धार। जिले के नालछा और धरमपुरी विकासखण्ड क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण कारम नदी इस समय सूखे जैसे हालात में दिखाई दे रही है। दरअसल इस पहाड़ी नदी पर कहीं भी बड़े स्तर पर कोई बाँध नहीं होने से बारिश का सारा पानी बहकर नर्मदा नदी में चले जाता है। चूँकि पिछले एक माह से क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है।
इस वजह से कारम नदी लगभग सूखने की स्थिति में आ गई है। हालात यह है कि नदी के चौड़े पाट में से 60 प्रतिशत हिस्से में पानी ही नहीं है। इस 60 प्रतिशत हिस्से में पत्थर दिखाई देने लगे हैं। जबकि मानसून की विदाई के बाद भी इस कारम नदी में भरपूर पानी रहा करता था।
बगड़ी नदी से मिलकर कारम नदी धरमपुरी क्षेत्र में व्यापक रूप ले लेती है। कभी इस कारम नदी पर बड़ी सिंचाई परियोजना तैयार करने की योजना थी। हालांकि अभी भी यह योजना प्रस्तावित है। इस अहम नदी को लेकर मानसून के कारण स्थिति चिन्ताजनक हो गई है। बारिश का मौसम है और भादो माह चल रहा है। ऐसे में कारम नदी उफान पर रहती है। इसका पानी मटमैला और गंदा दिखाई देता है।
स्थिर हो गया है पानी
जहाँ बारिश के सत्र में पूरे समय कारम नदी में पानी मटमैला दिखाई देता है। वहीं अब स्थिति यह है कि मानसून के बाद किस तरह से पानी साफ हो जाता है वह हालात बन गए हैं। पानी स्थिर हो गया है। पहाड़ी क्षेत्र से पानी नालों व सहायक नदियों से नहीं पहुँच रहा है। इस हालात में नदी सूखते जा रही है।
इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि चौड़ाई के कुल 60 प्रतिशत हिस्से में अब पत्थर दिखाई देने लगे हैं। केवल ढलान वाले हिस्से में ही पानी दिख रहा है, वह भी स्थिर है। इस तरह पानी स्थिर हो जाने का सीधा संकेत है कि नदी में पानी की कमी है।
जलवायु परिवर्तन को लेकर अभी भी गम्भीरता नहींयही कारम नदी अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में इस कदर से उफान पर थी कि उसके वेग के आगे कई मजबूत स्तम्भ भी बह सकते थे। दरअसल इस बार मानसून का जो ट्रेंड रहा है वह चिन्ताजनक है। गनीमत यह है कि अगस्त माह में इतनी बारिश हो गई कि लोगों को पीने के पानी की चिन्ता नहीं हुई वरना परेशानी हो सकती थी।
वास्तव में जलवायु परिवर्तन में इसी तरह के हालात निर्मित होते हैं कि कभी इतनी तेज बारिश होती है कि हालात सम्भालना मुश्किल हो जाते हैं। जबकि दूसरी तरफ इतनी कम बारिश होती है कि सूखे जैसे हालात निर्मित हो जाते हैं। यही कुछ कारम नदी के साथ हो रहा है। जो कि भादो माह में सूखने लगी है।
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