निर्मलता की दरकार है बड़े तालाब को

भोपाल का बड़ा तालाब लंबे समय से अतिक्रमण एवं प्रदूषण का शिकार है। आसपास के इलाकों में अतिक्रमण हो जाने से तालाब सिकुड़ता जा रहा है। सबसे दुःखद बात तो यह है कि अथक प्रयासों के बावजूद कैचमेंट क्षेत्र को प्रदूषण रहित नहीं बनाया जा सका है, जिसके कारण तालाब का प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। तालाब को अतिक्रमण से बचाने के लिए कैचमेंट क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्र में निर्माण कार्यों पर लगाम लगाने एवं अतिक्रमण हटाने की कवायद नहीं हो पा रही है।

बड़े तालाब को भोपाल का लाइफलाइन माना जाता है, क्योंकि इसका पानी पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसे प्रदूषण से बचाने के लिए कई योजनाओं को बनाया गया, पर सफलता कोसों दूर है। तालाब के कैचमेंट क्षेत्र में होनेवाली खेती में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का उपयोग किए जाने से तालाब में आने वाला पानी जहरीला होता है, जिससे तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है। इसके साथ ही आसपास के गांवों में एकत्रित कचरा एवं मल-मूत्र भी तालाब में आता है, जो लाइफ लाइन की लाइफ को कम कर रहा है।

सरकार ने तालाब को प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए कैचमेंट क्षेत्र के गांवों को पूर्ण रूप से जैविक खेती वाले गांवों में तब्दील करने की योजना बनाई थी, जिसे अभी तक अमल में नहीं लाया जा सका है। इसी तरह आसपास के गांवों को निर्मल ग्राम बनाना था, पर यह भी पूरा नहीं हो पाया है। 18 गांवों में से महज 5 गांव ही निर्मल ग्राम हो सके हैं।

सरकारी प्रयास से कुछ हद तक ही सफलता मिल पाई है, जो कि पर्याप्त नहीं है। पंचायत विभाग शेष 13 गांवों को निर्मल ग्राम बनाने का तेज प्रयास कर रहा है। इसके अलावा कैचमेंट क्षेत्र में कृषि विभाग भी जैविक खाद को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है, जिसके लिए क्षेत्र में वर्मी कंपोस्ट पिट एवं अन्य कई निर्माण कार्य भी किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि कैचमेंट क्षेत्र में लगभग 7 हजार परिवार एवं 40 हजार से ज्यादा आबादी निवासरत है।

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