पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है। हिमनद पिघल रहे हैं प्रदूषण बढ़ रहा है। पिछले कुछ दशकों से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है और पृथ्वी धीरे-धीरे गर्म हो रही है इस गर्मी के प्रति सजीव (पेड़ पौधे एवं जीव जन्तु) अलग-अलग प्रकार से संवेदना प्रदर्षित कर रहे हैं। पक्षियों द्वारा प्रदर्षित की जाने वाले इन संवेदनाओं के क्या परिणाम हो सकते हैं, यह जानने के लिये विभिन्न शोध किये जा रहे हैं। जहां इनमें कुछ नई प्रजातियों के उत्पन्न होने की उम्मीद जताई गई है, वहीं ऐसा भी माना जा रहा है कि इससे कई पक्षियों का प्रवास परिवर्तित होने के साथ-साथ उनके विलुप्त होने की भी संभावनाएं हैं।

बेंजमिन जुकेरबर्ग और कैरिन प्रिंस विस्कोनसिन मेडिसन विश्वविद्यालय में वन्य जीवन वैज्ञानिक हैं जो जलवायु परिवर्तन के पक्षियों पर होने वाले प्रभाव पर अध्ययन कर रहे हैं। अपने शोध में उन्होंने पाया कि जलवायु परिवर्तन के द्वारा होने वाले परिवर्तन के लिये मुख्य उदाहरण कई प्राणियों का दक्षिण अथवा उत्तर की ओर प्रवास परिवर्तन है। वर्ष 1970 से उत्तर पूर्वी अमेरिका सर्दियों का न्यूनतम औसतन तापमान लगभग 38 डिग्री सेल्सियस (लगभग 68 डिग्री फारेनहाइट ) बढ़ गया है। इसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग से जलवायु परिवर्तन को माना गया है।

इसके प्रमाण एकत्र करने के लिये उन्होंने सर्दियों के मौसम को चुना। इसके लिये उन्होंने फेडर वाच कार्यक्रम के तहत लगभग दो दशक तक आंकड़ों को एकत्र करके उनका विश्लेषण किया। इसे सिटिजन साइंस प्रोजेक्ट को इथैका के आर्निथोलाजी (पक्षी विज्ञान) की प्रयोगशाला में शुरुआती नवम्बर से अप्रैल के अन्त तक किया गया तथा प्राप्त आंकड़ों को एकत्र किया गया। इस कार्य के लिये लगभग 10000 स्थानों का चयन किया गया जिनमें से अधिकतर स्थान पर लोगों के यार्ड को अध्ययन के लिये चयनित किया गया।

बेंजमिन ज़ुकेरबर्ग और कैरिन प्रिंस ने 1989 से 2011 तक के उत्तर पूर्वी अमेरिका के क्षेत्रों के पक्षियों पर मुख्य रूप से ध्यान केन्द्रित किया। उक्त कार्य के लिये कार्यकर्ताओं ने पूरी सर्दियों में लगातार एक स्थान पर भोजन करने वाले पक्षियों की दो दिनों तक लगातार गणना की। उन्होंने अपने शोध को अत्यधिक ठंडे दिनों- 1 दिसम्बर से 8 फरवरी तक सीमित रखा। उनका शोधकार्य मुख्य रूप से 38 अत्यधिक सामान्य प्रजातियों के इर्द-गिर्द ही रहा जिसके लिये प्रतिवर्ष शोधकर्ता अत्यधिक ठंडे दिनों में न्यूनतम तापमान को मापते थे।

पिछले 22 वर्षों में एकत्र किये गये आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिवर्ष धीरे-धीरे सर्दियों का न्यूनतम तापमान निरन्तर बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण उस समय सभी पक्षियों ने एक साथ उत्तर की ओर प्रवास नहीं शुरू किया बल्कि कई गर्म अनुकूल प्रजातियों नें उत्तर में कुछ और समय व्यतीत करना प्रारम्भ किया। गर्म अनुकूलन वाली प्रजातियां दशक पहले दक्षिण में केवल जाड़े की प्रजातियां हैं। उत्तर पूर्वी अमेरिका में धीरे-धीरे गर्म-अनुकूलित पक्षियों का प्रभुत्व बढ़ रहा है।

शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया कि उत्तर के क्षेत्रों में अब कैरोलिना वर्न, कारडिनल, फ्रिन्चेस कुछ ईसट्न ब्लू बर्ड एवं लाल पेट वाले कठफोड़वे मुख्य रूप से दिखाई पड़ रहे है।
प्रवास में होने वाला इस प्रकार का बदलाव विभिन्न पक्षियों के सर्दियां व्यतीत करने के व्यवहार में बदलाव का कारण हो सकता है लेकिन जंगलों के कटने अथवा खेतों के कम होने की दशा में यह बदलाव स्थायी हो जाते हैं। इसके विपरीत पक्षियों में शीतकालीन बदलाव पूरे उत्तरी पूर्व अमरीका में देखा गया है। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि सम्भवतः यह बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण है।

प्रिंस के अनुसार पक्षियों की प्रजातियों का यह फेरबदल उनका अपनी ही प्रजातियों के बीच अन्योन्य क्रियाओं को प्रभावित कर सकता है साथ ही यह भी संभव है कि कुछ उत्तरी भाग में रहने वाले पक्षियों के साथ अन्योन्य क्रियाओं से कुछ नई प्रजातियों का प्रादुर्भाव हो। सम्भवतः यह पक्षियों की ऐसी नई प्रजातियां हों जो कि पूर्व में कभी भी अस्तित्व में ही नहीं रही हों। वैज्ञानिक अभी भी पूरी तरह से इस विषय में कहने में अक्षम है कि इस नये प्रकार से होने वाले कुछ भी फेरबदल में पक्षियों के बीच की अन्योन्य क्रियाएं, किस प्रकार से प्रभावित होंगी। इस परिवर्तन से होने वाले परिणामों का पता लगाना अभी भी बाकी है।

कुछ प्रजातियों का भ्रमण तय करता है कि यह प्रवृति कुछ प्रजातियों के लिये सकारात्मक हो सकती है। लेकिन यह अभी तक प्रमाणित नहीं किया जा सका है। वैज्ञानिक यह अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि जो प्रजातियां उत्तर की ओर प्रवास कर रही हैं उनको किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रिंस के अनुसार • पक्षियों की प्रजातियों का इस प्रकार फेर बदल उनकी अपनी प्रजाति के बीच संचरण को प्रभावित करेगी। नवम्बर 5 को प्लोस वन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार भविष्य में चिड़ियों के इस प्रवास में और भी परिवर्तन होंगें। यू एस जियोलॉजिकल सर्वे को टैरी एल सोहल 2075 तक यू एस के विभिन्न 50 पक्षियों की प्रजातियों पर क्या प्रभाव होगा, पर अध्ययन कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि कई पक्षी ग्लोबल वार्मिंग के कारण अपना वर्तमान आवास परिवर्तित कर देंगे। कुछ प्रजातियां जैसे कैक्टस वर्न और गैम्बेल क्वेल के रहने के लिये जमीन अधिक उपयुक्त हैं लेकिन कुछ पक्षी जैसे गौरैया आदि देश को छोड़ कर दूसरे देश जा सकते हैं।

इस प्रकार देखा जाये तो पृथ्वी पर होने वाले तापमान के इस प्रभाव से पक्षियों के आवास में परिवर्तन के साथ साथ उनकी प्रजातियों में भी परिवर्तन होने की संभावनाएं हैं। वर्ष 2013 एडी कांउटी के रैटलस्नेक स्प्रिंग पिकनिक क्षेत्र में ली गई चिड़िया का चित्र है जो कि नये शोध के अनुसार सम्भावित रूप से वर्ष 2075 तक इस क्षेत्र से समाप्त हो जाएंगी।

स्रोत:-हिंदी पर्यावरण पत्रिका

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Post By: Shivendra
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