नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा यमुना के \"फ़्लडप्लेन्स\" पर अतिक्रमण की योजना

यमुना
यमुना

28 मई को नोएडा विकास प्राधिकरण ने अपनी वेबसाईट पर एक जाहिर सूचना जारी की है, जिसके कारण पर्यावरण के प्रति जागरूक क्षेत्रवासी विचलित हैं। इस सूचना में प्राधिकरण ने नागरिकों से, दिल्ली-नोएडा-दिल्ली टोल रोड तथा पुराना पुस्ता रोड (नया बाँस गाँव स्थित) के बीच स्थित प्लॉट पर बहुमंजिला इमारतों के निर्माण हेतु सुझाव व टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं। जबकि यह विशाल भूमि, यमुना फ़्लडप्लेन के रूप में अधिसूचित है एवं एक कृषि भूमि के तौर पर चिन्हित की गई है। सेक्टर 15-A के निवासी कानन जैसवाल, जो कि इस महत्वपूर्ण भूमि को विनाश से बचाना चाहते हैं, कहते हैं कि 'यह स्पष्ट रूप से पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन है…'। कानन जैसवाल आगे कहते हैं कि 'इस भूमि का एकमात्र सही उपयोग यही है कि यहाँ पर हजारों पेड़-पौधे लगाकर इस क्षेत्र का विकास एक घने जंगल के रूप में किया जाये…'।

प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से लेकर 20 एकड़ ज़मीन हाल ही में अधिग्रहीत की है। प्रस्ताव है कि इस भूमि के आधे हिस्से को कानूनों में बदलाव करके 'कृषि' से 'रहवासी' में बदला जायेगा। इस काम को कानूनी जामा पहनाने के लिये प्राधिकरण ने एक समिति का गठन किया है जो नागरिकों और जनता से संवाद करेगी और उनकी आपत्तियों पर गौर करेगी। इस कमेटी के अध्यक्ष हैं प्राधिकरण के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि प्रकाश अरोरा, तथा इसमें विभिन्न इंजीनियरों, वास्तुविदों और अन्य आर्थिक विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। इस योजना के सम्बन्ध में आपतियाँ और सुझाव भेजने की अन्तिम तारीख थी 27 जून। इस तिथि के बाद तत्काल प्राधिकरण ने 9 जुलाई को कुछेक नागरिकों की एक बैठक आयोजित की जिसमें सुझावों और टिप्पणियों पर चर्चा करवाई गई।

इस बैठक में कानन जैसवाल को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन जैसवाल इसके नतीजों और तौरतरीकों से नाखुश हैं। उनका कहना है कि 'यह कवायद 14/09/2006 को जारी EIA की अधिसूचना के खिलाफ़ है, जिसमें जनता से परामर्श का प्रावधान जरूर किया गया है, लेकिन इस बैठक को न ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आयोजित किया, न ही इसकी अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट ने की…। इस बैठक की कोई वीडियोग्राफ़ी भी नहीं करवाई गई, और अधिकारियों से मैं अकेला ही जूझता रहा…'। जब इस सम्बन्ध में रविप्रकाश अरोरा से सम्पर्क किया गया, तब उन्होंने नागरिकों द्वारा की गई टिप्पणियों और सुझावों पर आगे चर्चा करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि - समिति इस प्रोजेक्ट के तकनीकी पहलुओं पर विचार कर रही है और शीघ्र ही हम किसी निर्णय पर पहुँचेंगे…'। जैसवाल ने आगे पर्यावरण और वन मंत्रालय में सम्पर्क और शिकायत की और आज तक वे इस सम्बन्ध में किसी कार्रवाई का इन्तज़ार कर रहे हैं।

'भूमि उपयोग नियमों' में फ़ेरबदल करके कृषि भूमि को व्यावसायिक और संस्थागत उपयोग हेतु बनाने से इस इलाके का प्राकृतिक भूजल रीचार्ज खतरे में पड़ जायेगा, साथ ही यमुना नदी के इस फ़्लडप्लेन पर किया गया किसी भी प्रकार का अतिक्रमण इस इलाके में बाढ़ का खतरा लेकर आयेगा, क्योंकि बारिश का पानी ज़मीन के भीतर समाने की जगह कम से कम होती जा रही है। इस विशाल योजना का प्रस्तावित स्थल ओखला पक्षी विहार और वन्य प्राणी अभयारण्य से मात्र आधा किलोमीटर दूरी पर है। इस इलाके में किसी भी प्रकार की निर्माण गतिविधि से यमुना नदी और इसके किनारे स्थित फ़्लडप्लेन्स में आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या में निश्चित कमी आयेगी। इस प्रोजेक्ट के लिये नोएडा विकास प्राधिकरण खुद अपने ही बनाये नियमों और उपनियमों के खिलाफ़ काम कर रहा है। इस प्रोजेक्ट हेतु FAR अर्थात Floor Area Ratio (फ़र्श क्षेत्र का अनुपात) 2 की बजाय 4 रखा गया है, अर्थात प्राधिकरण की योजना यहाँ पर गगनचुम्बी इमारतें बनाने की है। चूंकि यह इलाका पहले से ही भूकम्प के लिये संवेदनशील माना गया है ऐसे में इस प्रकार का कोई भी प्रोजेक्ट अन्ततः जनजीवन और सम्पत्ति के लिये विनाशकारी ही सिद्ध होगा।

 

 

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