नर्मदा प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रयासों का आगाज

हर्ष का विषय है कि मध्यप्रदेश सरकार, इस साल, नर्मदा के किनारे बसे पाँच विकासखण्डों में जैविक खेती के लिए किसानों को रियायती दरों पर जैविक खाद और कीटनाशक उपलब्ध करावेगी। मध्यप्रदेश सरकार का मानना है कि इससे दो फायदे होंगे। पहला फायदा - नर्मदा का पानी प्रदूषण मुक्त होगा। दूसरा फायदा - जैविक खेती से उत्पादन बढ़ेगा। जैविक फसल के अच्छे दाम मिलने से किसानों की आय बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि नर्मदा कछार में पिछलेे कुछ दशकों से रासायनिक खेती हो रही है। रासायनिक खेती के कारण नदी तन्त्र में प्रदूषण बढ़ रहा है। नर्मदा में पानी के बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए मध्यप्रदेश सरकार इस साल 12 करोड़ 17 लाख खर्च करेगी।

पिछले 50-60 सालों में मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधा का बहुत विकास हुआ है। कछार में किसानों ने बहुत सारे नलकूप और कुँए बनवाए हैं वहीं सरकार ने बाँधों (बरगी, बारना, तवा, सुक्ता, इन्दिरा सागर, ओंकारेश्वर, महेश्वर जैसे अनेक बड़े बाँध), गहरे नलकूपों तथा बलराम तालाबों का निर्माण कराकर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। किसान भी आगे आए हैं। उपर्युक्त सम्मिलित प्रयासों के कारण नर्मदा कछार फसल उत्पादन के मामले में देश के अग्रणी इलाकों की सूची में सम्मिलित है।

नर्मदा कछार में पैदा की जा रही फसलों को हानिकारक कीड़ों से बचाने के लिए बड़ी मात्रा में कीटनाशकों और खरपतवार नाशकों का उपयोग हो रहा है जिसके कारण कछार के बहुत बड़े भू-भाग का पानी और मिट्टी प्रदूषित हो रहे हैं। कीटनाशकों और खरपतवार नाशकों का अंश पानी और मिट्टी के मार्फत पैदावार में पहुँच रहा है। कीटनाशकों तथा खरपतवार नाशकों के अलावा नर्मदा कछार की नदियों के पानी को खराब करने में कल-कारखानों का अनुपचारित सीवर के पानी का भी बड़ा योगदान है।

इसके अतिरिक्त, भू-जल दोहन के लगातार बढ़ने तथा हवेली पद्धति के लुप्त हो जाने के कारण नर्मदा और उसकी अनेक सहायक नदियों का गैर-मानसूनी प्रवाह घट रहा है। जल शुद्धिकरण की नैसर्गिक क्षमता लगातार कम हो रही है। सूखती सहायक नदियों का गैर-मानसूनी प्रदूषित प्रवाह और प्रदूषित भू-जल मिलकर नर्मदा तन्त्र के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं।

प्रसन्नता का विषय है कि मध्यप्रदेश सरकार ने नर्मदा के पानी की खराब होती गुणवत्ता संज्ञान लेकर पाँच विकासखण्डों में जैविक खेती और जैविक कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा देने का फैसला लिया है। वह उनकी आय बढ़ाने के लिए भी प्रयास करना चाहती है। अनेक लोगों को यह भले ही छोटा कदम लगे पर इस महत्त्वपूर्ण कदम के लिए मध्यप्रदेश सरकार निश्चित ही कोटि से बधाई के पात्र है।

देश का हर व्यक्ति समझता है कि सुरसा की तरह मुँह फैलाती जल प्रदूषण समस्या का निदान पाँच विकासखण्डों में रियायती दर से जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों को उपलब्ध कराने से नहीं होगा। इसके लिए आवश्यक सुधार करने होंगे। पूरे इलाके को वांछित मात्रा में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक उपलब्ध कराना होगा। उसे किसान जागरुकता और आर्थिक सुधारों का हिस्सा बनाना होगा। सेहत का सम्बल बनाना होगा।

सरकार और समाज की संयुक्त ताकत का अभियान बनाना होगा। जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों के समुचित उत्पादन के लिए कारगर प्रयास करने होंगे। किसानों को विश्वास में लेना होगा तभी हल निकलेगा। यह सांकेतिक कदम देश और समाज की सेहत के लिए सकारात्मक सन्देश देता है। मौजूदा कदम अन्धकार में आशा की किरण है।
 

Path Alias

/articles/naramadaa-paradauusana-kai-raokathaama-kae-laie-parayaasaon-kaa-agaaja

Post By: Hindi
×