दुनियाभर में महामारी बने कोरोना वायरस की फिलहाल कोई दवाई नहीं बनी है। नियमित तौर पर हाथ धोने, स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग को वायरस का संक्रमण कम करने का एकमात्र उपाय माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित विभिन्न सरकारें अलग अलग माध्यमों से लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक कर रहे हैं। वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकारी अमलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसी क्रम में हरिद्वार जल निगम ने सस्ती और टिकाऊ तकनीक बनाई है, जिससे नल को छुए बिना ही आपको हैंडवाॅश और पानी मिलेगा। इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में काफी सहायता मिलेगी।
वैसे तो बाजार में सेंसर लगी हुई कई तकनीक/मशीन उपलब्ध हैं, जिन्हें छुए बिना ही आपको पानी और हैंडवाॅश मिल जाता है। इसमें सेंसर एक संदेशवाहक की तरह काम करता है। जैसे ही व्यक्ति मशीन के नीचे हाथ रखता है, संदेशवाहक संदेश को मशीन के लगे साॅफ्टवेयर तक पहुंचा देता है, लेकिन ये तकनीक अपेक्षाकृत महंगी है। इसकी लाइफ भी ज्यादा नहीं होती। इसे पर्याप्त देखरेख की जरूरत होती है। कई बार सेंसर खराब हो जाता है, जिसे ठीक कराने में अलग से धन खर्च होता है। आर्थिक रूप से हर कोई इतना सक्षम भी नहीं है, कि इस मशीन को घरों या दफ्तर में लगा सके। लेकिन हरिद्वार जल निगम ने साधारण-सा एक हैंडवाॅश प्वाइंट बनाया है। इसे हाथ धोने की देशी तकनीक भी कह सकते हैं, इसे बनाने की लागत 8 से 10 हजार है। देखरेख और मरम्मत आदि का खर्चा लगभग शून्य। यानी लगभग हर जेब के लिए खिफायती।
जल निगम के अधिशासी अभियंता मोहम्मद मीशम ने बताया कि हर कोई हाथ धोने पर जोर दे रहा है, लेकिन हाथ धोने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर हर कोई नल और हैंडवाॅश को छूता है। नल को बंद करने के लिए हाथ धोने के बाद भी छूना पड़ता है। फिर यही हाथ दफ्तरों में कुर्सी, टेबल, फाइलों आदि विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को छूते हैं। इससे संक्रमण का खतरा बना रहता है। ऐसे में सेना की एक वीडियो देखते वक्त आइडिया आया। इसमें ज्यादा धन की आवश्यकता भी नहीं थी। हमारे पास टंकी, नल आदि सामग्रियां थीं। विभाग के एक इंजीनियर को आइडिया बताया और सामग्रियां दिखाईं। जिसके बाद हैंडवाॅश प्वाइंट बनकर तैयार हो गया। सैंपल के तौर पर जल निगम के कार्यालय के बाहर ही एक हैंडवाॅश प्वाइंट रखा है। इसकी खासियत ये है कि आपको हाथ धोने के लिए नल और हैंडवाॅश को छूना नहीं पड़ेगा। पानी के लिए 500 लीटर का टैंक और एक हैंडवाॅश रखा गया है। पैर के पास दो अलग अलग बटन दिए गए हैं। एक बटन/पैंडल पानी और दूसरा हैंडवाॅश के लिए है। पैर से बटन दबाने पर हैंडवाॅश और पानी मिलेगा। इसमे पानी वाला बटन, जो कि सीेधे पैर की तरफ है, दबाते ही नल की टिप ऊपर उठ जाएगी और पानी मिलेगा। तो वहीं हैंडवाॅश के बटन से एक लौहे का सरिया या राॅड ऊपर रखे हैंडवाॅश के ऊपर तक गई है। बटन दबाते ही हैंडवाॅश के ऊपरी हिस्से पर दबाव पड़ता है, इससे लिक्विड बाहर निलकता है।
मीशम ने बताया कि ‘‘हैंडवाॅश का ये सस्ता और टिकाऊ तरीका है, जो केवल लाॅकडाउन या कोरोना संक्रमण तक ही सीमित नहीं रहेगा। इसका उपयोग हम हमेशा करेंगे। फिलहाल के लिए मेला प्राधिकरण, हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण और नगर निगम जैसे अन्य विभागों में रखने का प्रयास किया जा रहा है, जो लोगों की आवाजाही ज्यादा होती है। दफ्तरों में प्रवेश करने से पहले सभी इसमें हाथ धोकर आएंगे।’’ वास्तव में ऐसे प्वाइंट हर कोई अपने घरों में भी बना सकते हैं। घर में लोगों की संख्या काफी कम होती है, इसलिए छोटे आकार के ऐसे प्वाइंट बनाए जा सकते हैं, जिन्हें बनाने में खर्चा भी लगभग आधा हो जाएगा।
हिमांशु भट्ट (8057170025)
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