वर्ष 2019 के मध्य में अमेजन के जंगलों में भीषण आग लगी थी। नौ लाख हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गया था। लाखों वन्यजीव भी आग की भेंज चढ़ गए थे। इस भयावह आग ने दुनियाभर के पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया था, लेकिन अमेजन की आग ठंडी पड़ी। लोगों ने राहत की सांस ली। जीवन पटर पर लौटने लगा था। दुनिया ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के उपायों पर जोर ही दे रही थी कि ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग लग गई। आग ने देखते ही देखते इतना विकराल रूप धारण कर लिया कि ऑस्ट्रेलिया के आसमान का रंग भी लाल हो गया। हवा के साथ आग आगे फैली तो 6 लाख हेक्टेयर से अधिक जंगला को भस्म कर दिया। 60 लाख से अधिक जानवर आग में चलकर मर गए। कोला की प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है। वहीं 3000 हजार के करीब घर चल गए। कई लोगों की मौत हो गई। धुंए के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। तीनों सेनाएं युद्ध स्तर पर राहत अभियान चला रही हैं। घटना इतनी भयावह है कि ऑस्ट्रेलिया से एक हजार किलोमीटर दूर न्यूजीलैंड से धुंए को केवल देखा ही नहीं जा सकता, बल्कि यहां तक आग का धुंआ पहुंचने लगा है। न्यूजीलैंड के ग्लेशियरों का रंग सफेद से भूरा होने लगा है। इससे ग्लेशियरों के पिघलने का खतरा बना हुआ है।
न्यूजीलैंड एक छोटा लेकिन बेहद ही खूबसूरत देश है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। सैंकड़ों मील दूर तक फैले 3 हजार से अधिक ग्लेशियर पर्वताराहियों को रोमांच के लिए आमंत्रित करती हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया की आग से न्यूजीलैंड के प्राकृतिक सौंदर्य पर संकट के बादल मंडरा रहे है, जिससे यहां के लोग काफी चिंतित हैं। पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने अपने एक बयान में यहां तक कह दिया कि आग ने ग्लेशियारों और बर्फ की चोटियों को नुकसान पहुंचान है। हालाकि 1970 के दशक के बाद वैज्ञानिकों ने रिकाॅर्ड किया कि एक तिहाई से अधिक ग्लेशियर पिघल रहे हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की आग की राख से तेजी से बर्फ पिघलने की संभावना काफी बढ़ गई है। ऐसा संभावना है कि आग के कारण न्यूजीलैंड के ग्लेशियरों की 20 से 30 प्रतिशत तक बर्फ पिघल सकती है।
गौरतलब है कि ग्लेशियर पिघलने की समस्या केवल न्यूजीलैंड की नहीं बल्कि पूरी विश्व की है। अमेजन और ऑस्ट्रेलिया सहित विश्वभर के जंगलों में लगने वाली आग का असर भले ही हमें अभी पर्यावरण पर न दिख रहा हो, लेकिन निकट भविष्य में अवश्य में जरूर प्रभाव दिखेगा। हालाकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि छोटे स्तर पर लेकिन भयावह प्रभाव दिखने लगे हैं, जो गर्म दिनों की बढ़ती संख्या, बेमौसम बारिश, सूख और ग्लेशियर पिछलने के रूप में दिख रहे हैं। इसका असर तो अभी तक पृथ्वी पर रहने वाले अधिकांश लोगों तक पहुंचा है, लेकिन सभी इसकी चपेट में आ सकते हैं। जिससे धरती पर जीवनचक्र संकट में पड़ सकता है। इसलिए वर्तमान समय में हर इंसान की प्राथमिकता पर्यावरण संरक्षण की होनी चाहिए। क्योंकि पर्यावरण के बिना इंसान का अस्तित्व भी नहीं है।
This the view from the top of the Tasman Glacier NZ today - whole South island experiencing bushfire clouds. We can actually smell the burning here in Christchurch. Thinking of you guys. ?#nswbushfire #AustralianFires #AustraliaBurning pic.twitter.com/iCzOGkou4o
— Miss Roho (@MissRoho) January 1, 2020
Hazy sunrises for the North Island today! The main band of smoke has moved north from yesterday, while another band of smoke lingers over the South Island. ^Tahlia pic.twitter.com/eafnnsu89q
— MetService (@MetService) January 1, 2020
लेख - हिमांशु भट्ट
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