्टरेशन के बाद उसका इस्तेमाल पीने के लिए कर सकते हैं.

आप क्या कर सकते हैं


फ्लोरोसिस को रोकने के लिए अच्छे पोषक तत्व


अगर कैल्सियम, मैग्नीशियम और विटामिन-सी युक्त भोजन कम करें तो फ्लोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है. अतः निम्न भोजन पदार्थों का इस्तेमाल उपयोगी साबित हो सकता है:

डॉक्टर की सलाह से आप औषधीय सप्लीमेंट भी ले सकते हैं जिसमें कैल्सियम, मैंग्नीशियम, विटामिन डी3 और जिंक मौजूद हो औऱ विटामिन सी का सप्लीमेंट अलग से ले सकते हैं.

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