अदगांव/ तालुका यावल/ जिला जलगांव
उद्देश्य:- गांवों में पीने योग्य पानी के स्रोतों को स्थानीय स्तर पर प्रदूषणकारी मिश्रण से बचाने के उपाय सुनिश्चित करना
परिस्थिति :- अधिकांश गांवों में पीने के पानी की आपूर्ति उथले गड्ढेनुमा कुओं से होती है। ये कुएं चारों ओर से व्यवस्थित रुप से बंधे न होने के कारण इनमें जलस्तर जमीन की सतह के पास होता है। इनमें जमीन की धूल और बारिश एवं नाली का गंदा पानी कुएं में जाता रहता है और इस वजह से इस पानी में मच्छर भी पनपते रहते हैं। इसके अलावा गांव में खुले स्थानों पर मलमूत्र विसर्जन की व्यवस्था प्रचलित होती है या फिर घरों में झडाउ शौचालय होते है और इनकी गंदगी भी अंतत: खुले स्थानों पर फेंके जाने के कारण बरसात के दिनों में यह गंदगी बिना मुंडेर वाले कुओं में बारिश के पानी के साथ चली जाती है जिससे पीने योग्य पानी के दूषित होने का खतरा और भी ज्यादा बढ जाता है। इसलिये पीने योग्य पानी के सभी स्रोतों में मलमूत्र मिले होने की जांच करने के लिये नियमित रुप से एच 2एस परीक्षण करना चाहिये और परीक्षण में पानी के दूषित होने की रिपोर्ट मिलने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रस्तावित विधि (सामुदायिक आपूर्ति की निगरानी और नियंत्रण खंड 3) के अनुरुप इसकी जांच करना जरूरी है। इस लिहाज से पानी को प्रदूषित करने वाले स्रोतों को समाप्त करना और जलस्रोतों के आसपास वाले क्षेत्र को गंदगी से मुक्त करना बेहद जरुरी है तभी इनके पानी के उपयोग की अनुमति देनी चाहिये।
परीक्षण की बेहतरीन विधि- जलगांव जिले में यावल तालुका के जलस्वराज्य गांव अदगांव में ग्रामीणों, ग्राम पंचायत और ग्राम सभा के सदस्यों से बातचीत कर पर्यावरण और पानी की गुणवत्ता को स्वच्छ रखने के बारे में विचारविमर्श किया गया। स्वयंसहायता समूह के सदस्यों द्वारा गांव का भ्रमण करने के दौरान देखा गया कि गांव में पीने के पानी के स्रोत के बिल्कुल पास ही में एक सार्वजनिक मूत्रालय बना हुआ है और पानी के स्रोत के चारों ओर गंदगी विद्यमान थी जिससे पानी के दूषित होने का खतरा साफ नजर आ रहा था। ग्राम पंचायत के सदस्यों ने तत्काल इस मूत्रालय को ध्वस्त करने का निर्णय किया। इसके पास ही स्थित कपडे धोने के स्थान पर मौजूद महिलाओं ने इस कार्रवाई पर संतोष व्यक्त करते हुये कहा कि इस स्थान से प्रदूषण हटने से अब उनके स्वास्थ्य को खतरा नहीं है।
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