अगस्त्यमुनि। ऑल वेदर रोड का कार्य कर रही एजेंसी की कार्यप्रणाली से स्थानीय नागरिक दुःखी होने लगे हैं। एक ओर तो विस्तारीकरण से उड़ रही धूल से व्यापारी, यात्री और रहवासी परेशानी झेल रहे हैं। वहीं विस्तारीकरण के कार्य से प्राकृतिक जल श्रोत या तो बंद हो गए हैं या बंदी के कगार पर हैं। सड़क किनारे बने आबादीनुमा केंद्र और अन्य सरकारी भवन विस्तारीकरण की भेंट चढ़ चुके हैं।
स्थानीय निवासी कार्यदाई संस्था से बार-बार इस संबंध में शिकायत कर उन्हें ठीक करने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कार्यदाई संस्था के कानों पर जूं भी नहीं रेंग रही है। ऐसे में जनता में भारी आक्रोश है और वह आन्दोलन करने का मन बनाने लगी है।
निर्माण कार्य के चपेट में कई प्राकृतिक जल श्रोत
ताजा मामला केदारनाथ यात्रा पड़ाव के एक अहम ठहराव भीरी कस्बे का है। जहां पर सड़क विस्तारीकरण के कार्य से प्राकृतिक जल श्रोत सूखने के कगार पर पहुँच चुकी है। व्यापार संघ भीरी के अध्यक्ष दलबीर सिंह भंडारी, पूर्व प्रमुख घनानंद सती, क्षेपं सदस्य सुभाष चन्द्र, गजपाल कपरवाण, दिगम्बर भंडारी, विनोद कपरवाण आदि का कहना है कि उक्त प्राकृतिक जल श्रोत भीरी बाजार में पेयजल आपूर्ति का मुख्य साधन है। अधिकांश जनता पीने के लिए इसी श्रोत के पानी का प्रयोग करते हैं। वहीं जल संस्थान की सप्लाई बाधित होने पर भी यही एक मात्र सहारा होता है। लेकिन सड़क विस्तारीकरण से यह जल श्रोत खत्म होने के कगार पर है।
कार्यदाई संस्था से उन्होंने इस प्राकृतिक जल श्रोत को बचाने का अनुरोध किया था, लेकिन आश्वासन के बावजूद इस श्रोत को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। इससे स्थानीय निवासियों को अब भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कार्यदाई संस्था की मनमानी यही रुकी नहीं बल्कि बेतरतीब रोड कटिंग से सरकारी भवन भी अब खतरे की जद में आ गए हैं और कभी भी जमींदोज हो सकते हैं। भीरी स्थित अस्पताल इसका जीता जागता उदाहरण हैं। जहां पर सुरक्षा दीवार के बनने से यह खतरे की जद में आ गया है।
क्षेत्र का एकमात्र सामुदायिक सुलभ शौचालय भी भेंट चढ़ चुका है
इसके साथ ही भीरी में बना एकमात्र सामुदायिक सुलभ शौचालय भी सड़क विस्तारीकरण की भेंट चढ़ चुका है। जिससे स्थानीय व्यापारियों के साथ ही केदारनाथ आने वाले यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। स्थानीय व्यापारियों और निवासियों ने कार्यदाई संस्था से प्राकृतिक जलस्रोतों को सुरक्षा, सरकारी भवनों के नीचे सुरक्षा दीवार लगवाने के साथ ही सड़क पर उड़ने वाली धूल से बचाने के लिए समय-समय पर पानी का छिड़काव करने की मांग की है। अन्यथा उन्हें आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
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