देश में पहली बार अमेरिकन चिकित्सकों की मदद से होंगे आपरेशन
‘रशियन इलेजारो टेक्नीक ‘से अस्थि बाधितों का इलाज होगा
प्रेमविजय पाटिल धार। धार जिले के उमरबन ब्लॉक के कालापानी गाँव में 200 परिवारों की बस्ती के 23 लोगों के हाथ-पैर फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से टेढ़े हो गए हैं। जिनमें बच्चे व युवा ज्यादा हैं। इन पीड़ितों के हाथ-पैर सीधे करने के लिये एक निजी डॉक्टर ने विदेशी डॉक्टरों की मदद से निशुल्क उपचार करने की पहल की है।
मनावर के निजी अस्पताल में 15 व्यक्ति अपने टेढ़े-मेढ़े हाथ-पैर का एक्सरे कराने एक साथ पहुँचे तो यह मामला सामने आया। इस सम्बन्ध में कालापानी क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता रेशम बाई ने बताया कि एक्सरे कराने आए सभी लोग उमरबन ब्लॉक के कालापानी गाँव के निवासी हैं। 200 परिवार की इस बस्ती के लोग 25 साल से अधिक समय से हैण्डपम्पों का पानी पीते आ रहे हैं।
पहले यहाँ सात हैण्डपम्प थे जिनमें फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से चिन्हित कर बाद में इन्हें एक-एक कर इनका उपयोग बन्द करा दिया था फिलहाल यहाँ दो हैण्डपम्प चालू है जिनसे पशुओं को पानी पिलाया जा रहा है। यहाँ के ग्रामवासी सालों पहले स्थानीय नदी का पानी पीते थे उस समय कोई तकलीफ़ नहीं थी लेकिन जब से हैण्डपम्पों का पानी पीना शुरू किया तब से लोगों के दाँत खराब होने लगे तथा हाथ-पैर टेढ़े हो गए।
यहाँ फिलहाल 16 लोग एक्सरे कराने आए हैं जबकि शेष 7 लोग बाद में आएँगे। प्रभावित 15 लोगों के नाम है- रानू बघेल 16, शान्ता सुल्तान 22, अनिता हटेला 16, जीवन हटेला 12, सुनिता हटेला 13, सायकु डावर 30, आशाराम डावर 42, बाबु भूरिया 45, लोकेश भूरिया 17, दिनेश गिनावा 30, मुकुट कटारे 25, कल्याण भाटिया 42, उर्मिला भूरिया 14, सेवन भूरिया 22, चन्दु गिनावा 17, अनिता डिंडोर 26।
पीएचई विभाग के तकनीकी सहयोग से गाँव से एक किमी दूर स्थित उदय सिंह पिता नहार सिंह के कुएँ से 1 लाख 85 हजार की पाइप लाइन डालकर जल वितरण शुरू किया गया जिसमें कुएँ के मालिक ने निशुल्क जल देने की सहमति जताई। इसमें ग्राम के प्रत्येक घर से 50 रु. प्रतिमाह शुल्क स्वेच्छा से एकत्रित किया जा रहा है। हालांकि कुएँ से अच्छे पानी का इन्तजाम तो हो गया लेकिन यह पानी कम पड़ रहा है।
इस मामले में सबसे अफसोसजनक पहलू यह है कि इतनी बड़ी संख्या में फ्लोरोसिस पीड़ित होने तथा हैण्डपम्पों का फ्लोराइडयुक्त पानी पीने के बावजूद गाँव वालों को अभी तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है, न ही पीएचई विभाग की ओर से स्वास्थ्य विभाग ने कोई प्रयास किये हैं।
निजी डॉक्टर की नैतिक पहल
इस सम्बन्ध में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बाकानेर के तत्कालीन अस्थि रोग विशेषज्ञ और वर्तमान में अस्पताल के संचालक डॉ. अरविन्द वर्मा ने बताया कि अपने कार्यकाल में उन्होंने उमरबन ब्लॉक के कालापानी गाँव का दौरा किया था तब हैण्डपम्प से फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से फ्लोरोसिस नामक बीमारी से पीड़ित इन लोगों के इलाज की कोशिश की थी। जिसमें प्रभावित अंगों को विशेष उपकरणों द्वारा सीधा किया जाता है इसे डी फार्मेंटिंग कहा जाता है। डॉ वर्मा ने इस विशेष कार्य हेतु रशिया, अमेरिका, जर्मनी, स्पेन आदि देशों से प्रशिक्षण भी लिया है। सम्भवतः इस विधा के वे मप्र में अकेले डॉक्टर हैं।
डॉ. वर्मा ने आगे बताया कि ‘रशियन इलेजारो टेक्नीक ‘ से अस्थि बाधितों को इलाज किया जाता है और विशेष उपकरणों की मदद से प्रभावित अंगों को सीधा किया जाता है। अमेरिका के डॉ. किरपेट व एक अन्य डॉ के सहयोग से डॉ. वर्मा प्रभावितों को निशुल्क इलाज करने हेतु प्रयत्नशील है।
उनके इस अनुकरणीय कार्य से अमेरिकी डॉक्टरों की मदद तथा सम्बन्धित कम्पनी से विशेष उपकरण आयात कर मरीजों का निशुल्क इलाज किया जाएगा। इसके लिये प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। डॉ. वर्मा ने दावा किया कि फ्लोरोसिस से पीड़ित किसी व्यक्ति का एक पैर छोटा भी हो गया हो तो उसे इलाज द्वारा दूसरे पैर के बराबर कर दिया जाएगा।
अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ अरविंद वर्मा के अनुसार फलोराइडयुक्त पानी का असर 0 से 8 वर्ष तक के बच्चों पर अधिक पड़ता है। मनावर-उमरबन क्षेत्र में भूमिगत जल में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है। इसे दूर करने के लिये डॉ. वर्मा ने दक्षिण भारत की ‘नलगोंडा तकनीक’ अपनाने की सलाह दी जिससे भूमिगत जल में फलोराइड कम हो जाता है। हालांकि यह प्रक्रिया जटिल और खर्चीली है।
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