पानी के बिना जीवन संभव नहीं है। प्यास बुझाने, खाना बनाने तथा साफ-सफाई जैसे तमाम काम पानी के विना संभव नहीं हैं। पानी जीवन के हर पहलू के लिये जरूरी है, पोषण से लेकर साफ-सफाई तक। हमें पानी की आवश्यकता पीने के लिए, हाथ धोने के लिये, खाना बनाने के लिये, पौधों के लिये कभी ना खत्म होने वाले क्रम में है। कुछ लोगों की नजर में पानी की शुद्धता जरूरी नहीं होती। लेकिन आपकी यह सोच आपके और आपके परिवार के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। नहाने के पानी से लेकर पीने के पानी तक की शुद्धता मायने रखती है।
प्रकृति जीवनदायी संपदा जल को हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान रखना हमारी जिम्मेदारी है, चक्र के थमने का अर्थ है, हमारे जीवन का थम जाना। प्रकृति के खजाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते, अतः प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गवाएं। यह प्रण लेना आज के दिन वहुत आवश्यक है। धरातल पर तीन चौथाई पानी होने के बाद भी पीने योग्य पानी एक सीमित मात्रा में ही है। उस सीमित मात्रा के पानी का इंसान ने अंधाधुंध दोहन किया है। नदी, तालाबों और झरनों को पहले ही हम केमिकल की भेंट चढ़ा चुके हैं, जो बचा-खुचा है उसे अब हम अपनी अमानत समझ कर अंधाधुंध खर्च कर रहे हैं। संसार इस समय जहां अधिक टिकाऊ भविष्य के निर्माण में व्यस्त है वहीं पानी, खाद्य तथा ऊर्जा की पारस्परिक निर्भरता की चुनौतियों का सामना हमें करना पड़ रहा है। जल के बिना न तो हमारी प्रतिष्ठा बनती है और न गरीबी से हम छुटकारा पा सकते हैं। फिर भी शुद्ध पानी तक पहुंच और सेनिटेशन यानी साफ-सफाई, संबंधी सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य तक पहुंचने में बहुतेरे देश अभी पीछे हैं। एक पीढ़ी से कुछ अधिक समय में दुनिया की आबादी के 60 प्रतिशत लोग कस्बों और शहरों में रहने लगेंगे और इसमें सबसे अधिक बढ़ोतरी विकासशील देशों में शहरों के अंदर उभरी मलिन बस्तियों तथा झोपड़-पट्टियों के रूप में होगी। भारत में शहरीकरण के कारण अधिक सक्षम जल प्रबंधन तथा समुन्नत पेयजल और सैनिटेशन की जरूरत पड़ेगी। जिन लोगों के घरों या नजदीक के किसी स्थान में पानी का नल उपलब्ध नहीं है ऐसे शहरी वाशिंदों की संख्या विश्व परिदृश्य में पिछले दस वर्षों के दौरान लगभग ग्यारह करोड़ चालीस लाख तक पहुंच गई है, और साफ-सफाई की सुविधाओं से वंचित लोगों की तादाद तेरह करोड़ 40 लाख बताई जाती है।
बीस प्रतिशत की इस बढ़ोतरी का हानिकारक असर लोगों के स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता पर पड़ा है। लोग बीमार होने के कारण काम नहीं कर सकते हैं। भारत में विश्व की लगभग 16 प्रतिशत आबादी निवास करती है। लेकिन, उसके लिए मात्र 4 प्रतिशत पानी ही उपलब्य है। विकास के शुरुआती चरण में पानी का अधिकतम इस्तेमाल सिंचाई के लिए होता था। लेकिन, समय के साथ स्थिति बदलती गयी और पानी के नये क्षेत्र-औद्योगिक व घरेलू उपयोग महत्वपूर्ण होते गये।
पानी के बिना जीवन संभव नहीं है। प्यास बुझाने, खाना बनाने तथा साफ-सफाई जैसे तमाम काम पानी के बिना संभव नहीं हैं। पानी जीवन के हर पहलू के लिये जरूरी है, पोषण से लेकर साफ-सफाई तक। हमें पानी की आवश्यकता पीने के लिए, हाथ धोने के लिये, खाना बनाने के लिये, पौधों के लिये कभी ना खत्म होने वाले क्रम में है। कुछ लोगों की नजर में पानी की शुद्धता जरूरी नहीं होती। लेकिन आपकी यह सोच आपके और आपके परिवार के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। नहाने के पानी से लेकर पीने के पानी तक की शुद्धता मायने रखती है।
चुनने का सुझाव
- पानी संग्रह करने से पहले, अपने परिवार की जरूरतों और आदतों का ख्याल होना चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि इसके लिए वास्तव में कितने लीटर पानी का इस्तेमाल किया जाता है।
- आपको यह भी निर्णय लेना होगा कि आप घरेलू उपयोग के लिए पानी का प्रयोग किस तरह करेंगे, नल या कुएं का पानी या बाजार से पानी के केन खरीदकर ।
- आपको मिलने वाले पानी के गुण और आपके परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य अनुसार आपको यह देखना होगा कि आपको सिर्फ पानी उबालने की आवश्यकता है, पानी का फिल्टर लगाने की आवश्यकता है या एडवांस आर.ओ.वॉटर प्यूरीफायर लगाने की।
रसोई में उपयोग
- सबसे पहले पानी का प्रयोग फल, सब्जियां, अनाज और दाल को बनाने से पूर्व धोने के लिये किया जाता है।
- .पानी खाना बनाने का महत्वपूर्ण माध्यम है जैसे स्टीमिंग, उबालने में और बेकिंग में भी प्रयोग किया जाता है।
- सभी प्रकार के ठंडे या गरम पेय पदार्थ-जैसे चाय, कॉफी, शरबत आदि का आधार पानी है।
संग्रह करने के तरीके
- पानी का सही तरीके से संग्रह करना बेहद जरुरी है, क्योंकि ताज़ा पानी मानव और अन्य जीव-जन्तु के लिये जरूरी है।
- किसी भी प्रकार के अशुद्ध तत्वों की जांच करें।
- साफ बर्तन में रखें। पानी के बर्तन को समय-समय पर धोकर पानी बदलते रहें।
- पानी साफ करने के लिये उबालना अच्छा तरीका है। पानी को 1-3 मिनट तक उबालें। पानी ठंडा होने के बाद, साफ बर्तन में रखें।
- पानी के रंग को देखकर यह समझा जा सकता है कि पानी साफ है या गंदा, पानी रंगहीन होता है।
- हमें प्राकृतिक रूप से प्यास लगती है, और सुबह हम थोड़े निर्जलित भी होते हैं। इसलिये, इस प्यास का लाभ उठाकर उठते ही गिलास भर पानी पियें और अपनी जरूरतों को पूरा करें। यह शरीर से जहरीले पदार्थ निकालने में मदद करता है, जो रात भर में बनते हैं।
- प्यास लगने का इंतज़ार ना करें। आपको प्यास लगने तक आप निर्जलित हो जाते हैं। समय-समय पर अपने आप को याद दिलाते रहें कि आपको पानी पीना है और अपने पास पानी की बोतल हमेशा रखें।
- मूत्रवर्धक खाने पर, जो शरीर से पानी छीनते हैं, पानी ज़रुर पिएं। अगर आप कॉफी, चाय वा सोड़ा पीते हैं तो अधिक मात्रा मे पानी पीना जरूरी होता है, क्योंकि ऐसे पदार्थ शरीर से पानी बाहर निकालते हैं।
- आपके शरीर के विटामिन और आहार तत्व को पचाने और सोखने के लिये पानी जरुरी होता है।
- पाचन के लिये आवश्यक रेशांक पानी के बिना अधूरा होता है।
- वास्तविक रूप से बिना पानी के अच्छे रेशांक खराब हो जाते हैं, जिससे कब्ज और पेट में दर्द होता है।
- पानी लीवर और किडनी को साफ रखने में मदद करता है और शरीर से सारी गंदगी निकालने में मदद करता है।
- अगर आप निर्जलित हैं तो आपका खून गाढ़ा होने लगता है और खून के परिसंचरण के लिये शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जिसकी वजह से दिमागी विकास कम हो जाता है, जिससे ध्यान लगाने में मुश्किल होती है और थकान महसूस होती है।
- दिन भर में आठ गिलास पानी आपकी ऊर्जा की मात्रा बढ़ाता है। यह मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ाने में, त्वचा को चमकाने और स्वस्थ रखने में, सरदर्द और चक्कर आने पर आराम पहुंचाने में पाचन में भी मदद करता है।
- पानी प्राकृतिक रूप से पेट भरा रखता है, इसलिये पानी पीने की आदत से लंबे समय तक वजन संतुलित रखने में मदद मिल सकती है।
- खासतौर से पानी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए जरूरी होता है।
- व्यायाम करने वालों और स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने वाले व्यक्तियों के लिए पानी अति आवश्यक है। पानी हृदयवाहिनी तनाव कम करने में और इसकी प्रक्रिया बढ़ाने में मदद करता है क्योंकि पानी शरीर का तापमान कम करता है, यह सारे व्यायाम की क्रिया को मजबूत रखने में मदद करता है।
- पुरुष और महिलाओं में पानी पीने से मूत्रिय ग्रंथ संबंधी बीमारी से बचाव होता है। और यह शरीर से अशुद्ध तत्व निकालने में मदद करता है।
- होंठ फटने पर पानी उपयोगी होता है, यह होंठ को मुलायम रखने में मदद करता है।
दुनियाँ में जल की खपत दर जनसंख्या वृद्धि दर की दोगुनी है तथा यह हर बीस वर्ष में दोगुनी हो जाती है। जहाँ अच्छे जल की माँग बढ़ी है वहीं इसकी उपलब्धता सीमित है। औद्योगिक व दूसरी विकास गतिविधियां जल की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही हैं। जल की कमी एवं इसमें गुणवत्ता का अभाव मानव स्तर के उठान व सतत विकास में बाधक है।
आज करीब 200 करोड़ लोग जल की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। 2030 तक विश्व की जनसंख्या का 1/5वीं भाग पानी की कमी महसूस करेगा। यह जानकर आश्चर्य होगा कि विकासशील देशों में हर वर्ष 246 करोड़ लोग जल या जल से संबंधित विकारों के कारण बीमार पड़ जाते हैं और इनमें से बहुत से लोग मारे जाते हैं।
हमारे देश में भी जहां कृषि, उद्योग, जनसंख्या वृद्धि इत्यादि कारणों से जल की मांग काफी बढ़ी है, वहीं इसकी उपलब्धता विभिन्न कारणों से; जैसे बारिश की असमानता, सुखाड़, जल स्रोतों का अति दोहन इत्यादि के कारण घटी है। इस विशाल देश में अलग-अलग जगहों पर जल में अलग-अलग तरह की अशुद्धियां पायी जाती हैं। कहीं फ्लोराइड अधिक है, कहीं लोहा तो कहीं आर्सेनिक। विषाणु (Bacteria) तो हर जगह होते ही हैं। अतः जल का निर्लवणीकरण व शुद्धिकरण शोध का एक महत्वपूर्ण आयाम है। पृथ्वी के हर जीव के लिये सबसे जरूरी चीज पानी ही है। हर साल जब गर्मियों में मौसम का पारा बढ़ने लगता है हर तरफ जल संकट गहराने लगता है।
पानी की एक-एक बूँद कीमती है। इसलिए इसको बरबाद नहीं करना चाहिए। पानी एक बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन है, यह पर्यावरण में संतुलन बनाये रखता है और जीवन को बनाये रखने में मदद करता है। जलचक्र को बनाए रखने के लिए जल वर्षण से प्राप्त होता है और फिर यही वर्षा का जल नदियों के सहारे दोबारा समुद्र में पहुँचता है। इसलिए पानी का दुरुपयोग कर इसे व्यर्थ में बरबाद नहीं करना चाहिए। परन्तु हर एक पानी पीने लायक नहीं होता है। हम पीने के लिए न तो समुद्र का पानी प्रयोग करते हैं और न ही गन्दा तथा प्रदूषित पानी। हमें हमेशा साफ और शुद्ध जल ही पीने के लिए प्रयोग करना चाहिए। परन्तु पीने योग्य पानी की मात्रा बहुत ही अल्प है। इसलिए हमें पानी को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है। जल-प्रदूषण के रोकथाम के लिए सभी के सहयोग की आवश्यकता है। पानी, प्रकृति द्वारा दिया गया एक अमूल्य उपहार है। इसलिए हमें इसे प्रदूषित नहीं करना चाहिए, क्योंकि जल ही जीवन का दूसरा नाम है। इसका नतीजा आने वाले समय में और भयावह हो सकता है। कहीं ऐसा न हो कि पानी हर तरह के खाद्य और पेय पदार्थों से मंहगा हो जाए?
दैनिक कार्यों से लेकर कृषि में और विविध उद्योगों में जल का उपयोग होता है। जल मानव जीवन के लिये अति महत्वपूर्ण संसाधन है इसीलिए यह कहा जाता है कि "जल ही जीवन है"। आशा करते हैं कि हम अपने दैनिक कार्यों को और उत्तम बनायेंगे एवं देश को पेयजल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनायेंगे।
सपंर्क करेंः
पिंकी गोस्वामी
युमना जी-13, अणुशक्तिनगर, मुंबई-400 094
.
.
.
/articles/paani-ke-bina-kuchh-bhi-sambhav-nahi