पानी की आग

केन्द्र सरकार 101 नदियों को जोड़ जल परिवहन की नई इबारत लिखने को बेताब है लेकिन पानी की ‘आग’ में सुलगते राज्यों का मुद्दा आज तक अनसुलझा है। ये लड़ाई वर्षों से जारी है।

कृष्णा नदी विवाद
महाराष्ट्र, कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश के बीच पानी की हिस्सेदारी को लेकर विवाद है। केन्द्र सरकार ने इसके लिए एक कृष्णा नदी जल विवाद प्राधिकरण बना दिया है।

कावेरी नदी विवाद
इस झगड़े के मूल में दो समझौते हैं। एक 1892 में किया गया था और दूसरा 1924 में। कर्नाटक को लगता है कि यह समझौते मद्रास प्रेसिडेंसी के पक्ष में झुके हुए हैं। तमिलनाडु इन समझौतों के पक्ष में है।

मुल्ला पेरियार बाँध विवाद
सन् 1895 में पेरियार नदी पर यह बाँध केरल में अंग्रेजों ने बनाया था। केरल बाँध के टूटने की सम्भावना जताते हुए नया बाँध बनाना चाहता है। तमिलनाडु इसके पक्ष में नहीं है। तमिलनाडु इसके विरोध में है।

रावी-व्यास
पंजाब व हरियाणा रावी और व्यास नदियों के अतिरिक्त पानी के बँटवारे को लेकर लड़ रहे हैं। वर्षों से अदालतों में दोनों राज्यों के बीच केस चल रहे हैं।

महादयी नदी विवाद
कर्नाटक व गोवा के बीच विवाद चल रहा है। कर्नाटक पेयजल के लिए एक बाँध बना रहा है। गोवा इससे परेशान है। मुकदमेबाजी के चलते एक प्राधिकरण बना दिया गया है।

सतलुज-यमुना लिंक कैनाल विवाद
214 किलोमीटर लम्बी इस नहर के जरिए सतलुज और यमुना नदी को जोड़ने की योजना है। हरियाणा अपना हिस्सा तैयार कर चुका है। पंजाब सरकार ने पहले समझौता किया बाद में रद्द कर दिया।

पोलावरम बाँध विवाद
आन्ध्र प्रदेश एक विशाल बाँध बनाना चाहता है। परियोजना से 900 मेगावाट से ज्यादा बिजली पैदा होगी और तीन लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा को लगता है कि इस बाँध से उनके यहाँ भी गाँव डूब में आएँगे। मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

5 प्रमुख राष्ट्रीय जल मार्ग
1. 1620 किमी. लम्बा इलाहाबाद से हल्दिया तक गंगा हुगली नदी जल मार्ग
2. 891 किमी. का धुबरी से सदिया तक ब्रह्मपुत्र नदी जल मार्ग
3. 205 किमी. लम्बा कोट्टापुरम से कोल्लम के बीच चम्पाकड़ा कैनाल मार्ग
4. 1078 किमी. काकीनाड़ा से पुडुचेरी तक गोदावरी कृष्णा नदी मार्ग
5. 588 किमी. लम्बा महानदी-ब्राह्मणी नदी मार्ग

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Post By: Shivendra
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