मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर के पानी से यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जिससे प्रयागराज में बाढ़ आने की संभावना बनी हुई है। इन राज्यों के बांध और बैराज यमुना में हर सेकेंड में लगभग 20.5 लाख क्यूबिक पानी छोड़ रहे हैं।
उत्तराखंड के विभिन्न बांधों और बैराजों से छह लाख क्यूसेक पानी गंगा में प्रवेश कर रहा है। इससे प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियां खतरे की दहलीज को पार कर सकती हैं। जिला प्रशासन ने तटीय इलाकों के लिए हाई अलर्ट जारी कर दिया है. जिसके बाद से शहर के बांध और तटबधों पर निगरानी की जा रही हैं।
उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण हरिद्वार और कानपुर बैराज के साथ-साथ नरोरा बांध से प्रति सेकंड छह लाख क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है। नतीजतन, दोनों नदियां उफान पर हैं।
केन नदी से 3.5 लाख क्यूसेक, बेतवा नदी से 40 हजार क्यूसेक, चंबल नदी से 9 लाख क्यूसेक , धौलपुर बांध और हथिनीकुंड बैराज के माध्यम से यमुनानगर से 40 हजार क्यूसेक की दर से पानी छोड़ा जा रहा है। प्रयागराज में बुधवार से ही इस पानी का असर व्यापक रूप से दिखने लगा है। इसके चलते यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।
बाढ़ की आशंका को देखते हुए तटीय जिलों में जिला प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है. इसके अतिरिक्त, नदियों के किनारे 15 बाढ़ राहत शिविर संचालित किए गए हैं। वही तटीय क्षेत्रों के कुछ स्थानों पर नावें और स्टीमर पहले ही लगाए जा चुके हैं, करीब 98 बाढ़ राहत चौकियां भी स्थापित की गई हैं।
वही कुछ मीडिया सूत्रों ये दावा किया गया है कि जल स्तर श्मशान स्थल तक इतना ऊपर चला गया कि शवों को जलाने के लिए कोई जगह नहीं रह गई, जिसके बाद उन्हें घाट तक जाने वाली सड़कों पर जलाया जा रहा था।
माना जा रहा है प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियां खतरे की दहलीज को पार कर सकती हैं। जिसको देखते हुए जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड में आ गया है और बाढ़ पीड़ितों को बाढ़ राहत शिविरों में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ।
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