नमामि गंगे : दक्षिण भारतीय संगीत में भजन

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गंगा स्वच्छता राष्ट्रीय मिशन के साथ बातचीत आखिरी दौर में है। मिशन को भेजा गया विडियो इंटरनेट पर उपलब्ध है। इसे बनारस में फिल्माया गया है। हम सरकार को दिखाना चाहते थे कि इसे वास्तव में कितना प्रभावशाली बनाया जा सकता है। कोष और समय की किल्लत की वजह से हम बहुत कुछ शामिल नहीं कर सके, पर सम्पूर्ण और विस्तृत विडियो तैयार करने की योजना आखिरी चरण में है। नमामि गंगे परियोजना के लिये आदि शंकराचार्य की रचना के आधार पर दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत- कर्नाटकी संगीत में भजन तैयार हुआ है। 2014 में मेडिसन स्क्वायर गार्डेन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को सूनकर संगीतकार भाईयों-श्रीकृष्ण मोहन और रामकुमार मोहन को भजन तैयार करने का विचार आया, उन्होंने एक विडियो की रूपरेखा तैयार की और उसे गंगा स्वच्छता राष्ट्रीय मिशन को भेज दिया। महीने के भीतर उन्हें प्रवासी भारतीय दिवस और गतिशील गुजरात सम्मेलन में प्रस्तुति देने का निमंत्रण मिल गया। दोनों भाई अभी इस संगीत के अनुसार उपयुक्त दृश्यों से युक्त विडियो तैयार करने में लगे हैं।

त्रिचूर ब्रदर्स के नाम से परिचित श्रीकृष्ण मोहन और राममोहन कर्नाटकी संगीत की जानी-मानी हस्ती, मृदंगम के प्रसिद्ध वादक त्रिचूर आर मोहन के पुत्र हैं। इन दोनों ने शिक्षा तो चाटर्ड एकाउंटेंट की पाई, पर संगीत की दुनिया में रम गए। दुनिया भर में उनके कार्यक्रम हो चुके हैं। नमामि गंगे भजन को तीन हिस्सों में तैयार किया गया है। पहले में गंगा की महिमा बताई गई है। दूसरे हिस्से में प्रदूषण और गंदगी के कारणों को दिखाया गया है। तीसरे और आखिरी हिस्से में बताया गया है कि साधारण नागरिक और तीर्थयात्रियों को नदी स्वच्छ रखने के लिये क्या करना चाहिए?

इस सामुहिक गान में उन विदेशी नागरिकों का ध्यान भी रखा है जो गंगा से जुड़े हैं। भारत में गंगा को लेकर कई सामूहिक गान प्रचलित हैं, कई साहित्यिक रचनाएँ- विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध हैं। इसलिये नमामि गंगे का संगीत सारतत्व में दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत जरूर है, पर उसे पश्चिमी संगीत, विश्व संगीत से सजाया गया है। ऐसा धून तैयार किया गया है जिसे सूनकर आँखे बन्द हो जाएँ और अन्तरात्मा के सामने सवाल हो कि गंगा को बचाने में हम क्या योगदान कर सकते हैं? इस भजन का सांगीतिक और साहित्यिक महत्व दोनों है।

गंगा स्वच्छता राष्ट्रीय मिशन से उन्होंने निवेदन किया है कि वे इसे आडियो विडियो फारमेट में तैयार करना चाहते हैं ताकि इसे न केवल सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देखा और सूना जा सके, बल्कि टेलीविजन पर रेलवे स्टेशन और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित किया जा सके। रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से पूरे देश में दिखाया जा सके।

त्रिचूर बंधुओं ने अंग्रेजी पत्रिका स्वराज्य को बताया कि इस संगीत की रचना एक प्रवाह में हुआ, हमें विशेष परिश्रम नहीं करना पड़ा। हमें स्वयं आश्चर्य होता है कि ऐसा संगीत बन गया जो नदी के प्रवाह जैसा है। यह मन्द गति में आरम्भ होता है, धीरे धीरे गति पकड़ता है, ऊँचे सोपान में जाता है और फिर उतर जाता है।

हमें ऐसे दोस्तों की टिप्पणी सूनने को मिली जो गीत की भाषा को नहीं समझते, उन्होंने कहा कि यह सम्भवतः किसी नदी के बारे में है। हमें लगता है कि इसकी रचना प्रक्रिया में किसी दैवी शक्ति का साथ था। हमने अपने फिल्मकार दोस्त दीपिका चंद्रशेखरन से संगीत रचना के बारे में बात की। दीपिका अपनी टीम के साथ बनारस चली गई और गंगा महोत्सव का फिल्मांकन कर लिया जिसमें गंगा आरती का एक बेहतरीन दृश्य भी है। बनावटी विडियो तैयार करने में उसने काफी मेहनत की। इसमें काम करने वाले सभी कलाकार दोस्त हैं। 2 .04 मिनट का विडियो तैयार हुआ है।

गंगा स्वच्छता राष्ट्रीय मिशन के साथ बातचीत आखिरी दौर में है। मिशन को भेजा गया विडियो इंटरनेट पर उपलब्ध है। इसे बनारस में फिल्माया गया है। हम सरकार को दिखाना चाहते थे कि इसे वास्तव में कितना प्रभावशाली बनाया जा सकता है। कोष और समय की किल्लत की वजह से हम बहुत कुछ शामिल नहीं कर सके, पर सम्पूर्ण और विस्तृत विडियो तैयार करने की योजना आखिरी चरण में है। इसमें गंगा के पूरे प्रवाह क्षेत्र को समाहित करने का प्रयास होगा-गंगोत्री, सभी प्रयाग, रुद्र प्रयाग, कर्ण प्रयाग, नंदा प्रयाग, देव प्रयाग, मुंगेर और गंगासागर सभी को समेटा जाएगा।

हम एक कहानी खड़ा करना चाहते हैं जिसमें कथासूत्र बढ़ते हुए चरम बिन्दु पर पहुँचे जहाँ हजार-डेढ़ हजार लोग ‘नाममि गंगे; गा रहे हों। हम इसके साथ कुछ मनमोहक नृत्य संरचनाएं रखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि काम सितम्बर में आरम्भ हो जाये। योजना है कि जर्मन, जापान, चीनी आदि भाषाओं में सब-टाइटिल रखे जाएँ। मांट्रियल में अपने एक कंसर्ट में हमें एक फ्रांसिसी जवान मिला जिसने नाममि गंगे को आनलाइन देखा था। उसे यह पसन्द आया और उसने अपने कई दोस्तों को इसके बारे में बताया।

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Post By: RuralWater
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