पीने योग्य जल के संरक्षण के तरीके - ग्राम अदगांव, तालुका- यावल, जिला जलगांव
उद्देश्य : पानी के टैंक में कैल्शियम कार्बोनेट के जमाव को रोकने और बेहतर क्लोरीन परीक्षण विधि :
परिस्थिति:- गांवों में पीने योग्य जल के संरक्षण के लिये जलापूर्ति व्यवस्था के तहत आमतौर पर जमीन से उपर पानी की टंकियों और जमीन पर जलाशयों में पानी रखा जाता है। इन टंकियों में पानी को शुद्ध रखने के लिये इसे क्लोरीनीकृत किया जाता है। इसके तहत पानी और टंकी के आसपास चूनायुक्त क्लोरीन पाउडर (टीसीएल पाउडर) का छिड़काव किया जाता है। क्लोरीनीकरण प्रक्रिया के तहत प्राय: टीसीएल पाउडर की उपयुक्त मात्रा बाल्टी में घोलकर इसे पानी की टंकी में मिला दिया जाता है। हालांकि इस प्रक्रिया के दौरान चूना टंकी की अंदरूनी सतह पर जम जाता है। टीसीएल पाउडर को फिल्टर कर टंकी की सतह में चूने के जमने को रोका जा सकता है। इसलिये पानी की टंकियों के निरीक्षण के दौरान भारी मात्रा में कैल्शियम कार्बोनेट का जमाव पाया जाना पाउडर को मिलाने के बेहतर तरीके की निशानी नहीं है। यह भी पाया गया है कि प्राय: सभी गांवों में पानी को शुद्ध करने के लिये क्लोरीन परीक्षण नहीं किया जाता है। यह भी जरूरी है कि क्लोरीनीकरण प्रक्रिया के तरीके और जलस्रोतों का भी समय-समय पर परीक्षण किया जाना चाहिये। इस प्रक्रिया में इस्तेमाल किये जाने वाले क्लोरीन की मात्रा 0.2 मिलीग्राम प्रतिलीटर होनी चाहिये। क्लोरीन की यह मात्रा घरों में इस्तेमाल होने वाले पानी के लिये पर्याप्त है। इसका मतलब अगर पानी की टंकी में क्लोरीन की मात्रा एक ग्राम प्रति लीटर की दर से मिलायी जाती है तो पानी को दूषित माना जा सकता है। पानी की शुद्धता की जांच के दौरान टंकी से जल के नमूने एकत्र करने के तुरंत बाद इसका क्लोरीन परीक्षण किया जाना जरूरी है। इसके दो तरीके है पहला आर्थोटालिडेंस परीक्षण (ओटी टेस्ट) और दूसरा डीपीडी की गोली मिलाकर किया जाने वाला परीक्षण। दोनों में पानी के रंग को देखकर परीक्षण किया जा सकता है। जल संरक्षण के दौरान पीने योग्य जल की गुणवत्ता को बरकरार रखने की समस्याओं से निपटने के लिये नियमित रूप से पानी की टंकी की सफाई करना और टीसीएल पाउडर को ठीक से फिल्टर करना तथा इसे उचित मात्रा में पानी में मिलाना जरूरी है। इसके अलावा क्लोरीन परीक्षण विधि का ठीक ढंग से पालन करना भी जरूरी है।
परीक्षण की बेहतरीन विधि- जलगांव जिले में यावल तालुका के अदगांव में जलशुद्धीकरण के प्रति जनजागरूकता लाने के लिये जलस्वराज माडल अपनाया गया। इसके तहत गांव के लोगों की मदद से पानी की टंकी की सतह में जमे कैल्शियम कार्बोंनेट को साफ किया गया। इस दौरान गांव के लोगों को क्लोरीनीकरण प्रक्रिया का ठीक से पालन करने के बारे में भी प्रशिक्षित किया गया। इसमें गांव के युवाओं का भरपूर सहयोग भी मिला।
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