पूर्व चेतावनी प्रणाली

पूर्व  चेतावनी प्रणाली,Pc-साइंस डायरेक्ट
पूर्व चेतावनी प्रणाली,Pc-साइंस डायरेक्ट

पूर्व चेतावनी प्रणाली वह सिस्टम है जो कि समुदायों की व्यापारिक सम्प्पति, जायदाद आदि का संरक्षण ,रखरखाव और संचालन , पशु एवं वन्य जीवन आदि को बचाने के लिए जल्द से जल्द आवश्यक जानकारी और डेटा प्रदान करके और पूर्व चेतावनी के अन्तर्गत (आपदा के सन्दर्भ) में समय से  बचने के उपायों को अपनाकर मानव एवं पशु जीवन को बचाने में मदद करता है और सम्पत्ति के नुकसान को कई हद तक काम कर सकता है।

WMO (World Meteorological Organization) उन विश्वव्यापी प्रयासों का समन्वय करता है जो सटीक और समय पर मौसम के पूर्वानुमान के उत्पादन के लिए आवश्यक हैं।

सिर्फ इतना ही नहीं,बल्कि भूमि पर सुरक्षित परिवहन के लिए, समुद्र और हवा में ताजे जल संसाधनों के प्रबंधन ,खेल, साहसिक और समुद्र तट पर्यटन  ,कृषि, बुनियादी ढाँचे के निर्माण और ऊर्जा प्रबंधन ,आसन्न प्राकृतिक खतरों जैसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात, बाढ़ आदि का सामना, जीवन रक्षक समय पर कार्यवाही करने के लिए एवं उन सभी छेत्रों में जिनमें मौसम का पूर्वानुमान और जानकारी उपयोगकर्ताओं के लिए मूल्यवान है।

प्राकृतिक आपदाओं में अब लोगों की मौत कम हो रही है, इसका श्रेय अर्ली वार्निंग सिस्टमों को जाता है जिसका सबूत हमें अर्ली वार्निंग सिस्टम के इतिहास में मिला है जब मई की शुरुआत में  मोचा चक्रवात ने बंगाल की खाड़ी में सिर उठाया था, तो वर्ल्ड मेटेओरलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन यानी डब्ल्यूएमओ ने "बहुत खतरनाक" आंधी की चेतावनी दी थी  जिसका दुनिया के सबसे गरीब लाखों लोगों पर "भारी असर" हो सकता था। तब बांग्लादेश और म्यांमार के अधिकारियों और राहत एजेंसियों ने तटवर्ती इलाकों से 4,00,000 लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया था जिसमे  बड़ी संख्या उन रोहिंग्या लोगों की थी जो सेना की कार्यवाही के बाद बेघर हो गये थे और तटवर्ती इलाकों में शिविरों में रह रहे थे।

पिछले पांच दशकों में आपदा के कारण जन-जीवन का नुकसान कम हुआ है वहीं आर्थिक नुकसान बहुत बढ़ गया है।क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग से मौसम में अनिश्चित बदलाव होते रहते हैं। 2010-19 के दशक में चरम मौसम के कारण हुआ नुकसान, 4.3 लाख करोड़ डॉलर का करीब एक तिहाई था जिसमे सबसे ज्यादा तूफानों से हुए नुकसान की हिस्सेदारी थी। इसके विपरीत प्रति दशक दर्ज की गई मौतों की संख्या में काफी गिरावट पायी गयी  है। 1970-79 के दशक में जहां 5,56,000 लोगों की मौत हुई थी वहीं पिछले दशक में यह संख्या घट कर 1,84,000 थी। जिसमे तूफान से होने वाली मौतों की हिस्सेदारी बहुत कम थी।

ग्लोबल कमीशन ऑन एडेप्टेशन के मुताबिक चरम मौसम की पहले से जानकारी देने वाले यह सिस्टम लोगों की जान बचाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, आयोग का कहना है कि सिर्फ 24 घंटे की नोटिस पर भी अगर चेतावनी मिल जाए तो नुकसान को 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है। डब्ल्यूएमओ (WMO) का कहना है कि इस तरह के सिस्टम लोगों की जान बचाते हैं और इन पर जितने पैसे का निवेश होता है उसकी तुलना में फायदा 10 गुने से भी ज्यादा होता है। हालांकि अभी तक केवल आधे देश ही इन्हें लगा पाए हैं। खासतौर से द्वीपीय, अविकसित देशों और अफ्रीका में इनकी संख्या काफी कम है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पृथ्वी पर मौजूद हर देश एवं राज्य के लिए 2027 तक अर्ली वार्निंग सिस्टम की सुविधा मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, डेवलपमेंट बैंकों, सरकारों और राष्ट्रीय मौसम सेवाओं के जरिए एक पहल की जा चुकी है जिस के लिए 3 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की जरूरत होगी।

संयुक्त राष्ट्र (UN  )के डिजास्टर रिस्क रिडक्शन विभाग की प्रमुख 'मामी मिजुतोरी' का कहना है कि अर्ली वार्निंग सिस्टमों ने पूरी दुनिया में मौत की संख्या को कम करने में सफलता पायी है तो वहीं दूसरी तरफ सफलता  के साथ-साथ आपदा से होने वाले नुकसान में भी बढ़ोतरी हुई है, यह एक दुर्लभ सफलता है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के चलते खतरा बढ़ रहा है।'मामी मिजुतोरी' के अनुसार अगर आपदाओं के प्रबंधन के लिए ठोस कदम नहीं उठाये गए तो इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

2015 के बाद से  हर साल आपदाओं की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या, उनके स्वास्थ्य, घर और आमदनी पर असर घट रहा है।हालांकि इसके साथ ही आपदाओं के कारण होने वाला आर्थिक नुकसान अब भी काफी ज्यादा है। 2015 से 2021 के बीच औसतन हर साल 330 अरब डॉलर का नुकसान आपदाओं के चलते हुआ था,यह सभी देशों की जीडीपी का करीब एक फीसदी था।

उदाहरण के लिए हाल ही में आये तूफ़ान जिसने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के शिविरों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के बांस और प्लास्टिक के कमजोर 8000 मकानों को तहस नहस कर दिया जो कि वहां मौजूद झुग्गियों का करीब 20 फीसदी हिस्सा है। बांग्लादेश के ऑक्सफैम इंटरनेशनल के प्रमुख आशीष दामले ने कहा कि यह बांग्लादेश के लिए एक चेतावनी है,  जिसने ध्यान दिलाया है कि हमें भविष्य के लिए तैयार रहना होगा ।

राहत एजेंसियों की दलील है कि बजट की कमी देखते हुए आर्थिक रूप से यही बेहतर होगा कि खतरे से जूझ रहे समुदायों के लिए खतरा घटाने पर खर्च किया जाए बजाय इसके कि आपदा के बाद उन्हें मदद दी जाए। अगर एक डॉलर की रकम खतरा घटाने और बचाव पर खर्च की जाती है तो यह आपदा के बाद 15 डॉलर का खर्च बचाएगी। यूएनडीआरआर के आंकड़े दिखाते हैं कि 2011-2020 के बीच आपदा से जुड़ी विदेशी मदद में केवल 5 फीसदी रकम ही तैयारियों और बचाव पर खर्च की गई थी।

एक दूसरा समाधान है कि आपदाओं से उभरने के लिए समय रहते बेहतर संसाधनों का निर्माण करना ताकि भविष्य की आपदाओं से निपटने के लिए कमजोर समुदायों के पास बेहतर संसाधन हो। इस बीच जमीन स्तर पर मुश्किलों से जूझ रहे समुदायों तक मदद पहुंचाने के लिए कुछ नये रास्ते तलाशे जा रहे हैं।

बांग्लादेश के डिजास्टर फोरम के संस्थापक और सचिव गौहर नयीम वाहरा कहते हैं, कि "माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूसंस का ग्रामीण इलाकों में तूफान के चपेट में आए लोगों को मकान बनाने के लिए धन देने में इस्तेमाल किया जा सकता है इससे राहत शिविरों का बोझ घटेगा।

प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली सार्वजनिक अधिकारियों और प्रशासकों को उनकी योजना बनाने, लंबे समय में धन की बचत करने और अर्थव्यवस्थाओं की रक्षा करने में सहायता करेगी। विविध साझेदारियों में काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर के संवेदनशील क्षेत्रों में कई अभिनव प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के पहल की शुरुआत की है। हलांकि पूर्व चेतावनी प्रणाली अभी तक भूकम्पों के पूर्वानुमान में सफलता प्राप्त करने में ज्यादा सफल नहीं साबित हुई है । अगर हम उत्तराखंड की बात करें तो यह एक भूकम्प प्रोन छेत्र माना जाता है। इसी मुश्किल के निवारण के लिए उत्तराखंड की राज्य सरकार ने एक भूकंप अलर्ट ऐप लॉन्च किया है जिसका नाम ' उत्तराखंड भूकंप अलर्ट' है । इस ऐप को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विकसित किया है।
भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणालियां दुनिया भर के कई देशों में काम कर रही हैं, जिनमें मेक्सिको, जापान, तुर्की, रोमानिया, चीन, इटली और ताइवान जैसे कई देश  शामिल हैं। ये सभी प्रणालियां तेजी से भूकंप के आने का पता लगाती हैं और जाल भू-कंपन की चेतावनी प्रदान करने के लिए उनके विकास को ट्रैक करती हैं।पहले ज्ञात भूकंप डिटेक्टर का आविष्कार 132 ईस्वी में चीनी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ चांग हेंग ने किया था। उन्होंने इसे "भूकंप का मौसम" कहा।

भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली ईडब्ल्यूएस (Economically weaker section) जनता को संभावित विनाशकारी भूकंप के खतरों के बारे में समय पर सूचना प्रसारित करने में मदद करती है। 
भूकंप की प्रारंभिक चेतावनी का पता लगाना बड़े भूकंपों की तुलना में छोटे भूकंपों के लिए अधिक प्रभावी होता है।

संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के एक नए अध्ययन के अनुसार सीस्मोलॉजिस्टों ने कैलिफोर्निया के सैन एंड्रियास फॉल्ट के साथ-साथ भू-कंपन का मॉडल तैयार किया, जहां 30 वर्षों के भीतर 6.5 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आने का अनुमान लगाया गया है।उन्होंने पाया कि निवासियों के लिए चेतावनी का समय बढ़ाया जा सकता है यदि वे छोटी घटनाओं के लिए कई "झूठे अलार्म" को सहन करने को तैयार हों।इसका मतलब यह होगा कि भूकंप के जीवनकाल में इसकी पूर्ण तीव्रता निर्धारित होने से पहले ही अलर्ट जारी कर दिया जाएगा ताकि उपरिकेंद्र से दूर रहने वाले लोग जो कभी-कभी जमीन हिलने की चेतावनी को महसूस नहीं कर पाते उनको आने वाली समस्या के लिए सावधान कर सके।  

अधिकांश भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ, जैसे कि जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) और संयुक्त राज्य अमेरिका की शेकअलर्ट प्रणालियाँ, भूकंप 1, 2 के स्थान और परिमाण को निर्धारित करने के लिए वास्तविक समय के भूकंपीय डेटा का उपयोग करती हैं । यह जानकारी तब ग्राउंड मोशन प्रेडिक्शन इक्वेशन 3 (जीएमपीई) के लिए इनपुट होती है, ताकि ब्रेक से दूरी के एक फंक्शन के रूप में अपेक्षित ग्राउंड मोशन की गणना की जा सके। जिन क्षेत्रों के लिए अपेक्षित जमीनी गति कुछ महत्वपूर्ण सीमा से अधिक है, उन्हें तब सतर्क किया जाता है। उदाहरण के लिए, जापान में, यदि किसी उपप्रान्त के भीतर अपेक्षित जमीनी गति JMA तीव्रता 4 (संशोधित मर्काली तीव्रता VI-VII के लगभग समतुल्य) से अधिक है, तो पूरे उपप्रान्त को सतर्क कर दिया जाता है।

जैसा कि दुनिया भर में बढ़ता शहरीकरण हो रहा है, भूकंप के खतरे भूमि या सबडक्शन जोन ऑफशोर पर प्रमुख सक्रिय दोषों के पास शहरी क्षेत्रों के लिए जीवन और संपत्तियों के लिए मजबूत खतरे पैदा करते हैं। भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली भूकंप के खतरों को कम करने के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकती है। अगर शहर भूकंप के स्रोतों के संबंध में अनुकूल रूप से स्थित हैं और उनके नागरिकों को भूकंप चेतावनी संदेशों की प्रतिक्रिया के लिए ठीक से प्रशिक्षित किया जाये तो लोगैसी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हो सकेंगे।

कम से कम तीन देशों में भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणालियां कार्यरत हैं: (1) जापान, (2) मेक्सिको, और (3) ताईवान विनाशकारी एस- और सतह तरंगें पी-तरंगों की लगभग आधी गति से यात्रा करती हैं, और भूकंपीय तरंगें टेलीफोन या रेडियो द्वारा प्रेषित संकेतों की तुलना में बहुत धीमी गति से यात्रा करती हैं। ये प्रणालियाँ बड़े भूकंपों के लिए कुछ सेकंड से लेकर कई दसियों सेकंड की चेतावनी प्रदान कर सकती हैं। रीयल-टाइम भूकंप विज्ञान पर हाल जोरों के साथ, कई क्षेत्रीय और स्थानीय भूकंपीय नेटवर्क के ऑपरेटर अब अपने सिस्टम को अपग्रेड कर रहे हैं ताकि भूकंप नोटिस जारी करने में लगने वाले समय को कई मिनट से घटाकर एक मिनट से कम किया जा सके, इस प्रकार संभावित रूप से भूकंप की पूर्व चेतावनी को एक सफल तकनीकी संभावना बनाया जा सकता है।

वर्तमान में, मेक्सिको सिटी में सिस्मिक अलर्ट सिस्टम (एसएएस) जनता को सीधे भूकंप की चेतावनी जारी करने वाली एकमात्र प्रणाली है।

एक नये अध्ययन के अनुसार भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली की चुनौतियों की जांच कर रहा है जैसे- विलंबता और सिस्टम को कैसे और बेहतर बनाया जा सके।

IIT रुड़की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने भारत की पहली क्षेत्रीय भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली का नई दिल्ली में मंच पर प्रदर्शन किया जिसमे पीएम मोदी और मंत्री शाह सहित सभी राजनीतिक नेताओं ने टीम के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और सिस्टम के लाभों और क्षमताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।

अगर उत्तराखंड की बात की जाये तो UEEWS आधिकारिक बयान के अनुसार यहाँ 170 भूकंपीय सेंसर स्थापित किये गए हैं, जबकि IIT रुड़की में EEWS लैब में स्थित केंद्रीय सर्वर लगातार आने वाले डेटा स्ट्रीम की निगरानी करता है। इसके बाद यह आगामी भूकंप की घटनाओं का पता लगा कर मध्यम से उच्च तीव्रता के भूकंप के मामले में यह आम जनता को चेतावनी देता है। चेतावनियों का प्रसार करने के लिए वर्तमान में दो तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। पहला भूदेव नाम का मोबाइल एप्लिकेशन है और दूसरा सायरन यूनिट है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने कहा, 'यूईईडब्ल्यूएस उस राज्य के लिए एक उपलब्धि है जहां भूकंप एक सामान्य घटना है। भूकंप के दौरान जमीन के हिलने की पूर्व चेतावनी से भूकंप की शुरुआत का तेजी से पता चल जाएगा और उसके स्तर का अनुमान लगाया जा सकेगा। भूकंप आने से पहले चेतावनी जारी कर कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।
प्रोफेसर कमल ने कहा कि दो मध्यम भूकंप, जो नवंबर 2022 और जनवरी 2023 में आए थे, नेपाल क्षेत्र में यंत्रीकृत क्षेत्र से लगभग 100 किलोमीटर दूर आए थे, जिसके पहले जनता को सफल चेतावनी जारी की गयी और कई लोगों तथा सम्पत्तियों का नुकसान होने से बचाया जा सका। 

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