11 नवम्बर 2013, नीमरमुंडा, हटा, दमोह, म.प्र.। निमरमुंडा के पप्पू गौतम की पारिवारिक जमीन 80 एकड़ है। सिंचाई का कोई साधन नहीं था। खेत पड़ती पड़ी रहते थे, घास तक नही होती थी एवं पानी की समस्या चारों ओर थी। गांव में चारों ओर पानी की किल्लत रहती थी। सिंचाई का पानी तो छोडि़ए, गर्मिंयों में तो पीने के पानी के लाले पड़ जाते थे।
वर्ष 1992-98 के बीच पानी की खोज में 432 और 640 फीट की गहराई के दो बोरवेल कराये, साथ ही 60 फीट गहरा एक कुएं का निर्माण कराया, लेकिन जलस्तर नीचे होने से कोई विशेष फायदा नहीं हुआ, कुंआ खाली पड़ा रहता था, एक बार यदि कुएं से सिंचाई कर ली तो कुंए में पानी आने में एक माह से ज्यादा लगता था। बोरवेल से भी पर्याप्त सिंचाई नही होती थी, ज्यादा से ज्यादा एक-दो एकड में ही सिंचाई हो पाती थी। पप्पू गौतम कहते हैं कि लगभग 30 साल से, जब से होश संभाला है, तब से कभी पूरा खेत सिंचित नहीं देखा था। खेत बंडे पड़े रहते थे।
पप्पू गौतम अपने भाई शंकर गौतम के साथ (बाएं से दाएं)
कई वर्षों की विकट समस्या, खेती में असफलता व आर्थिक तंगी के बाद वर्ष 2000 में अपनी सम्पूर्ण बचत से तालाब बनाने का निर्णय लिया, शुरू में अपने निजी साधन ट्रैक्टर से मेंढ़ बनाई और तालाब बनाना शुरू किया।
पप्पू गौतम बताते हैं कि मन में एक लगन थी, आत्मविश्वास था, इसी लगन, आत्मविश्वास एवं निष्ठा के कारण हर वर्ष फसल से होने वाली संपूर्ण बचत को तालाब निर्माण में लगाते रहे।
8 वर्ष (2000 से 2011) के कठिन प्रयासों एवं कठोर मेहनत से लगभग 2.25 एकड़ में 40-45 लाख रुपये की लागत से तालाब निर्माण कराया। जमीन में 7 फीट के बाद कठोर पत्थर आ जाने से तालाब निर्माण में बहुत परेशानी आई, फिर भी हिम्मत नहीं हारी और काम रुकने नहीं दिया। अंततः सफलता मिली। पप्पू गौतम अपने तालाब के बारे में बताते हैं कि 2.25 एकड़ में फैला हमारा तालाब 55 फीट से भी ज्यादा गहरा है।आज बडी खुशी से पप्पू गौतम बातते है कि हम अपनी 80 एकड़ जमीन पर अच्छी फसल उगा रहे है एवं तालाब निर्माण से फसल में दोगुने से अधिक वृद्धि हुई है, पहले अनाज को घर में रखा जाता था क्योंकि फसल का उत्पादन कम होता था, आज अनाज को रखने के लिए स्वयं की गोदाम बनाना पड़ा। गोदाम में अच्छी किस्म के बीज, बीज-उपचार एवं भंडारण आदि कार्य किया जाता है। गोदाम बनाने के लिए ईंट खुद ही बनाई।
उनके तालाब से आस-पास के लगभग 100 किसानों को भी फायदा मिला, छोटे किसान जो कुएं से सिंचाई करते थे, पहले उनके कुंए खाली पड़े थे, आज कुओं में पानी भरा है, सिंचाई के बाद भी खाली नहीं होते।
चूंकि इस क्षेत्र में सीपेज दर ज्यादा है जिससे तालाब में जलस्तर तेजी से कम होता है, इसलिए तालाब की गहराई ज्यादा रखी गयी है 60-65 फीट। ताकि सीपेज के बावजूद 80 एकड़ खेत के लिए दो सिंचाई का पानी मिल ही जाए।
पप्पू गौतम बताते हैं कि तालाब के बीचों-बीच लगभग 20 फीट गहराई की एक नाली का निर्माण किया गया जिसमें बारह महीने पानी रहता है, वहां हमारे गांव ही नहीं कई गांव के जानवर गर्मियों में पानी पीने आते हैं।
आगे और तालाब का क्षेत्र बढ़ाने की मंशा है। जिसने एक बार तालाब का स्वाद ले लिया, उसके लिए तालाब एक जुनून बन जाता है। हमारे गांव के आस-पास के लगभग 20 ऐसे गांव हैं जहां इसी प्रकार पानी की समस्या है एवं फसल नहीं हो रही है, इन गांवों में भी तालाब निर्माण कराने हेतु किसानों को जागरूक बनाने का कार्य करता रहता हूं एवं तालाब निर्माण से हुये फायदों के बारे में बताता रहता हूं।
25 साल से जिस जमीन पर कभी अच्छी घास तक नहीं देखी थी, उसे तालाब बनाकर उपजाऊ बना डाला, पप्पू गौतम ने।
संपर्क:-
पप्पू गौतम, ग्राम नीमरमुंडा, विकासखण्ड-पटेरा, जिला-दमोह, म.प्र.
मो. -9039726211
वर्ष 1992-98 के बीच पानी की खोज में 432 और 640 फीट की गहराई के दो बोरवेल कराये, साथ ही 60 फीट गहरा एक कुएं का निर्माण कराया, लेकिन जलस्तर नीचे होने से कोई विशेष फायदा नहीं हुआ, कुंआ खाली पड़ा रहता था, एक बार यदि कुएं से सिंचाई कर ली तो कुंए में पानी आने में एक माह से ज्यादा लगता था। बोरवेल से भी पर्याप्त सिंचाई नही होती थी, ज्यादा से ज्यादा एक-दो एकड में ही सिंचाई हो पाती थी। पप्पू गौतम कहते हैं कि लगभग 30 साल से, जब से होश संभाला है, तब से कभी पूरा खेत सिंचित नहीं देखा था। खेत बंडे पड़े रहते थे।
खेत को पानी कैसे मिले? यह सबसे बड़ी समस्या थी सामने।
पप्पू गौतम अपने भाई शंकर गौतम के साथ (बाएं से दाएं)
कई वर्षों की विकट समस्या, खेती में असफलता व आर्थिक तंगी के बाद वर्ष 2000 में अपनी सम्पूर्ण बचत से तालाब बनाने का निर्णय लिया, शुरू में अपने निजी साधन ट्रैक्टर से मेंढ़ बनाई और तालाब बनाना शुरू किया।
पप्पू गौतम बताते हैं कि मन में एक लगन थी, आत्मविश्वास था, इसी लगन, आत्मविश्वास एवं निष्ठा के कारण हर वर्ष फसल से होने वाली संपूर्ण बचत को तालाब निर्माण में लगाते रहे।
8 वर्ष (2000 से 2011) के कठिन प्रयासों एवं कठोर मेहनत से लगभग 2.25 एकड़ में 40-45 लाख रुपये की लागत से तालाब निर्माण कराया। जमीन में 7 फीट के बाद कठोर पत्थर आ जाने से तालाब निर्माण में बहुत परेशानी आई, फिर भी हिम्मत नहीं हारी और काम रुकने नहीं दिया। अंततः सफलता मिली। पप्पू गौतम अपने तालाब के बारे में बताते हैं कि 2.25 एकड़ में फैला हमारा तालाब 55 फीट से भी ज्यादा गहरा है।आज बडी खुशी से पप्पू गौतम बातते है कि हम अपनी 80 एकड़ जमीन पर अच्छी फसल उगा रहे है एवं तालाब निर्माण से फसल में दोगुने से अधिक वृद्धि हुई है, पहले अनाज को घर में रखा जाता था क्योंकि फसल का उत्पादन कम होता था, आज अनाज को रखने के लिए स्वयं की गोदाम बनाना पड़ा। गोदाम में अच्छी किस्म के बीज, बीज-उपचार एवं भंडारण आदि कार्य किया जाता है। गोदाम बनाने के लिए ईंट खुद ही बनाई।
उनके तालाब से आस-पास के लगभग 100 किसानों को भी फायदा मिला, छोटे किसान जो कुएं से सिंचाई करते थे, पहले उनके कुंए खाली पड़े थे, आज कुओं में पानी भरा है, सिंचाई के बाद भी खाली नहीं होते।
चूंकि इस क्षेत्र में सीपेज दर ज्यादा है जिससे तालाब में जलस्तर तेजी से कम होता है, इसलिए तालाब की गहराई ज्यादा रखी गयी है 60-65 फीट। ताकि सीपेज के बावजूद 80 एकड़ खेत के लिए दो सिंचाई का पानी मिल ही जाए।
पप्पू गौतम बताते हैं कि तालाब के बीचों-बीच लगभग 20 फीट गहराई की एक नाली का निर्माण किया गया जिसमें बारह महीने पानी रहता है, वहां हमारे गांव ही नहीं कई गांव के जानवर गर्मियों में पानी पीने आते हैं।
आगे और तालाब का क्षेत्र बढ़ाने की मंशा है। जिसने एक बार तालाब का स्वाद ले लिया, उसके लिए तालाब एक जुनून बन जाता है। हमारे गांव के आस-पास के लगभग 20 ऐसे गांव हैं जहां इसी प्रकार पानी की समस्या है एवं फसल नहीं हो रही है, इन गांवों में भी तालाब निर्माण कराने हेतु किसानों को जागरूक बनाने का कार्य करता रहता हूं एवं तालाब निर्माण से हुये फायदों के बारे में बताता रहता हूं।
25 साल से जिस जमीन पर कभी अच्छी घास तक नहीं देखी थी, उसे तालाब बनाकर उपजाऊ बना डाला, पप्पू गौतम ने।
संपर्क:-
पप्पू गौतम, ग्राम नीमरमुंडा, विकासखण्ड-पटेरा, जिला-दमोह, म.प्र.
मो. -9039726211
Path Alias
/articles/pahalae-ghara-maen-aba-gaodaama-maen-rakhaa-jaataa-haai-anaaja
Post By: admin