-इंटीग्रेटेड वॉटरशेड मैनेजमैंट प्रोग्राम (आईडब्ल्यूएमपी) जल संरक्षण के क्षेत्र मील का पत्थर साबित होगा
-यमुनापार इलाके में रामगंगा कमांड द्वारा इंट्री प्वाइंट प्रोग्राम प्रारंभ, गोष्ठी के माध्यम से दी जा रही किसानों को जानकारी
![bihad jameen ka nirichhan karte dd agsc dr. sp singh](http://farm4.staticflickr.com/3679/11041268935_290fbe7907.jpg)
श्री सिंह ने बताया कि आईडब्ल्यूएमपी में वॉटरशेड, और इसके बाद माइक्रोशेड योजनाएं शामिल हैं। वाटरशेड में यह है कि पूरे क्षेत्र का पानी एक पर्टिकुलर एरिया से आकर छोटे-छोटे नालों में तथा वहां से मुख्य नाले में गिरेगा और फिर नदी में जायेगा। इसमें कई छोटे-छोटे माइक्रो वॉटरशेड बनते हैं। माइक्रो वॉटरशेड 50 से 100 हेक्टेयर के होते हैं। इसमें ‘रिज टू वैली’ के हिसाब से प्रोग्राम तय होता है। रिज उसकी पीठ है और उसके नीचे नाले वाले एरिया को वैली होती है। जहां रिज प्रारंभ होता है वहां से पहले ढाल कम होता है तो वहां से कंट्रोल बांध बनाते हैं। उसके नीचे मार्जिनल बांध और फिर पेरीफेहरल बांध बना दिया जाता है। नालों के किनारे-किनारे जहां जमीन में ढाल होता है वहां-वहां पेरीफेहरल बांध बनते हैं। उसके बाद नालों के नीचे चेकडेम बनाया जाता है। जबकि जहां से ढाल परिवर्तित होता हैं वहां पर मार्जिनल बांध बना दिया जाता है। उसके नीचे चेकैडैम बनाते हैं और फिर जहां पानी अधिक होता है वहां पक्के चेकडैम बनते हैं। पक्के चैकडैम वहीं बनाए जाते हैं जहां पानी का अत्यधिक प्रेशर होता है। पक्के चैकडेम बन जाने के बाद वहां से आराम से पानी निकल होता है।
भूमि संरक्षण विभाग की ही तरह इस प्रोग्राम के अंतर्गत भी किसानों के लिए बाग-बगीचे और उत्तम खेती का विकास किया जायेगा। इसमें गांव का एक किसान इसका सचिव होता है, जो परियोजना अधिकारी के साथ मिलकर गांव के विकास का प्रस्ताव तैयार करता है। इसलिये इस प्रोग्राम में सचिव की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। सचिव को कार्यक्रम के प्रति सचेत रहने की जरूरत हैं। इंट्रीप्वाइंट प्रोग्राम के दौरान ही गांव के छोटे-छोटे विकास के कार्यक्रमों को प्रस्ताव में शामिल करा देना चाहिये। इसमें जैसे गांव में कुएं की मरम्मत की बात हो या हैंडपंप खराब हो, इसी तरह से यदि सम्पर्क मार्ग आदि नहीं हैं तो ऐसे कार्यों को भी आईडब्ल्यूएमपी के अंतर्गत कराया जा सकेगा। परियोजना शुरू करने से पूर्व ही चयनित गांव का विधिवत सर्वे करना पड़ता है, जिससे यह पता चल सके कि सम्बंधित गांव में किस तरह के आधारभूत विकास की जरूरत है। क्रियान्वयन समिति की बिना सहमति प्राप्त किये यह प्रोग्राम आगे नहीं बढ़ सकता।
Path Alias
/articles/paanai-bacaanae-maen-adhaikaaraiyaon-kai-madada-karaen-kaisaanah-daa-esapai-sainha
Post By: admin