वॉटर मैनेजमेंट को स्कूल एजुकेशन में खास जगह देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सीबीएसई व दूसरे एजुकेशन बोर्ड को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सरकार चाहती है कि युवाओं को वॉटर सेक्टर की समस्याओं और सॉल्यूशन के बारे में स्कूल स्तर से ही बताया जाए ताकि उनके सहयोग से समाज को जागरूक किया जा सके। दरअसल नैशनल नॉलेज कमिशन ने एक नॉन प्रॉफिट ट्रस्ट के साथ मिलकर http//schools.indiawaterportal.org नाम से पोर्टल तैयार किया है, यह एनसीईआरटी के सिलेबस के अनुरूप तैयार किया गया है। इस पोर्टल के जरिए वॉटर एजुकेशन को रोचक ढंग से पढ़ाने के तरीके बताए गए हैं।
कमिशन की इस पहल के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एजुकेशन बोर्ड से कहा है कि स्कूलों में वॉटर मैनेजमेंट की एजुकेशन को नया रूप दिया जाए। स्टूडेंट्स नए-नए प्रोजेक्टों में हिस्सा ले सकें और पानी की गंभीर होती समस्या को हल करने में युवाओं का सहयोग लिया जा सके। शिक्षा निदेशालय ने भी अपने सभी स्कूलों को इस पोर्टल का यूज करने को कहा है। इस पोर्टल का मटीरियल मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। टीचर्स इस पोर्टल के जरिए नए आइडिया ले सकते हैं और उन्हें क्लासरूम में लागू कर सकते हैं। अब स्ट्रीट प्ले, ड्राइंग, खेलकूद के जरिए वॉटर मैनेजमेंट की पढ़ाई होगी।
इस पोर्टल में भारतीय नदियों की पूरी जानकारी दी गई है और प्रदूषण की समस्या के बारे में स्टूडेंट्स को बताया गया है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की जरूरत और तरीकों की जानकारी दी गई है। हार्वेस्टिंग सिस्टम, वॉटर क्वॉलिटी, डिलिवरी सिस्टम, वॉटर स्टोरेज, रेन वॉटर कंपोनेंट जैसे तमाम ऑप्शन इस पोर्टल में बताए गए हैं। क्विज और प्रोजेक्ट के जरिए भी वॉटर मैनेजमेंट के तरीके इसमें बताए गए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एजुकेशन बोर्ड से कहा है कि चाहे साइंस हो, सोशल साइंस, लैंग्वेज, मैथ्स या फिर एनवायरनमेंट एजुकेशन, सभी सब्जेक्ट में वॉटर एजुकेशन का महत्व होता है। इस पोर्टल को स्टूडेंट्स के कोर्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है ताकि उनके सब्जेक्ट की भी तैयारी हो सके।
सरकार का मानना है कि पानी के महत्व के बारे में स्टूडेंट्स को बताया जाना बहुत जरूरी है। जिस तरह से नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है, उसे देखते हुए स्टूडेंट्स समाज को जागरूक कर सकते हैं। पानी की बर्बादी को रोका जाना बहुत जरूरी है, स्टूडेंट्स को स्कूल लेवल पर ही इस तरह से तैयार किया जाए ताकि वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
कमिशन की इस पहल के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एजुकेशन बोर्ड से कहा है कि स्कूलों में वॉटर मैनेजमेंट की एजुकेशन को नया रूप दिया जाए। स्टूडेंट्स नए-नए प्रोजेक्टों में हिस्सा ले सकें और पानी की गंभीर होती समस्या को हल करने में युवाओं का सहयोग लिया जा सके। शिक्षा निदेशालय ने भी अपने सभी स्कूलों को इस पोर्टल का यूज करने को कहा है। इस पोर्टल का मटीरियल मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। टीचर्स इस पोर्टल के जरिए नए आइडिया ले सकते हैं और उन्हें क्लासरूम में लागू कर सकते हैं। अब स्ट्रीट प्ले, ड्राइंग, खेलकूद के जरिए वॉटर मैनेजमेंट की पढ़ाई होगी।
इस पोर्टल में भारतीय नदियों की पूरी जानकारी दी गई है और प्रदूषण की समस्या के बारे में स्टूडेंट्स को बताया गया है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की जरूरत और तरीकों की जानकारी दी गई है। हार्वेस्टिंग सिस्टम, वॉटर क्वॉलिटी, डिलिवरी सिस्टम, वॉटर स्टोरेज, रेन वॉटर कंपोनेंट जैसे तमाम ऑप्शन इस पोर्टल में बताए गए हैं। क्विज और प्रोजेक्ट के जरिए भी वॉटर मैनेजमेंट के तरीके इसमें बताए गए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एजुकेशन बोर्ड से कहा है कि चाहे साइंस हो, सोशल साइंस, लैंग्वेज, मैथ्स या फिर एनवायरनमेंट एजुकेशन, सभी सब्जेक्ट में वॉटर एजुकेशन का महत्व होता है। इस पोर्टल को स्टूडेंट्स के कोर्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है ताकि उनके सब्जेक्ट की भी तैयारी हो सके।
सरकार का मानना है कि पानी के महत्व के बारे में स्टूडेंट्स को बताया जाना बहुत जरूरी है। जिस तरह से नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है, उसे देखते हुए स्टूडेंट्स समाज को जागरूक कर सकते हैं। पानी की बर्बादी को रोका जाना बहुत जरूरी है, स्टूडेंट्स को स्कूल लेवल पर ही इस तरह से तैयार किया जाए ताकि वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
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