पराली को टुकड़ों में काटकर खाद में बदलेगी कंबाइन

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पंजाब में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन मजबूत इच्छा शक्ति व बड़े वोट बैंक के चलते पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ दो सालों से नाममात्र के लिये कार्रवाई हो रही है। मालवा, दोआबा व माझा में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ पुलिस व जिला प्रशासन की तरफ से एक भी मामले में ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकी है जो दूसरों के लिये नजीर बन सके।

पराली जलाने की समस्या को खत्म करने के लिये पंजाब सरकार ने अब इसे नष्ट करने के विकल्पों पर काम शुरू कर दिया है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के सहयोग से एक आधुनिक हार्वेस्टिंग कंबाइन तैयार की जा रही है। यह मौजूदा मशीनों से ज्यादा गहरी कटाई करेगी और तने को चार-पाँच टुकड़ों में काटकर इसे खाद में बदल देगी। उम्मीद की जा सकती है कि अगले सीजन तक यूनिवर्सिटी इसे तैयार कर लेगी। पराली का तना 9 से 14 इंच तक का होता था। मौजूदा समय में इसे काटने वाली मशीन केवल बालियाँ काटती हैं। तना खेतों में ही खड़ा रह जाता है। किसानों के लिये यह बड़ी समस्या है कि आखिर इस तने का क्या किया जाए। इसे खेतों से उखाड़ कर इसकी खाद बनाने की प्रक्रिया काफी लम्बी और महँगी है।

सरकार ने पिछले साल पीएयू को कहा था कि ऐसी कंबाइन मशीन बनाई जाए जो तने को चार से पाँच टुकड़ों में काटने के साथ बालियों को अलग कर दे। सरकार इस मशीन को पंजाब में क्लीन चिट देकर बाकी मशीनों पर प्रतिबंध लगा देगी। तब केवल इसी मशीन से फसलों की कटाई हो सकेगी।

किसानों को जागरूक नहीं कर पा रही सरकार हर बार गेहूँ व धान की फसल के बाद सूबे में 15 से 20 लाख मीट्रिक टन पराली को आग की भेंट चढ़ा दिया जाता है। एक दशक की कोशिशों के बाद भी सरकार किसानों को जागरूक नहीं कर पाई। पराली जलाने से जहाँ मित्र कीटों के मरने से खेतों में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। धुएँ से वायु प्रदूषण बढ़ता है। इन दिनों में वायु प्रदूषण का 48 फीसद हिस्सा केवल पराली की देन होता है।

 

 

 

जलाने पर प्रतिबंध बेअसर


सरकार ने पंजाब में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन मजबूत इच्छा शक्ति व बड़े वोट बैंक के चलते पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ दो सालों से नाममात्र के लिये कार्रवाई हो रही है। मालवा, दोआबा व माझा में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ पुलिस व जिला प्रशासन की तरफ से एक भी मामले में ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकी है जो दूसरों के लिये नजीर बन सके।

1. तने को चार-पाँच टुकड़ों में काटने में सक्षम होगी आधुनिक मशीन
2. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के सहयोग से अगले साल तक होगी तैयार
3. हर फसल के बाद 15 से 20 लाख मीट्रिक टन पराली चढ़ती है आग की भेंट

 

मशीन के लाभ

तने को चार से पाँच टुकड़ों में काटेगी।

तने के छोटे-छोटे टुकड़े होने के बाद किसान आसानी  के साथ खाद बना सकेंगे।

तने के छोटे-छोटे टुकड़े  खेतों में रहने से मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहेगी।

बैड पैटर्न पर खेती करने पर तने के टुकड़े सिंचाई में रामबाण साबित होंगे।

नालियों में तने के टुकड़े डालकर रखने के साथ किसानों से फसल में कम पानी लगाना पड़ेगा।

किसानों को पराली को ठिकाने लगाने के लिये ज्यादा लेबर की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

 

 

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