पीने का पानी - कुछ बोतलबंद ब्रांड नहीं हैं पीने योग्य (Bottled Water Facts - Some brands are not potable)


पानी हमारे जीवन का मूल हिस्सा है, इसके बिना हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते। पृथ्वी पर जहाँ 70 फीसदी पानी मौजूद है वहीं हालात ऐसे क्यों हैं कि हमें पानी खरीद कर पीना पड़ता है? आखिर पानी को बोतल में पैक करके बेचना किसके दिमाग की उपज थी, आखिर कैसे पानी की भी कीमत लगने लगी? क्या पीने के पानी को साफ रखने का प्रत्येक इंसान का दायित्व नहीं है? इन सब सवालों के जवाब जटिलताओं के विभिन्न स्तरों पर और बहस का मुद्दा बनाकर दिए जा सकते हैं। यदि पैकिंग वाला पीने का पानी जो कि आप और मैं इस भरोसे के साथ खरीदते हैं कि वह तो साफ एवं स्वच्छ होगा और वह बहुत साफ न हो, तब वहाँ दो तरह के विचार नहीं हो सकते। ऐसी स्थिति में, उत्पादक न सिर्फ उपभोक्ता के भरोसे को तोड़ रहा है बल्कि साथ ही उसके स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है।

बोतलबंद पानीभारतीय बाजार में पीने के पानी के उपलब्ध दर्जनों सबसे बढ़िया ब्रांड कंस्यूमर वॉयस द्वारा तुलनात्मक जाँच के लिये चुने गए और जाँच के लिये विश्वसनीय प्रयोगशाला एनएबीएल में भेजे गए। जबकि अधिकतर ब्रांड जाँच में सफल रहे, सिर्फ कुछ ब्रांड के नमूने महत्त्वपूर्ण जीवाणु तत्व की जाँच में विफल पाए गए। कहीं आप जो बोतल का पानी इस्तेमाल करते हैं वह भी उनमें से तो नहीं? इसे जानने के लिये यहाँ बोतल में पैक पानी के सभी ब्रांड की विभिन्न पहलुओं पर जाँच की गई जिसकी विस्तृत जानकारी इस रिपोर्ट में दी जा रही है-

कंस्यूमर वॉयस के आधार पर ये हैं सबसे बेहतर


बिसलरी (इसके बाद फोस्टर, आइसलिंग्स, किनले, बोनाक्वा, रेलनीर और एक्वाफिना)

इन्हें खरीदने से पहले सोचें


बैली, मैकडॉवल्ज, किंगफिशर, रॉयल ब्लू और क्रिस्टल+

बैली में टीपीसी, कॉलीफॉर्म, खमीर और फफूँदी की मात्रा सबसे अधिक पाई गई उसके बाद किंगफिशर, रॉयल ब्लू, मैकडॉवल्ज, क्रिस्टल+ ब्रांड में भारतीय मानकों का उल्लंघन पाया गया।

बोतल में पैक पानी क्या है?


यह पानी हमें जमीन की सतह सहित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होता है जैसे- भूजल, समुद्र और प्रशोधन के तरीके द्वारा पानी का निस्तारण किया गया तथा अन्य कई प्रकार से पानी को छानकर साफ किया जाता है (वायु संचरण के तरीके से छानना, कपड़े में छानना, कार्ट्रिज फिल्टर, एक्टीवेटेड कार्बन फिल्टर), विखनिजीकरण, खनिजीय और फिर दोबारा से परासरण करना आदि। पीने के पानी को पैक करने से पहले उसे रोगाणुओं से मुक्त किया जाता है ताकि वह इस्तेमाल किये जाने की अवधि तक स्वच्छ रहे। बोतल बन्द पानी विभिन्न साइज के छोटे-बड़े कंटेनरों में सील लगाकर पैक किया जाता है। इसे किसी तरह के उपचार के बिना ही इस्तेमाल किया जा सकता है। विखनिजीकरण पानी को स्वच्छ करने की एक अहम प्रक्रिया है। इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले संघटक खाद्य गुणवत्ता के अनुकूल और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण नियम के आधार पर ही होते हैं।

संवेदी जाँच में सबसे बेहतर


किनले

कैसे और कहाँ की गई पानी की जाँच?


बोतल बन्द पानी की जाँच भारतीय मानक आईएस: 14543: 2004 और हाल ही के किए गए परिवर्तन के आधार पर ही की गई। जाँच के अमूमन मापदंड भारतीय मानक के अनुसार ही थे। सब प्रकार से गुणवत्ता की जाँच के लिये खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2011 का भी अनुकरण किया गया। जो उत्पाद की जरूरत को पूरा करता है। तुलनात्मक परीक्षण विश्वसनीय प्रयोगशाला एनएबीएल में किया गया यह प्रयोगशाला इस जाँच के लिये सक्षम भी थी और जाँच बोतल बन्द पानी के ब्रांड के मानकों के आधार पर ही की गई।

 

निम्न ब्रांड का परीक्षण किया गया

रैंक

ब्रांड

मार्केटर/जिसके द्वारा बेचा जाता है

1

बिसलरी

बिसलरी उद्योग

2

फोस्टर

एसएबी मिलर इंडिया

3

आइसलिंग्स

सार्थक एक्वा इंडिया

4

किनले

कोका-कोला

5

बोनाक्वा

हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेज

5

रेल नीर

इंडियन रेलवे (आईआरसीटीसी)

5

एक्वाफिना

पेप्सीको

 

बैली*

पार्ले एग्रो

 

किंगफिशर*

यूनाइटेड स्प्रिट्स

 

मैक डॉवल्स*

यूनाइटेड स्प्रिट्स

 

क्रिस्टल+*

पारसराम मिनरल एक्वा

 

रॉयल ब्लू*

एस जी बेवरेज

*ब्रांड जिनमें जीवाणु तत्व मानक के अनुसार नहीं पाए गए।

 

जाँच के परिणाम (भौतिकी जाँच)


कुल घुलनशील पदार्थ (टीडीएस)
पानी एक घुलनशील पदार्थ है इसमें खनिज, नमक या धात्विक चीजें कुल घुलनशील पदार्थ होती हैं। पानी एक सतही द्रवशील पदार्थ है तो इसमें आसानी से अशुद्ध पदार्थों को निकालना आसान रहता है। कुल घुलनशील पदार्थ/टीडीएस का सीधा-सीधा पानी की शुद्धता/पवित्रता और गुणवत्ता से होता है कि पानी को किस प्रकार से स्वच्छ किया गया है उसकी क्या प्रक्रिया अपनाई गई है। हमारी रोजमर्रा जीवन में पीने के लिये इस्तेमाल करने वाले या अन्य कार्यों के लिये भी प्रयोग किये जाने वाले पानी में कुल घुलनशील पदार्थ की मात्रा प्रभावित करती है। प्रति लीटर पानी में 500 मिलीग्राम से अधिक टीडीएस की मात्रा नहीं होनी चाहिए।

1. सभी पानी के ब्रांड में टीडीएस की मात्रा निर्धारित से कम ही पाई गई।
2. बैली में सबसे अधिक और एक्वाफिना में सबसे कम टीडीएस की मात्रा पाई गई।

धुंधलापन/अशुद्धता
धुंधलापन पानी की शुद्धता में कमी के रूप में पाए जाने वाला वह पदार्थ है जिसके कारण पानी पीने योग्य नहीं रहता। पानी को भौतिक रूप से जाँचने के लिये जिन अशुद्धियों की जाँच की जाती है इनमें मिट्टी, गाद, पतले अकार्बनिक और कार्बनिक पदार्थ, घुलनशील रंग आदि कार्बनिक यौगिक पदार्थ शामिल किये जाते हैं। पानी में धुंधलापन 2 नेफ्लोमेट्रिक यूनिट से अधिक मात्रा में नहीं होना चाहिए।

- सभी ब्रांड में अशुद्ध पदार्थ, धुंधलापन निर्धारित मात्रा से कम ही पाए गए।

सम्भावित हाइड्रोजन पीएच) की मात्रा
पानी में पीएच की मात्रा से ही उसमें अम्ल की मात्रा का पता लगता है। पीएच का मतलब है सम्भावित हाइड्रोजन। इसका परीक्षण एक सुनिश्चित हाइड्रोजन की मात्रा को पानी के साथ घोलकर पीएच के मापन स्केल (जिसमें 0 से 14 तक अंक होते हैं) के माध्यम से किया जाता है। यदि पीएच का मापन 7 है तो सामान्य होता है अर्थात पानी में किसी तरह का अम्ल या खारापन नहीं है और पीएच का मापन यदि 7 से कम है तो इसका मतलब है पानी में अम्ल की मात्रा है और यदि 7 से अधिक है तो इससे तात्पर्य है कि पानी में खारापन है। भारतीय मानक के अनुसार पानी में पीएच की मात्रा 6.5 और 8.5 होनी चाहिए।

- बोतल बन्द पानी के सभी ब्रांड में सुनिश्चित पीएच की मात्रा पाई गई।

रंग (हैजन यूनिट)
भारतीय मानक के अनुसार पानी का रंग 2 हैजेन यूनिट से अधिक नहीं होना चाहिए।

- सभी ब्रांड में 1 हैजेन यूनिट पाई गई और पूरे अंक मिले।

जीवाणु तत्व जाँच


पानी में जीवाणु तत्व का मिलना उपभोक्ताओं के लिये चिन्ता का विषय है। बहुत से संक्रमण करने वाले जीवाणु तत्व जैसे शिगेला, पर्यावरण वाइब्रियो साल्मोनेला, कॉलीफॉर्म, एस ओरियस, फेकल, स्ट्रेप्टोकोकी, फफूँद और खमीर, वाइब्रो क्लोरिया, वाइब्रो पाराहेमॉलीटिकस और स्यूडोनॉमोस ऐरूगाइनोजा आदि मितली, उल्टी, डायरिया और पेट की अन्य बीमारी का कारण हो सकते हैं। वयस्कों में ये बीमारियाँ अधिकतर पाई जाती हैं पर ज्यादा लम्बे समय तक नहीं रहतीं। ये बीमारियाँ शिशुओं, बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षी प्रणाली वाले लोगों में जल्दी से हो जाती हैं।

- बैली, मैक डॉवल्स, किंगफिशर, रॉयल ब्लू और क्रिस्टल+ पानी के ब्रांड जीवाणु तत्व जाँच में असफल रहे।

जीवाणु तत्व परीक्षण परिणाम

संवेदी पैनल जाँच


बोतल बन्द पानी के सभी ब्रांड की जाँच विश्वसनीय प्रयोगशाला के वरिष्ठ अनुभवी पैनल द्वारा की गई। समूह के सभी सदस्य उत्पाद को जाँचने-परखने में अनुभवी थे। बोतल बन्द पानी की बारीकियों को समझते थे। संवेदी जाँच में पाँच प्वाइंट के आधार पर अंक दिए गए जिसमें 1 अंक का मतलब ब्रांड खराब है और 5 का मतलब बहुत बढ़िया या श्रेष्ठ है इस पर भरोसा किया जा सकता है।

बैली, मैकडॉवल्स, किंगफिशर, रॉयल ब्लू और क्रिस्टल+ ये ब्रांड जीवाणु तत्व जाँच में असफल रहने की वजह से इन्हें संवेदी जाँच के स्वाद मापदंड में शामिल नहीं किया गया क्योंकि ये पीने के योग्य नहीं थे या इन्हें पीने के बाद स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता था।

जीवाणु तत्व परीक्षण परिणामसंवेदी पैनल के जाँच परिणाम

विषैले पदार्थ/भारी धातु + विषैले पदार्थ


भारतीय मानक के अनुसार विषैले पदार्थ मर्करी, कैडमियम, आर्सेनिक, सायनाइड, सीसा, क्रोमियम और धातु विशेष की मात्रा पानी में नहीं होनी चाहिए। पोलिक्लोरिनेट बाइफेनल (पीसीबी) और पोलीन्यूक्लिर हाइड्रोकार्बन (पीएच) जैसे विषैले पदार्थ भारतीय मानक के अनुसार उपस्थित नहीं होने चाहिए। अवशिष्ट कीटनाशक 0.1μg/L से अधिक नहीं होने चाहिए।

- सभी ब्रांड जाँच में सफल रहे और किसी भी ब्रांड में किसी प्रकार का पदार्थ नहीं पाया गया।

अनुपयुक्त पदार्थ


विषैले धातु और पदार्थ के अलावा कुछ अनुपयुक्त पदार्थ भी होते हैं जो कि पीने के पानी को दूषित बनाते हैं। पानी के सभी ब्रांड में अनुपयुक्त पदार्थ की भारतीय मानक के अनुसार जाँच की गई और कुछ ब्रांड में अनुपयुक्त पदार्थ नगण्य मात्रा में पाए गए।

नाइट्रेट (NO3)


पानी में अधिक नाइट्रेट की मात्रा के कारण मेथेमोग्लोबिनेमियाया ब्लू बेबी सिंड्रोम की परेशानी हो जाती है जो कि छह महीने से कम के शिशुओं में पाई जाती है।

- सभी ब्रांड में नाइट्रेट की मात्रा निर्धारित से कम ही पाई गई।

फ्लोराइड (F)


फ्लोराइड की मात्रा पानी में दाँतों के फायदे के लिये उपयुक्त मानी जाती है। लगातार पानी में इसकी अधिक मात्रा वहन करने से सीसा की मात्रा बढ़ जाती है और शरीर में हड्डियों की बीमारी, हड्डियों का टूटना, जोड़ों में दर्द आदि रोग हो जाते हैं। आठ साल के बच्चे और छोटी उम्र में फ्लोराइड की अधिक मात्रा का शरीर में पहुँचने से दाँतों में दाग बन जाते हैं इसके साथ-साथ कॉस्मेटिक प्रभाव भी पड़ता है। भारतीय मानक के अनुसार पानी में फ्लोराइड की सुनिश्चित मात्रा एक लीटर में 1 एमजी होती है।

- एक्वाफिना और रेलनीर में फ्लोराइड की मात्रा नहीं थी, बाकी अन्य सभी ब्रांड में सिर्फ थोड़ी सी मात्रा ही जाँच में पाई गई।

सिल्वर (Ag)


सिल्वर आयन एक-एक जीवाणु अपरिवर्ती है। कुछ पानी के निस्पादकों में सूक्ष्मजीव की रोकथाम के लिये सिल्वर का इस्तेमाल आपात स्थिति में कीटनाशक युक्त पानी की स्वच्छता के लिये किया जाता है। पीने के पानी में जीवाणुओं की गुणवत्ता का निर्वाह करने के लिये सिल्वर साल्ट के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। स्वास्थ्य को बगैर नुकसान पहुँचाए एक लीटर पानी में सिल्वर की सिर्फ 0.1 एमजी मात्रा ही योग्य है।

- सभी ब्रांड में जरूरत के अनुकूल न्यूनतम स्तर पर ही सिल्वर की मात्रा पाई गई।

क्लोराइड (Cl)


क्लोराइड की मात्रा सामान्य स्थिति में स्वास्थ्य को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाती है हाँ यदि इसकी अधिक मात्रा शरीर में पहुँचती है तो ऐसे में कुछ उपभोक्ताओं के लिये हानिकारक साबित हो सकती है जो लोग हृदय और किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं उनके लिये इसकी अधिक मात्रा नुकसानदायक है। क्लोराइड की मात्रा अमूमन पानी में स्वाद पर निर्भर करती है। इसका प्रयोग पीने के पानी से जीवाणुओं के प्रभाव को खत्म करने के लिये किया जाता है। भारतीय मानक के अनुसार क्लोराइड की मात्रा एक लीटर पानी में 200 मिग्रा तक ही होनी चाहिए जिससे पानी में जीवाणु पैदा न हों और पानी स्वास्थ्य को भी किसी प्रकार की हानि न पहुँचाए।

- सभी ब्रांड में स्वीकार्य न्यूनतम स्तर पर ही क्लोराइड की मात्रा पाई गई।

सल्फेट (SO4)


सल्फेट प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाला पदार्थ है जो सल्फर और ऑक्सीजन के साथ सम्मिलित होता है। सल्फेट औसतन गैर-विषैला पदार्थ माना जाता है। हालाँकि पीने के पानी में सल्फेट की अधिक मात्रा आँतों के लिये, डायरिया, शरीर में पानी की कमी जैसे रोगों को बढ़ावा दे सकती है। सल्फर की मात्रा एक लीटर पानी में 200 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।

- अधिकतर ब्रांड में सल्फेट की मात्रा निर्धारित मात्रा के अनुकूल ही पाई गई। कुछ ब्रांड में यह बिल्कुल नहीं पाई गई।

क्षार/खारापन (HCO3)


पानी में खारेपन की मात्रा पाया जाना उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिये लाभदायक नहीं है, लेकिन अमूमन पानी में कुछ कठोरता पाई जाती है। पीएच की अधिक मात्रा, कुछ घुलनशील ठोस पदार्थ आदि किसी प्रकार से भी पानी शुद्धता के खिलाफ होते हैं। प्रति लीटर पानी में खारेपन की मात्रा 200 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।

- सभी ब्रांड में क्षार की न्यूनतम मात्रा ही पाई गई। साथ ही स्वीकार्य स्तर के अनुकूल भी रही।

बोतलबंद पानी का तुलनात्मक कार्य-निष्पादन चार्टबोतलबंद पानी का तुलनात्मक कार्य-निष्पादन चार्टबोतलबंद पानी का तुलनात्मक कार्य-निष्पादन चार्ट

कैल्शियम (Ca) और मैग्नीशियम (Mg) :


कैल्शियम की मात्रा पीने के पानी में कई महत्त्वपूर्ण पदार्थों की तरह महत्त्वपूर्ण होती है। अधिक कैल्शियम युक्त पानी में पीएच की मात्रा भी अधिक होती है और यह अम्ल युक्त पानी से कहीं ज्यादा बेहतर है। यद्यपि, कैल्शियम और मैग्नीशियम पानी में स्थाई ठोस की मात्रा के अवयव हैं लिहाजा पानी में यह अनुपयुक्त पदार्थ है। प्रति लीटर पानी में कैल्शियम की मात्रा 75 मिलीग्राम होनी ही उचित मानी जाती है और मैग्नीशियम भी प्रति लीटर पानी में 30 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।

- सभी ब्रांड में कैल्शियम और मैग्नीशियम की हल्की मात्रा ही पाई गई थी।

सोडियम (Na) :


सोडियम की मात्रा हमारे खाद्य पदार्थ में एक जरूरी पदार्थ है। सामान्यतः नमक की तरह सोडियम क्लोराइड के रूप में पाया जाता है। नमक की मात्रा पानी में सुगन्ध के स्तर पर नहीं पाई जाती और पानी में आसानी से घुलनशील होती है। यदि प्रति लीटर पानी में 180 मिलीग्राम से अधिक मात्रा होने से पानी में नमक का स्वाद आने लगता है।

- सभी ब्रांड भारतीय मानक के नियमानुकूल न्यूनतम मात्रा में ही सोडियम पाया गया। सभी ब्रांड इस जाँच में सुरक्षित रहे।

पैकिंग


पीने के पानी की पैकिंग के लिये इस्तेमाल किया जाने वाले पैकिंग उपकरण में खाद्य योग्य मानकों का प्रयोग होना चाहिए। स्वास्थ्य के लिये हानि न पहुँचाए इस तरह के उपकरण का ही पीने के पानी की पैकिंग में प्रयोग किया जाए। पानी की बोतल के ढक्कन का रंग नहीं निकलना चाहिए अन्यथा रंग पानी के मिलकर स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकता है। पैनल के आठ विशेषज्ञों द्वारा पीने के पानी के बोतल के सभी ब्रांड की जाँच की गई कि पानी की बोतल इस्तेमाल करने में कितनी आसान है उसे ले जाने रखने में कितनी सहूलियत है साथ ही सभी मापदंडों को कितना निभाया है।

- सभी ब्रांड प्लास्टिक की बोतल में ही पैक किए गए थे। पैनल के विशेषज्ञों द्वारा किनले ब्रांड की पैकिंग सबसे अच्छी पाई गई इसके बाद एक्वाफिना और बिसलरी पाए गए।

मार्किंग और लेबलिंग


भारतीय मानक के नियम 14534 : 2004 के अनुसार बोतल की पैकिंग पर विभिन्न मानकों के स्पष्ट चिन्ह/नाम होना चाहिए :

उत्पाद का नाम, उत्पादक का नाम और पता, ब्रांड का नाम यदि है, बैच और कोड नम्बर, पैकिंग की तारीख, यदि किसी प्रकार का संक्रमण हो जाए तो कैसे उपचार करें, ठीक रहने की अवधि, निर्देशानुसार भारतीय मानक चिन्ह।

- सभी ब्रांड पर मार्किंग और लेबल की सभी जरूरी चिन्ह व जानकारी उनकी पैकिंग पर दी हुई थी और इसलिये सभी ब्रांड को इस जाँच में पूरे अंक मिले। साथ ही ब्रांड ने पैकिंग पर भारतीय मानक का चिन्ह (ISI Mark) भी दिया हुआ था।

रेडियो सक्रियता


रेडियोधर्मी खनिज जैसे आयरन और आर्सेनिक जैसे अन्य खनिज के समान आधार में अनियमित होते हैं। रेडियोएक्टिव एल्फा और बीटा पानी में आसानी से घुल जाते हैं।

- सभी ब्रांड रेडियोधर्मिता की जाँच में सफल रहे किसी भी पानी के ब्रांड में ऐसे कोई विषैले घातक पदार्थ नहीं पाए गए। इसलिये इस जाँच में सभी ब्रांड ने पूरे अंक प्राप्त किए।

निर्माताओं की प्रतिक्रिया

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