न्यूयॉर्क के गोवानस इलाके के निवासी वर्षों से सीवेज से भरी गोवानस नहर की सफाई की माँग को लेकर अभियान चला रहे हैं। एक आर्ट प्रोजेक्ट इसे पर्यटक आकर्षण में बदलते हुए इसकी एक अलग ही खूबसूरती से लोगों को रू-ब-रू करवा रहा है।
गोवानस नहर में पानी की ऊपरी सतह को हवा जब हिलाती है तो एक सुन्दर नजारा पैदा हो जाता है जिसमें नीली पृष्ठभूमि पर सफेद धब्बे तैरते से प्रतीत होते हैं। ये नीले आकाश में बादलों जैसे दिखाई देते हैं लेकिन तभी बदबू का एहसास होते ही आपको याद आ जाता है कि वास्तव में यह तेल व गन्दगी से भरी गोवानस नहर है। बादलों जैसे प्रतीत हो रहे सफेद धब्बे दरअसल ‘पूप फोम’ (झाग) हैं जो सीवेज से पैदा होते हैं। नहर में प्रदूषण की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से इसपर बने चार पुलों पर झंडे लगाने वाली कैटरीना जेरिनिक कहती हैं, “आज इस जगह का जो हाल है उसके लिये हम ही जिम्मेदार हैं और हमें अब यहीं रहना पड़ रहा है” 17 वर्षों से न्यूयॉर्क में बसी 44 वर्षीय कैटरीना का आर्ट स्टूडियो नहर के करीब एक पुरानी इंडस्ट्रियल बिल्डिंग में स्थित है। वह बताती हैं, “अपने स्टूडियो तक हमेशा मैं नहर के किनारे से पैदल या साइकिल से जाती हूँ इसलिये मैं इसे अक्सर देखती हूँ और जानती हूँ कि इससे कितनी बदबू आती है। फिर नहर में मेरी दिलचस्पी बढ़ने पर मैं इसकी तस्वीरें खींचने लगी। नहर के पानी में अक्सर खूबसूरत प्रतिबिम्ब दिखाई देते हैं परन्तु इसके साथ ही मेरा ध्यान इस बात पर गया कि पानी में कितना तेल, झाग और तरह-तरह का प्रदूषण है और कई बार ये चीजें ही बादलों तथा आकाश जैसी प्रतीत होती हैं।”मूल रूप से गोवानस ईस्ट नदी से निकलने वाली एक धारा थी। पहले-पहले स्थानीय लोग यहाँ रहते थे जिसके बाद डच लोग यहाँ आ बसे। अमेरिकी स्वतंत्रता आन्दोलन (1776-1883) के दौरान नगर के किनारों पर कुछ लड़ाइयाँ भी लड़ी गई थीं। इसके बाद औद्योगिकीकरण की शुरुआत के साथ इस धारा को नहर का रूप दे दिया गया ताकि इलाके के उद्योगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नहर के साथ लगता इलाका आर्थिक संकट में डूबने लगा। तब तक इसका पानी उद्योगों के कचरे तथा सीवेज से पूर्णतया दूषित हो चुका था। इसके बाद यह इलाका अपना आकर्षण खोने लगा और नशे तथा वेश्यावृत्ति से लेकर आपराधिक गिरोहों तक का यहाँ बोलबाला हो गया। ऐसी भी अटकलें लगती हैं कि माफिया अपने शिकार हुए लोगों की लाशों को नहर में ही ठिकाने लगा दिया करता था। इसके बाद 1990 के दशक में न्यूयॉर्क शहर का हाल सुधारने के प्रयासों के तहत गोवानस नहर के साथ लगते इलाके में भी रुचि ली जाने लगी। कलाकार यहाँ आने लगे और उनके साथ ही यहाँ रियल एस्टेट निवेशकों ने भी पैसा लगाया। कुछ ही वक्त में यह इलाका ट्रैंडी कैफे, बार तथा दुकानों से भर गया। इलाके में किराए की दरें भी बढ़नी शुरू हो गईं। अब यहाँ रहना किफायती नहीं है। हालाँकि, दशकों से नहर की सफाई की निवासियों की माँग के बावजूद अभी भी यह काम पूरा नहीं हो सका है। 2010 में एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ई.पी.ए.) ने गोवानस नहर को ‘सुपरफंड साइट्स’ की सूची में दर्ज किया जो देश के सबसे दूषित तथा विषैले स्थलों में से एक है। नहर को साफ करने का काम धीरे-धीरे जारी है परन्तु समस्या है कि सीवेज अभी भी इसमें गिराया जा रहा है। इसके तल में 3 मीटर तक कोलतार की परत है।
दो महिलाओं का प्रयास
कैटरीना ने नहर की तस्वीरें फेसबुक पर भी साझा कीं। नहर के किनारे एक स्टोर चलाने वाली उसकी एक जर्मन सहेली जिमरमैन इन्हें देखते ही रोमांचित हो उठी। दोनों ने जिमरमैन के गोवानस सोवेनियर शॉप पर एक आउटडोर आर्ट प्रोजेक्ट तथा फ्लैग एग्जिबिशन लगाने का फैसला किया। उनके इस आयोजन को लोगों की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और आज यह स्थान अपने आप में एक पर्यटन आकर्षण बन गया है। 43 वर्षीय जिमरमैन यहाँ 6 वर्ष से रह रही हैं। वह कहती हैं, “गोवानस विशेष इलाका है। आर्किटेक्चर की बात करें तो यहाँ पर काफी कम ऊँचाई वाली इमारते हैं जिस वजह से आप बहुत दूर तक का नजारा देख सकते हैं। न्यूयॉर्क जैसे अत्यधिक व्यस्त तथा गगनचुम्बी इमारतों वाले महानगर में ऐसा कर पाना कम अनोखी बात नहीं है। महानगर में यह अपनी तरह का एकमात्र बचा स्थान है क्योंकि यहाँ पर इंडस्ट्रियल व स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग के साथ ही खूब सारे कलाकार भी रहते हैं।”
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