प्यास

जिन्दगी प्यास को जिन्दा रख
पानी को मरने से बचाती है

प्यास की पगडण्डी
नदी-घाट तक जाती है
झरने के पास सुदूर पहाड़ तक

पनिमास (पनघट) हमारे जनपद की दिनचर्या हैं
बहुरियों की हँसी-खुशी से शीतल होता रहता है
जल

प्यास की रस्सी से
कुएँ का पानी हलक में गिरता है
लोटा-गगरी-कलश-बाल्टी-गिलास
प्यास की खिदमत में हैं दिन-रात

प्यास के बहुत अड़गड़ होने के भी हैं वृत्तान्त
यदि वह अकड़-अड़ जाती है तो
फूल जाती है जि़न्दगी की साँस

कण्ठ को पानी देना
मनुष्यता का सामुद्रिक विस्तार है
प्यास ने ही पानी को
घूँट होने का हुनर दिया
प्यास से ही पानी है तरल
और प्यास से ही उत्कर्ष पाया पानी का कवित्व

(माटी की काया में)
घूँट की गहराई
प्यास का रकबा तय करती है!

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