उत्तर -
गारंटी शब्द सभी वयस्कों को रोजगार पाने का हक देता है, अर्थात् यह सार्वजनिक है, सब पर लागू होता है। यह कानून आत्म-चयन के सिध्दान्त पर आधारित है: जो कोई न्यूनतम मजदूरी की दर पर अकुशल काम करने को तैयार हो, उसके लिए यह मान लिया जाएगा कि उसे दरअसल सार्वभौमिक सहयोग की जरूरत है और उसे मांगने पर रोजगार दिलवाया जाएगा। अगर कोई आपको यह कहे कि रोजगार गारंटी सिर्फ गरीबी रेखा के नीचे जीने वाले परिवारों अर्थात बी.पी.एल. कार्डधारी परिवारों के लिए ही है तो उसका विश्वास न करें।
गारंटी शब्द सभी वयस्कों को रोजगार पाने का हक देता है, अर्थात् यह सार्वजनिक है, सब पर लागू होता है। यह कानून आत्म-चयन के सिध्दान्त पर आधारित है: जो कोई न्यूनतम मजदूरी की दर पर अकुशल काम करने को तैयार हो, उसके लिए यह मान लिया जाएगा कि उसे दरअसल सार्वभौमिक सहयोग की जरूरत है और उसे मांगने पर रोजगार दिलवाया जाएगा। अगर कोई आपको यह कहे कि रोजगार गारंटी सिर्फ गरीबी रेखा के नीचे जीने वाले परिवारों अर्थात बी.पी.एल. कार्डधारी परिवारों के लिए ही है तो उसका विश्वास न करें।
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