बड़ी झील!
तुम्हारी ऊपरी नीली जल सतह
और उसके ऊपर नीला आसमान
दोनों के बीच उड़ते परिन्दों से
ख्यात चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के
कैनवास की उड़ती चिड़िया
नीले रंग पर बातचीत में मगन है
इसी नीलांश में
सालिम अली के पंक्षी-प्रेम पर
अपनी बोली-बानी में परिन्दे कर रहे हैं विचार-विमर्श
बूँदें चुगने के बाद
उड़ते परिन्दे कभी-कभी
अपने जल-मंत्र बुदबुदाते रहते हैं बड़ी झील!
जो हमारी कविता में
शब्दों के रूप में अक्सर
पुनर्जन्म लेते रहते हैं!
तुम्हारी ऊपरी नीली जल सतह
और उसके ऊपर नीला आसमान
दोनों के बीच उड़ते परिन्दों से
ख्यात चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के
कैनवास की उड़ती चिड़िया
नीले रंग पर बातचीत में मगन है
इसी नीलांश में
सालिम अली के पंक्षी-प्रेम पर
अपनी बोली-बानी में परिन्दे कर रहे हैं विचार-विमर्श
बूँदें चुगने के बाद
उड़ते परिन्दे कभी-कभी
अपने जल-मंत्र बुदबुदाते रहते हैं बड़ी झील!
जो हमारी कविता में
शब्दों के रूप में अक्सर
पुनर्जन्म लेते रहते हैं!
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