नरेगा श्रमिकों को बताए कानूनी अधिकार

नागौर। ताल्लुका विघिक सेवा समिति के तत्वावधान में बासनी गांव में विघिक साक्षरता शिविर में सोमवार को नरेगा श्रमिकों को उनके कानूनी अघिकारों से अवगत कराया गया।शिविर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राज व्यास ने कहा कि नरेगा के तहत एक तिहाई महिलाओं को रोजगार दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कानून के अनुसार महिलाओं व पुरूषों को समान मजदूरी देने, चिकित्सा सुविधा, छाया, पानी, कार्यस्थल दूर होने पर परिवहन भत्ते की व्यवस्था, सूचना के अघिकार, शिकायत के अघिकार संबंधी कानूनी प्रावधानों की जानकारी श्रमिकों को दी।

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रतनलाल मूण्ड ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अघिनियम 2005 की जानकारी देते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के व्यस्क, अकुशल मजदूरों को वित्तीय वर्षमें कम से कम 100 दिवस का कार्यदिया जाना आवश्यक है।

सिविल जज (क.ख.) दलपत सिंह राजपुरोहित ने कहा कि जॉब कार्ड के आधार पर आवेदन करने पर 15 दिन में रोजगार देना अनिवार्य है। अतिरिक्त सिविल जज (क.ख.) कमल लोहिया ने कहा कि नरेगा श्रमिकों को उनके कार्य के आधार पर प्रति सप्ताह मजदूरी का भुगतान करना अनिवार्यहै। अघिवक्ता ओमप्रकाश पुरोहित एवं पवन श्रीमाली ने श्रमिकों को विघिक साक्षरता शिविर की महत्ता बताई।

श्रमिकों ने की शिकायत
कार्य स्थल पर उपस्थित अधिकांश महिला श्रमिकों ने समिति के समक्ष कम मजदूरी, छाया, पानी की सुविधा नहीं होने, मजदूरी का समय पर भुगतान नहीं होने व महिलाओं के साथ कार्य स्थल पर समान व अच्छा व्यवहार नहीं होने की शिकायत प्रस्तुत की। शिकायत को समिति प्रभारी व मजिस्ट्रेट ने सक्षम अघिकारी को जांच व कार्यवाही के लिए भिजवाया है।

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