4 जनवरी 2018
पर्यावरणीय न्याय
दुनिया का एक बड़ा हिस्सा भले ही वह आज आर्थिक तौर पर कितना ही विकसित क्यों न हो, गम्भीर पर्यावरणीय संकट से ग्रस्त है। इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, खनन और औद्योगिक विकास जैसी परियोजनाओं ने समुदायों के पड़ोस में रहने वालों की आर्थिक, सामाजिक और भौतिक सेहत को बिगाड़कर रख दिया है। पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और शासन के लिये बनाए गए मजबूत राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कानून व संस्थान कागजों में ही रह गए। सरकारों और निगमों द्वारा कानून का पालन नहीं किये जाने का सामुदायिक आजीविका, स्वास्थ्य, भूमि तक पहुँच और जीवनस्तर पर गहरा प्रभाव पड़ा।
सीपीआर-नमाती का प्रैक्टिस गाइड फॉर एनवायरनमेंट जस्टिस पैरालीगल्स इस पर्यावरणीय प्रवर्तन के अन्तर को पाटने की दिशा में एक कदम है। यह गाइड सामुदायिक समुदायों, कार्यकर्ताओं और नागरिक समूहों को एक कार्यप्रणाली उपलब्ध कराता है ताकि वे समस्याओं की तरफ से अपना ध्यान हटाकर पर्यावरण सम्बन्धी संस्थानों की मदद से शिकायतों का निबटारा कर सकें। यह गाइड सीपीआर-नमाती एनवायरनमेंट जस्टिस प्रोग्राम के पैरालीगल्स के चार सालों के काम पर आधारित है। यह प्रभावित समुदायों को भारत के करीब 150 गैर-अनुपालन मामलों की शिकायत दर्ज कराने और इनका समाधान करने में मदद करेगा।
हम उम्मीद करते हैं कि यह गाइड स्थानीय संगठनों और सामुदायिक समूहों को पर्यावरणीय संघर्षों को सम्बोधित करने और प्रभावित लोगों के लिये समाधान तलाशने में मदद करेगा।
ईजे पैरालीगल के बारे में अधिक जानकारी के लिये देखें-
Groundtruthing methodology note
Groundtruthing of Environmental Violations in Sarguja
Community-Led Ground Truthing of Environmental Violations in Mundra, Kutch
Handbook on Legal and Administrative Remedies for Community Level Environment Justice Practitioners.
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