प्रियतम! देखो ! नदी समुद्र से मिलने के लिए किस सुदूर पर्वत के आश्रय से, किन उच्चतम पर्वत-श्रृंगों को ठुकराकर, किस पथ पर भटकती हुई, दौड़ी हुई आई है!
समुद्र से मिल जाने के पहले इसने अपनी चिर-संचित स्मृतियां, अपने अलंकार आभूषण, अपना सर्वस्व, अलग करके एक ओर रख दिया है, जहां वह एक परित्यकत केंचुल-सा मलिन पड़ा हुआ है।
और, प्रियतम! इतना ही नहीं, वह देखो नदी ने यद्यपि कुछ दूर तक समुद्र को रंग दिया है, वह अपने प्रणयी के साथ लवण और अग्राह्य हो गई है!
प्रियतम ! देखो...
डलहौजी : 1934
समुद्र से मिल जाने के पहले इसने अपनी चिर-संचित स्मृतियां, अपने अलंकार आभूषण, अपना सर्वस्व, अलग करके एक ओर रख दिया है, जहां वह एक परित्यकत केंचुल-सा मलिन पड़ा हुआ है।
और, प्रियतम! इतना ही नहीं, वह देखो नदी ने यद्यपि कुछ दूर तक समुद्र को रंग दिया है, वह अपने प्रणयी के साथ लवण और अग्राह्य हो गई है!
प्रियतम ! देखो...
डलहौजी : 1934
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