भूजल में आर्सेनिक देश में जल प्रदूषण की एक खतरनाक तस्वीर पेश कर रहा है। देश की राजधानी पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित देश के कुछ और प्रदेशों में भी आर्सेनिक पीने के पानी में आ चुका है।
उत्तर प्रदेश में यूनिसेफ की 2003-04 और 2009-10 की दो रिपोर्टों के आधार पर जानकारी आई है कि उत्तर प्रदेश के 20 जिले आर्सेनिक से प्रभावित हैं और 31 जिले ऐसे हैं जहां पर आर्सेनिक की संभावना व्यक्त की गई है।
यह जानकारी उत्तर प्रदेश के बारे में एक खतरनाक तस्वीर पेश कर रही है और उसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में आर्सेनिक की मात्रा 10 पी.पी.वी. की अनुमन्य मात्रा से 20 से 60 गुना ज्यादा तक पाई गई है। डब्ल्यू.एच.ओ. के अनुसार पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा का मानक 0.01 मिग्रा/ली. (10 पी.पी.बी.) है। लेकिन ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड अभी भी 50 पी.पी.बी. को मानक मानता हैं। मानक की अलग-अलग मात्रा होने से भी स्टैंडर्ड उपकरण सुरक्षित पेयजल के फिल्टर, तकनीक आदि का एक निश्चित स्टैंडर्ड बन पाने में दिक्कत हो रही है।
प्रस्तुत रिपोर्ट में पूर्वी उत्तर प्रदेश में आर्सेनिक की उपस्थिति को फोकस किया गया है साथ ही आर्सेनिक के सस्टेनेबिल सोल्यूशन पर कुछ संभाव्यता व्यक्त की गई है।
सबसे पहले जरूरी है कि आर्सेनिक के बारे में एक माइक्रोलेवल आर्सेनिक मैप बनाया जाए और हर जिले में प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाए जिससे आर्सेनिक का चिन्हीकरण हो सके ताकि आर्सेनिक युक्त पानी पी रही आबादी को जागरुक किया जा सके।
इस रिसर्च पेपर को पूरा पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें
/articles/pauuravai-utatara-paradaesa-maen-arasaenaika-kai-sathaitai