नोएडा में पानी बन सकता है समस्या

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लगातार भूजल स्तर गिरता जा रहा है। यह संकट लगातर भूजल दोहन से उत्पन्न हो रहा है। इससे आने वाले समय में यहां के लोगों के लिए गंभीर संकट सामने आ सकता है। भूजल में गिरावट आने से जल स्रोत के चट्टान एक्विफर भी दूषित हो रहा है। इससे आने वाले समय में स्वास्थ्य की गंभीर समस्या पैदा हो सकता ही। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने नोएडा के पांच इलाकों में भूजल का अध्ययन कर अपनी रपट जारी की थी। इससे यह साफ होता है कि भूजल के लगातार दोहन से जल स्तर में गिरावट आ रही है। मगर इस रपट के आने के बाद भी यहां पर बड़े पैमाने पर भूजल का दोहन नहीं रुक पाया है।

इस रपट में जिक्र है कि नोएडा समेत जिले में लगातार बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में बेसमेंट का निर्माण हो रहा है। मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में बेमेंट भी दो से तीन स्तर तक के बनाए जा रहे हैं। इनकी वजह से 14 से 16 मीटर तक की खुदाई करनी पड़ रही है। इससे काफी मात्रा में भूजल निकलता है। राज्य सरकार के भूजल विभाग ने शहर में कई स्थानों पर पिजोमीटर ट्यूब्स लगाकर अध्ययन किया था। यह अध्ययन मानसून से पहले और बाद में किया गया। इसके तहत शहर के पांच स्थानों की रपट तैयार की गई है। इसमें सबसे ज्यादा सेक्टर-3 में भूजल स्तर में 5.67 तक गिरावट दर्ज की गई। कहां कितनी गिरावट दर्ज की गई। क्षेत्र मानसून पूर्व मानसून बाद-सेक्टर-15 में 3.96, 3.93, सेक्टर-3 में 3.46, 5.67, सेक्टर-49 3.88, 4.05, सदरपुर में 3.32, 2.72, सेक्टर-30 में 4.08, 4.15 इन आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि खासकर सेक्टर-3 और सेक्टर-30 और सेक्टर-49 इलाके में भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई। यह शहर के लिए खतरे का संकेत है।

देश की आबादी विश्व की करीब 17 फीसद है। लेकिन पीने के लिए पानी की उपलब्धता के मामले में देश में महज चार फीसद ही जल है। ऐसे में भूजल का लगातार दोहन आने वाले दिनों में गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी कई बार अपने संबोधन में भूजल के लगातार गिरने पर चिंता जता चुके हैं। इस पर राष्ट्रीय जल नीति बनाने की पहल लगातार चल रही है। हाल में आई एक रपट में लगातार भूजल दोहन और औद्योगिक क्षेत्रों से रासायनिक अपशिष्ट के रिसाव से भूजल में विषैले तत्व घुल रहे हैं। यह उन स्थानों पर भी होता है। जहां सीवेज को बिना ट्रीटमेंट के ही बहाया जाता है। नोएडा में भी काफी हद तक ही हालत है। रपट के मुताबिक, भूजल में प्लूरोसिस, आर्सेनिक, क्रोमियम, नाइट्रेट जैसे तत्व घुल रहे हैं। इनके अलावा, शीशा और कैडमियम की मात्रा भी बढ़ रही है। फ्लूरोसिस से दांत व हड्डियों में कमजोरी से संबंधित बीमारियां होती हैं। आर्सेनिक इंसान के तंत्रिका तंत्र और बच्चों के बौद्धिक क्षमता पर प्रभाव डालता है। क्रोमियम से कैंसर की आशंका रहती है। नाइट्रेट की मात्रा बढ़ने पर ब्लू बेबी नाम की बीमारी हो सकती है। इसमें सांस संबंधी से लेकर पाचन संबंधी बीमारी का खतरा रहता है। वहीं शीशे की मात्रा बढ़ने से शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बड़े-बड़े बिल्डर जल दोहन करने में लगे हैं। उनकी इस बात की कतई चिंता नहीं है। हालांकि ग्रेटर नोएडा के ओएसडी योगेंद्र यादव ने बताया कि बिल्डरों पर जल दोहन पर रोक लगा दी गई है। अगर को जल दोहन करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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