भारत सरकार ने 1 अप्रैल, 2008 से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) का विस्तार देश के सभी 604 जिलों में कर दिया। इसकी घोषणा करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि वर्ष 2008-09 में विस्तारित नई योजना के लिए 16 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। इसमें से 163.12 करोड़ रुपये पहले ही नये 274 जिलों में प्रारंभिक गतिविधियों के लिए जारी कर दिया गया है।
2007-08 में नरेगा की स्थिति
1- वर्ष 2007-08 के दौरान फरवरी 2008 तक कुल 3.10 करोड़ परिवारों ने रोजगार की माँग की थी जबकि 3.08 करोड़ परिवारों को रोजगार प्रदान किया गया। इस दौरान कुल 121.64 करोड़ श्रम दिवस के रोजगार का सृजन किया गया। इसमें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं की अत्यधिक भागीदारी दर्ज की गई।
2- इस दौरान कार्यक्रम के लिए कोष की उपलब्धता 17.948 करोड़ रुपये की रही। इस अवधि के दौरान केन्द्र की ओर से कुल मिलाकर 12,566.74 करोड़ रुपये जारी किये गये जबकि राज्यों की ओर से कुल 1256.36 करोड़ रुपये दिये गये। इसके लिए 13,101.50 करोड़ रुपये व्यय किये गये। पारिश्रमिक के लिए 8892.45 करोड़ रुपये व्यय किये गये जो कुल व्यय का 68 प्रतिशत था।
3- रोजगार कार्डों के निर्माण पर कुल 2.50 करोड़ रुपये की लागत आई और 11.27 लाख भरे गये मस्टर रॉलों को इंटरनेट पर रखा गया है। वर्ष 2008-09 के लिए 16,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है और वोट ऑन अकाउंट के अधीन जारी करने के लिए 4666.67 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं।
4- नये जिलों (चरण-3) के शुरुआती गतिविधियों के लिए 163.12 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। चरण-3 के जिलों में कार्यक्रम क्रियान्वयन के लिए यह धनराशि 550 करोड़ रुपये है। चरण-1 और चरण 2 के 330 जिलों के लिए हिस्से के रूप में कुल 4116.67 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं।
5 - भुगतान में पारदर्शिता लाने के लिए बैंकों व डाकघरों में कामगारों के खातों के माध्यम से पारिश्रमिक का भुगतान की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके लिए राज्य सरकारों को डाक विभाग के साथ समन्वय स्थापित करने हुतु निर्देश दिए गये हैं ताकि वर्ष 2008-09 के दौरान पारिश्रमिक भुगतान के लिए नरेगा कामगारों का बैंक व डाकघरों में खाता खोलना सुनिश्चित हो सकें। इसके तहत कुछ राज्यों में बैंकों व डाकघरो में खाते खोले भी गये हैं। आँध्र प्रदेश, झारखंड और कर्नाटक राज्य इस दिशा में अग्रणी हैं। बिहार, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश राज्यों ने इस दिशा में अपनी प्रगति रिपोर्ट केन्द्र सरकार को दी है। इन राज्यों में अब तक कुल 1,10,28,779 खाते खोले गये हैं।
6 - नरेगा के प्रभावकारी क्रियान्वयन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नागरिक समाज के संगठनों के विशिष्ट योगदान को मान्यता देने के लिए रोजगार जागरुकता पुरस्कार नामक पुरस्कार की शुरुआत करने का निर्णय।
7 - कोष प्रबंधन में अधिकाधिक उत्तरदायित्व के लिए अधिनियम के अधीन राजकीय कोष स्थापित करने का निर्णय। केन्द्र सरकार, राज्यों को संचार, निर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण, सामाजिक लेखा परीक्षा और खातों के लिए उनके तकनीकी संसाधनों की मजबूती हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
8 - राज्य और जिला स्तरों पर नरेगा की निगरानी और देखरेख के लिए समितियाँ स्थापित। स्थानीय सांसद जिला निगरानी और देखरेख समिति के सदस्य हैं। स्थानीय स्तर पर निगरानी हेतु गाँव स्तर पर निगरानी और देखरेख समिति स्थापित की गई है। केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद् के सदस्य भी विभिन्न जिलों का क्षेत्रीय दौरा करते हैं। योजना की प्रगति की देखरेख के लिए राष्ट्रीय स्तर के निगरानीकर्ता और क्षेत्रीय अधिकारी विभिन्न जिलों का दौरा करते हैं। राष्ट्रीय स्तर के निगरानीकर्ताओं ने अब तक चरण-1 और चरण 2 के जिलों के 331 दौरे किये हैं।
9 - आम जनता को नरेगा की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से www.nrega.nic.in नामक एक वेबसाइट स्थापित किया गया है जिसमें इसके सभी आँकड़े उपलब्ध कराये जाते हैं। इनमें पंजीकरण, रोजगार कार्ड, मस्टर रॉल, रोजगार की माँग और उपलब्धता, निर्माण का आँकड़ा, कार्य का अनुमान, कार्य की प्रगति, माप, कोष की उपलब्धता, व्यय, पारिश्रमिक के रूप में भुगतान की राशि, सामग्री और प्रशासनिक व्ययों जैसे वित्तीय सूचकों से जुड़े आँकड़े शामिल हैं। वेबसाइट पर 25001781 रोजगार कार्डों और 1126914 मस्टर रॉलों का विवरण रखा गया है।
स्रोतः http://www.pib.nic.in/hrelease/h-release.asp?relid=14362
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