सारांश:
शहरी परिवहन किसी भी शहर के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ऊर्जा की खपत और वायु प्रदूषक उत्सर्जनों का प्रमुख क्षेत्र भी है। पर्यावरण ऊर्जा खपत पर परिवहन के प्रभाव को कम करने की नीतियों के प्रभाव की समीक्षा के लिये इस शोध-पत्र में दिल्ली में यात्री परिवहन व्यवस्था को एक समस्या के तौर पर लिया गया है और आधार वर्ष 2006-2020 तक को परिदृश्य आकलन के लिये एक गतिशील मॉडल प्रणाली का विकास किया गया है। यह पाया गया है कि कुछ नीतियों के कार्यान्वयन से 2020 में Co2, CH4, CO, NMVOC एवं SO2 के उत्सर्जन में क्रमशः 7-14, 7-15, 4-9, 12-23 एवं 11-23 प्रतिशत कमी और ऊर्जा के उपयोग में महत्त्वपूर्ण कमी आएगी। बस, कार एवं दुपहिया वाहनों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि उनके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके। लेकिन एमआरटीएस बढ़ती हुई ऊर्जा मांग और उससे संबंधित वायु प्रदूषण को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण साधन हो सकता है। रेल नेटवर्क का तेजी से विस्तार, ईंधन उपयोग में कमी, सड़क नेटवर्क के विकास में कमी करना और ईंधन पर अतिरिक्त कर लगाना कुछ ऐसी नीतियाँ हैं जो पर्यावरण के अनुकूल एक शहरी परिवहन व्यवस्था को बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
Abstract
Urban transport plays an important role in city development and is also leading sector in energy consumption and air pollutant emissions to examine the effectiveness of policies in reducing transport influences on environmental and energy use, this paper takes passenger transport system in Delhi as a case and develops a system dynamics model for scenario analysis from the base year 2006 to 2020. it is found that the implementation of certain policies will lead to a significant reduction of energy use and emissions of Co2, CH4, CO, NMVOC and SO2 by 7&-4, 7-15, 4-9, 12-23, 12-24 and 11-23% respectively, in 2020. Bus, car, and two-wheelar need particular attention to mitigate their environmental impacts while MRTS would be an effective solution to restrict the booming energy demand and associated air pollutant emissions. The implications for policy are that accelerating the development of railway network, together with decreasing the fuel intensity, slowing down road network extension and imposing fuel taxes will be effective instruments to build an environmentally friendly urban transport system.
प्रस्तावना
विकासशील देशों में बढ़ते शहरीकरण एवं लोगों की आय में वृद्धि होने से मोटर गाड़ियों की आवश्यकता में बहुत तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और सड़क सुविधाओं की आपूर्ति इसकी मांग से कम है। इसके चलते निजी वाहनों की संख्या, वायु प्रदूषण, भीड़, लंबी यात्रा में समय आदि में तेजी से वृद्धि हुई है। शहरी परिवहन के अस्थाई विकास से विशेष रूप से दिल्ली बहुत प्रभावित है। दिल्ली भारत की राजधानी है, इसकी अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है एवं दुनिया में चौथा सबसे प्रदूषित शहर है। दिल्ली में मोटर वाहनों की संख्या 1995 में 24 करोड़ थी, जो बढ़कर 2008 में 4.7 करोड़ तक पहुँच गई है। यह वृद्धि दोगुना के बराबर है लेकिन अर्थव्यवस्था में इस दौरान मात्र 1.3 गुना की वृद्धि हुई है। सड़क आधारित परिवहन की संख्या में वृद्धि होने से स्थानीय एवं वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण की समस्या पैदा हो गई। 1990 के दशक में दिल्ली मोटर वाहन का वायु प्रदूषण में 64 प्रतिशत हिस्सा था और भविष्य में इससे भी ज्यादा वृद्धि होगी। विश्व भर में ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, शहरी परिवहन एवं वाहनों से उत्सर्जन के प्रबंधन की आवश्यकता बढ़ी है। शहरी परिवहन और वाहनों के प्रदूषण की उत्सर्जन संबंधी प्रभावी कार्यनीतियाँ और नीतियाँ बनाना काफी महत्त्वपूर्ण और आवश्यक है।
परिवहन नीतियों और पर्यावरण के प्रभावों, मोटरीकरण के संकट को संभालने के लिये विभिन्न प्रकार के शोध कार्य किए गए हैं। विश्व बैंक (1997) ने तीन संस्थागत और तकनीकी क्रियाओं का सारांश तैयार किया है, जो इस प्रकार है - ईंधन की कीमत में बढ़ोत्तरी शहरी भीड़-भाड़ कम करना और परिवहन ऊर्जा के उपयोग तथा उत्सर्जन में कमी करने के लिये इंजन प्रौद्योगिकी में सुधार परिवहन अनुसंधान समाज और परिवहन नीति अध्ययन के 2004 में वर्तमान परिवहन नीति पर अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में ईंधन मूल्य का निर्धारण, शहरी भीड़ में कमी एवं ईंधन में तकनीकी सुधार पर बल दिया गया। विशिष्ट नीति को यूरोपीय स्तर पर इंटरमॉडल परिवहन के पक्ष में एक मॉडल के उत्पादन बदलाव को मापने की क्षमता का आकलन किया। शहरी परिवहन नीतियों और उनके प्रभावों की एक श्रृंखला का पता लगाया गया और आधुनिक परिवहन रणनीति के डिजाइन के लिये कार्यवाही प्रस्तुत की गई। परिवहन नीति की स्थिरता के मूल्यांकन के लिये एक मॉडल के ढाँचे के स्थापना भी की गईं। पिछले दशकों में दिल्ली के शहरी परिवहन के मुद्दे पर शोध किया गया है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन 2006 में उत्सर्जन मॉडल का प्रयोग करके कुछ रणनीतियाँ तय की गईं ताकि दिल्ली फिर से परिवहन और पूर्वानुमानित ग्रीन हाउस (जीएचपी) उत्सर्जन गैस में एक जीवन चक्र का उपयोग कर सके। दिल्ली एवं मुंबई के वाहनों की संख्या में वृद्धि, परिवहन ऊर्जा का उपयोग एवं CO2 के उत्सर्जन के संबंध में लंबी वैकल्पिक ऊर्जा का मॉडल अपनाया गया।
वस्तुतः अधिकतर, अध्ययन, यात्री परिवहन प्रणाली के बजाय खपत एवं पर्यावरण के प्रभाव पर केंद्रित हैं। इसके अलावा, जब परिवहन नीतियों का मूल्यांकन किया जाता है, पिछला अध्ययन अधिकतर सैद्धांतिक सार एवं गुणात्मक विश्लेषण पर निर्भर रहता है जबकि पर्यावरणीय अनुकूल परिवहन प्रणाली के अंतर्गत निर्धारकों का जो मॉडल विभाजन पर प्रभाव डालते हैं, उनके संबंध में और नीति निहितार्थ के क्रमबद्ध मूल्यांकन के लिये शायद ही कभी वर्णन किया गया।
सामग्री एवं विधि
आंकड़े: दिल्ली में शहरी यात्री यात्रा के लिये विभिन्न प्रणालियों का उपयोग करते हैं। अन्य भारतीय शहरों में मोटर चालित यात्रा सर्वाधिक प्रयुक्त होती है। 1998 में बिना मोटर गाड़ी एवं साइकिल की यात्रा करने वाले कुल यात्रा करने वालों का 20 प्रतिशत था। लेकिन ये रिपोर्ट शहरी परिवहन के पर्यावरण के प्रभावों को कम करने की नीति पर केंद्रित है। सड़क परिवहन व्यवस्था में दुपहिया, तीन पहिया, गाड़ी टैक्सी, बस शामिल है और रेल प्रणाली आधारित मेट्रो तीव्र परिवहन सेवा शामिल (एम.आर.टी.एस.) है जो दिल्ली में 2002 से शुरू हुई है। ये आंकड़े टेरी ऊर्जा निर्देशिका और वार्षिक (ऊर्जा और संसाधन संस्थान, 2007) के स्रोतों, दिल्ली सांख्यिकी (दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार, 2008) से संकलित हुए हैं। योजना आयोग की रिपोर्ट, वैश्विक जलवायु परिवर्तन (2001) दास और पारिख (2004), विश्व बैंक (1997) आदि के रूप में और विभिन्न शोध-पत्रों एवं प्रकाशनों से संकलित है।
छह मोटर युक्त वाहन पद्धति की विशेषता तथा ईंधन के प्रकार से उसके विभाजन को सारणी-1 में दर्शाया गया है। दिल्ली में कुल आवागमन करने वालों की संख्या 2001 में 97 करोड़ प्रति किमी. थी, जोकि 113 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि से बढ़कर 2006 में 166 अरब प्रति किमी हो गई। शहरी परिवहन में बस दुपहिाय वाहन कार एवं एमआरटीएस मुख्य रूप से शामिल हैं। इनकी हिस्सेदारी 2006 में क्रमशः 52, 19, 18 एवं 9 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। तीन पहिया वाहन एवं टैक्सी की वृद्धि दर दो पहिया वाहन एवं कार की तुलना में कम हुई है। दुपहिया वाहन, कार एवं एमआरटीएस में क्रमशः 15% , 12% एवं 12% की वृद्धि हुई लेकिन बस टैक्सी एवं तीन पहिया वाहन में क्रमशः 7%, 7% एवं 5% की वृद्धि हुई।
प्रविधि: चित्र (1) में एक मॉडल के प्रवाह के आरेख को दर्शाया गया है। प्रत्येक तीर एक दूसरे के प्रभाव को दर्शाता है, आयत, डामण्ड, और वृत क्रमशः स्तर, स्थिर एवं सहायक को दर्शाते हैं। पॉवरसिम मॉडलिंग को दृश्य सॉफ्टवेयर के रूप में प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः शहरी परिवहन में ऊर्जा की खपत एवं वायु प्रदूषण के उत्सर्जन में कमी करना मुख्य लक्ष्य है। इस लक्ष्य को साकार करने के लिये वाहनों की कार्य-क्षमता, यातायात नेटवर्क का विस्तार, रेल स्टेशन की वृद्धि एवं एम आर टी एस की यात्री क्षमता का विस्तार ईंधन पर कर ईंधन की प्रगाढ़ता में कमी ये छह मॉडल (एम.एस.) यात्री गतिशीलता के लिये करते हैं। पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली की हिस्सेदारी को बढ़ाने से शहरी परिवहन प्रणाली की योजना के लक्ष्यों में कुछ पर्यावरणीय लाभ उत्पन्न होने की उम्मीद है। वर्ष 2001 से 2006 तक के एकत्रित आंकड़ों को आधार मानकर भविष्य में मोटर वाहन एवं एमएस का पता किया जाता है ताकि भविष्य में ऊर्जा की क्षमता एवं वायु प्रदूषक उत्सर्जन का मूल्यांकन किया जा सके। सर्वप्रथम एक लोच आधारित प्रतिगमन विधि (वी.एन.) के प्रक्षेपण के लिये प्रयोग किया जाता है। सार्वजनिक एवं निजी वाहनों के अलग समीकरण का प्रयोग करके वाहनों के निर्धारकों का आकलन करते हैं (अन्तरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी 2001, विश्व सतत 2004 विकास के लिये व्यापार परिषद)।
निजी वाहनों के लिये
VNiJ/Capita=ai+bi (income per capita)
सार्वजनिक वाहनों के लिये
CNi,t=ai+bi GD Pt - (1)
जहाँ i एवं t क्रमशः साधन एवं वर्ष को दर्शाता है। माना गया है कि प्रति व्यक्ति निजी वाहन दुपहिया एवं कार पूरी तरह से प्रति व्यक्ति आय से संबंधित हैं। जबकि सार्वजनिक परिवहन के साधन जैसे तिपहिया, टैक्सी और बस (जी.डी.पी.) में बदलाव से अन्तरसंबंधित हैं। परिणाम सारणी 2 में दर्शाए गए हैं।
सारणी 2- प्रक्षिप्त मोटर VNs हेतु प्राचल | |||
| ए | बी | आर2 |
दुपहिया वाहन | 0.077 (5.14) | 3.0 x10-6 (5.80) | 0.89 |
तिपहिया वाहन | -19,470.7 (-2.16) | 1.6 x10-7 (8.33) | 0.94 |
कार | 0.017 (1.95) | 2.1 x10-6 (7.19) | 0.92 |
टैक्सी | -8,901.8 (-4.83) | 4.4 x10-8 (11.43) | 0.97 |
बस | 11,001.9 (26.65) | 1.8x10-8 (20.70) | 0.98 |
एक क्रमित तरीका अति महत्त्वपूर्ण स्वतंत्र व्यंजनों को चुनने में बहुसंरेखिता से बचने में सक्षम है। सड़क एवं रेल संबंधित प्रणालियों के लिये एम.एस. का आकलन करने के लिये निम्नलिखित संघर्षण निदर्श (Regression Models) प्रयोग किए गए हैं।
सड़क आधारित प्रणाली
MS.iJ.t=ci,J+a1,i,J VNi,J,t+a2i,JNETi,J,t+a3,i,JFCi,J,t+a4,i,J,T
रेल आधारित प्रणाली
MSMRTS,t=C+a1 CAPt+a2 NETt+a3 STNt+a4Tt (2)
जहाँ K ईंधन के प्रकार को दर्शाता है।
CAP = Passanger Capacity जो कि MRTS के MS पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और NET - Traffic Network length. जिसमें MRTS Lines और सड़कें शामिल हैं। MS के प्रवर्धन में संजाल लम्बाई का विस्तार एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण कारक है।
FC=Fuel cost transport unit
(Fuel price X Fuel Intensity)
राजकोषीय नीति के अंतर्गत ईंधन कर का आरोपण इस विधि से निकाला जा सकता है। किसी भी एक तरीके का FC जितना ज्यादा होगा वह उतना ही कम आकर्षक होगा, STN - रेल स्टेशन संख्या है जो कि MRTS तक पहुँच का एक सूचक है।
t = time trend variable है।
जिसकी मात्रा 2001-2006 के बीच 1-6; C= एक अचर है (सारणी 3)।
R2 एक उच्च मूल्य प्रत्येक दशा में दर्शाता है कि व्याख्यायित व्यंजकों का रेखिक संयोग डैका आकलन करने में पूर्णतः विश्वसनीय है। तीसरा यह अध्ययन शहरी यात्री परिवहन से निकले वायु प्रदूषकों का दो संदर्भ में आकलन करता है। CO2 एवं CH4 उत्सर्जन वैश्विक प्रभाव वाली दो प्रमुख ग्रीन हाउस गैस CO का उत्सर्जन गैर मीथेन वाष्प्शील कार्बनिक यौगिक (NMVOC) और Sp2 प्रमुखतः स्थानीय प्रभाव वाले जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी समिति द्वारा प्रतिपादित तरीके को अपनाया गया है।
जहाँ m = वायु प्रदूषण को दर्शाता है।
EC = खपत
EM = उत्सर्जन
PMK = कुल यात्री गतिशीलता
F1 = ईंधन की क्षमता
A=heat Conversion Factor
Gasoline = 3-2X107 J/L
Diesel = 3/6 X 107 J/m3
CNG = 3.9 X 107 J/n3
B= emission factor per unit heat generation (सारणी 4)।
यदि विवरण m वायु प्रदूषण का सूचक है, तो EC = खपत, EM = उत्सर्जन, PKM = कुल गतिशीलता, F1 = ईंधन सघनता, a= ताप परिवर्तन कारक का सूचक है, जिसका मूल्य गैसोलीन के लिये 3.2X107 जे/एल, डीजल के लिये 3.6X107 J/L, सीएनजी के लिये 3.9X1107 J/M3 और विद्युत के लिये 3.6X106 जे/के डब्ल्यू एच लिया जाता है, और b उत्सर्जन कारक प्रति यूनिट ताप उत्पादन किया जाता है (सारणी4)।
प्रत्येक वायु प्रदूषक का टन/टीजे में उत्सर्जन कारक | |||||
CO2 | CH2 | CO | NMVOC | SO2 |
|
गैसोलीन | 68.61 | 0.02 | 8 | 1.5 | 4.65 X 10-8 |
डीजल | 73.33 | 0.005 | 1 | 0.2 | 1.41 X10-7 |
सीएनजी | 55.82 | 0.05 | 0.6 | 0.4 | नगण्य |
विद्युत | 73.91 | 9.5X10-4 | 0.24 | 0.017 | 0.35 |
परिवहन नीतियाँ एवं डिजाइन परिदृश्य
भारत में विभिन्न मंत्रालय एवं एजेंसियां परिवहन से संबंधित नीतियाँ बनाने में शामिल हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, योजना आयोग द्वारा 1980 से अब तक ऊर्जा खपत एवं वाहन प्रदूषण के प्रबंधन के लिये निर्धारित मुख्य नीति को दर्शाया गया है (सारणी 5)। इसमें पाया गया है कि गहन परिवहन नीतियाँ सामान्यतः सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करने और ईंधन बचाने के लक्ष्यों के साथ लागू की गई है। इसके अलावा भारत सरकार ने ईंधन कर और वार्षिक पथकर को, वाहन प्रदूषकों को कम करने के एक राजकोषीय हथियार के तौर पर प्रस्तावित किया है।
गत परिवहन नीतियों और वर्तमान शोधों की समीक्षा के आधार पर हम शहरी परिवहन एवं पर्यावरणगत नीतियों के प्रभाव के आकलन के तीन परिदृश्यों की रचना करते हैं। विशिष्ट परिमापी स्थितियाँ सारणी 6 में दर्शाई गई हैं। सम्पूर्णतः दिल्ली में मोटर परिवहन संचरण की वार्षिक विकास दर क्रमशः 8.8 प्रतिशत और 8.7 प्रतिशत पाई गई। मोटर VN के प्रक्षेपण के Input के रूप में दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय, जनसंख्या GDP में 2006 से 2020 तक क्रमशः 8, 2.8, एवं 5 प्रतिशत की औसत वार्षिक विकास दर मानी गई है।
व्यक्तिगत रूप ‘‘Business as usual” BAU परिदृश्य, ईंधन खपत, MRTS स्टेशन संख्या, यात्री क्षमता, VN परिवहन संचार तंत्र की लम्बाई में बदलाव के वर्तमान चलन तथा बिना ईंधन में अधिक कर सहित दर्शाता है।
टिप्पणीः एमाआरटीएस प्रणाली आधारित विद्युत से वायु प्रदूषक उत्सर्जन का अनुमान लगाने के लिये भारत में औसत विद्युत उत्पादन मिश्रण का उपयोग इस प्रकार किया जाता है : 70 प्रतिशत कोयला, 15 प्रतिशत हाइड्रोइलेक्ट्रिक, 10 प्रतिशत प्राकृतिक गैस और 5 प्रतिशत अन्य (विश्व जलवायु परिवर्तन संबंधी पी ई डब्ल्यू केन्द्र 2001)
परिणाम एवं विवेचना
चित्र 2 में भविष्य में यात्री आवागमन के मॉडल को दर्शाया गया है। भविष्य में यातायात 8.7 वार्षिक वृद्धि दर से 2020 तक 534 करोड़ हो जाएगा। BAU परिदृश्य के अंतर्गत शहरी आवागमन में बस की भूमिका मुख्य है। दुपहिया वाहन, कार और MRT 2006 में क्रमशः 19, 18 एवं 9 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में क्रमशः 21, 22 एवं 10 प्रतिशत हो जाएगा। तिपहिया वाहन एवं टैक्सी की भविष्य में घटेगी। नियंत्रण परिदृश्य के अंतर्गत भविष्य की नीतियों से वाहन के उत्सर्जन जैसे CNG और MRTS को बढ़ावा मिलेगा और व्यक्तिगत यातायात प्रणाली जैसे दुपहिया, वाहन, कार जो ईंधन की ज्यादा खपत करते हैं, उनकी संख्या घट सके। उच्च नियंत्रण के परिदृश्य के संदर्भ में बस कार एवं दुपहिया वाहनों की संख्या के परिचालन में कमी होगी जो कि 2020 में क्रमशः 45, 19 एवं 18% रहेगी। इसके अलावा MRTS, तिपहिया एवं टैक्सी में वृद्धि होगी जो कि BAU परिदृश्य और मध्य नियंत्रण परिदृश्य के विपरीत है। इसकी साझेदारी 2020 में क्रमशः 11, 6 एवं 0.5% रहेगी।
चित्र 3 आगामी 2020 तक के यातायात के ईंधन की खपत के प्रचलन को दर्शाता है। सामान्यतः दिल्ली परिवहन क्षेत्र में ईंधन की खपत 2020 तक बढ़ती रहेगी/मुख्यतः BAU परिदृश्य के संदर्भ में मानते हैं कि परिवहन ऊर्जा की खपत 2020 तक 208 Peta Jule पहुँच जाएगी/जबकि मध्य परिदृश्य एवं उच्च परिदृश्य के अंतर्गत यह आंकड़ा क्रमशः 6.6% एवं 14% की दर से घट सकता है। बाजार में CNG की हिस्सेदारी घटेगी लेकिन गैसोलिन, डीजल और बिजली प्रत्येक परिदृश्य में चढ़ रही है जबकि नीति नियंत्रण के कारण भविष्य में बाजार में गैसोलिन एवं डीजल की हिस्सेदारी बढ़ेगी एवं CNG की हिस्सेदारी घटेगी। जबकि विद्युत की आवश्यकता अनुमानतः तेजी से बढ़ेगी। 2020 ई. तक में BAU परिदृश्य के अंतर्गत CNG, गैसोलिन, डीजल एवं विद्युत की भागीदारी क्रमशः 44%, 53% 2.5% एवं 0.4% रहेगी जबकि उच्च नियंत्रण परिदृश्य में क्रमशः 50, 47, 2.5 एवं 0.5% रहेगी।
BAU परिदृश्य के अंतर्गत 2020 ई. तक में परिवहन की विभिन्न प्रणालियों में मुख्यतः तीन प्रणाली बस, कार एवं दुपहिया वाहन की हिस्सेदारी क्रमशः 43%, 38% एवं 17% रहेगी। नीतियाँ जो उच्च नियंत्रण परिदृश्य को समर्थन करती हैं उसके इस्तेमाल से CNG एवं बिजली की प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा। जिससे कि बस, टैक्सी एवं RTS में क्रमशः 49.1%, 0.2% एवं 0.1% की वृद्धि होगी जबकि कार, दुपहिया एवं तिपहिया वाहन में क्रमशः 33.4%, 16.1% एवं 1.1% की कमी होगी।
उत्सर्जन में कमी करने के लिये चित्र (4) में कुछ खास वर्षों में विशेष उत्सर्जन प्रणाली एवं परिवहन प्रणाली को दर्शाया गया है। BAU परिदृश्य के अंतर्गत 2020 में CH2 एवं: CH4 उत्सर्जन ये दो मुख्य GHS 13.1 करोड़ एवं 6900 टन हो जाएगी। जो कि 2006 की तुलना में 2.6 एवं 2.8 गुना ज्यादा है। उच्च नियंत्रण के परिदृश्य में यह घटकर 2020 तक में 11.1 करोड़ एवं 6200 टन हो जाएगी।
CO2, CH4 के उत्सर्जन में मुख्य रूप से बस की भागीदारी होती है जो कि बस 38-44% CO2 एवं 65-71% CH4, कार 37-42% CO2 एवं CH4 -18-23%, दुपहिया वाहन से 17-18%, CO2 एवं 9-10% CH4 उत्सर्जन होगा। 2020 में BAO परिदृश्य के अंतर्गत CO, NMVOC और SO2 का उत्सर्जन बढ़कर 92400, 167000 और 6000 टन हो जाएगा। इन सारे उत्सर्जनों में कार की भागीदारी मुख्य है जो कि CO-62-64%, NMVOC-65-67% एवं SO2- 69-70% दुपहिया वाहन की साझेदारी CO-31-32%NMVOC-32-34% एवं SP228-29%। यहाँ एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यात्री आवागमन में MRTS की भागीदारी 10-11% है। जबकि उसमें ऊर्जा की खपत 0.04 से 0.1% के बीच है इसके अलावा किसी भी दूसरी प्रणाली से कम प्रदूषण करता है।
विभिन्न नीतियों का पर्यावरण और शहरी परिवहन पर प्रभाव के परीक्षण के लिये निम्नलिखित समीकरण है।
जहाँ S = किसी विशेष नीति की संवेदनशीलता वर्ष में
EM = उत्सर्जन की क्षमता
X = नीति जो उत्सर्जन को प्रमाणित करता है।
EM एवं x = उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी या कमी। हम मानते हैं कि 2006 से 2020 के दौरान प्रति उपकरण प्रत्येक तीन वर्ष में 10%, की वृद्धि होती है। सड़क नेटवर्क में उत्सर्जन सबसे ज्यादा है जबकि अन्य प्रणालियों में उत्सर्जन कम है। इसके अलावा हम पाते है कि संवदेनशीलता का सम्पूर्ण आकलन MRTS नेटवर्क के विस्तार से 1.73% ईंधन खपत से 1.3%, रोड नेटवर्क के विस्तार से 0.73% और ईंधन कर से 0.57% प्रभावित होती है। कार्यकुशल वाहन प्रणाली के प्रोत्साहन से MRTS यात्री क्षमता एवं स्टेशनों की संख्या बढ़ती है लेकिन इसकी संवदेनशीलता क्रमशः 14,0.10, एवं 0.07% है।
विकासशील देशों के तेजी से बढ़ते शहरों में उचित नीतियों को लागू कर शहरी परिवहन को पर्यावरण अनुकूल बनाने की जरूरत है। इस रिपोर्ट में हम दिल्ली के मोटरयुक्त यात्री परिवहन का निरीक्षण करके SDModel के और उसकी परिवहन नीति एवं पर्यावरण से संबंधित प्रभाव का विश्लेषण करते हैं। परिणाम यह बताते हैं कि 2006 से 2020 के दौरान ऊर्जा की आवश्यकता एवं वाहन उत्सर्जन बढ़ेगी परन्तु इसके कम होने की भी उम्मीद बहुत है। 2020 में तुलनात्मक रूप से नियंत्रण परिदृश्य में कुछ विशेष नीतियों का इस्तेमाल किये बिना ऊर्जा की मांग 7-14% और उत्सर्जन में CO2, 7-15%, CO12-23%, NMVOC 12-25% एवं SO2 12-23% रहेगी।
2020 में यात्री परिवहन में 43-49% ऊर्जा का इस्तेमाल बस परिचालन में होगा जो कि मुख्य रूप से CO2 38-44% एवं CH4 65-71% का उत्सर्जन करेगा। 2020 तक में कार 33-38% दुपहिया 16-17%, ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। इसके साथ ही कार CO 62-64% CoNMVOC 65-67% एवं SO2 69-70% और दुपहिया CO 28-29% का उत्सर्जन करेगा।
शहरी परिवहन में विकास के साथ-साथ वाहन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये भरपूर प्रयास की जरूरत है। MRTS को अच्छी तरह लागू करने से ऊर्जा खपत एवं उत्सर्जन में कमी आएगी।
सभी नीतियों का अध्ययन कर संवेदनशील विश्लेषण यह बतलाते हैं कि रेलवे नेटवर्क का विस्तार सबसे महत्त्वपूर्ण तरीका है। जिससे कि ईंधन खपत में कमी, सड़क नेटवर्क के विस्तार की जरूरत, ईंधन कर एवं प्रदूषण में कमी आती है।
यह रिपोर्ट किसी भी तेजी से बढ़ते हुए शहर की उपयुक्त नीति का चुनाव करने में मदद करती है। इस रिपोर्ट में भविष्य में यात्री आवागमन की वार्षिक वृद्धि दर जो कि बहुत परिवर्तनशील है को दर्शाया गया है (Pew Center on global climatical change)। जब हम ऊर्जा संरक्षण और उत्सर्जन की बात करते हैं तब मोटरयुक्त यात्री आवागमन में वृद्धि नीतियों को प्रभावित करती है। भविष्य के कार्यों में सुधार करने के लिये पिछले विश्लेषण जो ऊर्जा संरक्षण और उत्सर्जन से संबंधित हो SD फ्रेम वर्क तैयार करने में बहुत उपयोगी होते हैं।
आभार
लेखक प्रो. योशेन्टसुंग हयाशी द्वारा दिए गए अमूल्य मार्गदर्शन और सहायता तथा डॉ. जी हान द्वारा दिए गए सहयोग और सहायता के लिये आभारी है। विभागाध्यक्ष, परिवहन योजना प्रभाग और यातायात, इंजीनियरी तथा सुरक्षा प्रभाग एवं दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी), दिल्ली में किए गए कम्पयूटर सर्वेक्षण हेतु उनका भी आभार प्रकट करते हैं।
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17. World Conference on Transport Research Society and Institute for Transport Policy Studies. 2004. Urban transport and the environment: An international perspective, Elsevier Science, Amsterdam (2004).
सम्पर्क
कीर्ति भण्डारी, पूर्णिमा परिदा, नीलिमा चक्रवर्ती एवं कामिनी गुप्ता, Kriti Bhandari, Purnima Parida, Nilima Chakraborti & Chakraborti & Kamini Gupta
सीएसआईआर-केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली 110025, CSIR: Central Road Research Institute, New Delhi 110025
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