पहले 'शर्म', अब 'गर्व' यात्रा निकालते हैं ग्रामीण

सामाजिक बदलाव रंग लाया मर्यादा अभियान मप्र में बुधनी के 32 गांव में खुले में शौच बंद


गांव में गर्व यात्रा निकालतीं महिलाएंगांव में गर्व यात्रा निकालतीं महिलाएंमध्यप्रदेश में सिहोर जिले के बुधनी के 32 गांवों के लोगों ने खुले में शौच करने की कुरीति को खत्म कर मिसाल पेश की है। इन गांवों में खुले में शौच करने वालों को रोकने और उन्हें टॉयलेट बनाने को प्रेरित करने के लिए महिलाओं व छात्रों ने मुहिम चलाई। इसमें महिलाएं भी शामिल होती हैं। इसे नाम दिया गया है मर्यादा अभियान। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र में चल रही इस मुहिम के तहत अब तक 10 हजार परिवार अपने बूते पर टॉयलेट बना चुके हैं। इसके चलते अब यहां 'गर्व' यात्राएं निकल रही हैं।

जब कोई गांव वाला अंधेरे में शौच के लिए जाता है तो बच्चे मौके पर जाकर सीटी बजा कर आगाह करते हैं। सीटी की आवाज सुनकर महिलाएं पहुंचती हैं जो टार्च से रोशनी करती हैं ताकि शौच करने वालों को शर्म आए। उनके जाते ही पुरुष वहां आकर गंदे किए गए स्थान पर राखड़ डाल देते हैं। इसके बाद गांव में 'शर्म' यात्रा निकाली जाती है। माजुरकुई ग्राम पंचायत के सरपंच जवारीलाल वर्मा कहते हैं कि अब बुधनी जनपद के सभी 138 गांव खुले में गंदगी से निजात मिलने पर 'मुक्ति' महोत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस पहल से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भी प्रभावित हुआ है। उसने सरकार के मर्यादा अभियान के प्रचार-प्रसार की जारी गाइड लाइन 2012 में बुधनी मॉडल को फोकस किया है। यहां के 58 फीसदी बीपीएल परिवार अब टॉयलेट का उपयोग कर रहे हैं। जबकि गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों की संख्या 68 फीसदी है। यह अभियान पिछले साल शुरू हुआ था। सरकार का लक्ष्य मार्च 2013 तक प्रदेश के 5800 गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने का है।

अभियान की कहानी, गांव की जुबानी

बुधनी जनपद पंचायत से जुड़े 32 गांवों में छात्र नरेश मीणा, चंदेश मीणा, मोहन पाकवार, आकाश मेहरा और अर्जुन के नेतृत्व में बच्चों की टोलियां सुबह-सुबह हाथों में सीटियां लेकर सड़कों पर निकल पड़ती हैं। नरेश मीणा बताता है सीटी की आवाज सुनते ही बुजुर्ग तक दौड़ कर छुपने की कोशिश करते हैं और 'शर्म' आज गांव में डेढ़ सौ से ज्यादा टॉयलेट बना चुके हैं, जबकि पहले इनकी संख्या 50 ही थी। इसी तरह अदिवासी गांव पांडाडो की महिला झुनिया बाई बताती हैं कि अब गांव में सड़कों के किनारे कोई शौच करते दिखाई नहीं देता।

मैने तो सिर्फ मशाल सौंपी है


इस अभियान के सूत्रधार हैं बुधनी जनपद पंचायत के सीईओ अजीत तिवारी का कहना है कि मैंने तो पिछले साल गांव वालों को एकत्र कर उनमें जागरूकता लाने का प्रयास किया है। उन्हें सिर्फ मशाल जलाकर सौंपी है, लेकिन वे इसको लेकर गांव-गांव में अलख जगा रहे हैं। जिन गांवों में यह अभियान चल रहा है, वहां न तो गंदगी है और न ही बीमारी फैल रही है।

अगले साल अक्टूबर-नवंबर माह तक सीहोर जिला पंचायत क्षेत्र में खुले में शौच की प्रथा समाप्त करने का लक्ष्य है। फिलहाल चार और ब्लाकों में अभियान शुरू किया गया है।
- धर्मेंद्र चौहान, अध्यक्ष जिला पंचायत सीहोर

प्रदेश में लागू किया जाएगा मॉडल


बुधनी में चल रहे अभियान को पायलट प्रोजेक्ट की तरह से देखा जा रहा है। इस मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
- गोपाल भार्गव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री

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