नहर किनारे खेत, फिर भी फसलों को नहीं मिल रहा पानी

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भीषण गर्मी के चलते क्षेत्र का भूजल स्तर काफी नीचे गिर गया है। जिससे कुएँ व अन्य जलस्रोतों में भी सिंचाई व मवेशियों को पिलाने के लिये पानी नहीं बचा है। मानसून में भी देरी है। ऐसे में पानी के अभाव में किसानों की फसलें सूख रही हैं। जबकि द्वितीय चरण की नहरों में पानी नदी व नालों में व्यर्थ बहाया जा रहा है।

धार। क्षेत्र के हजारों किसानों को खेती के लिये पानी उपलब्ध हो सके, इसके लिये सरकार ने अरबों-खरबों रुपए खर्च कर ओंकारेश्वर परियोजना अन्तर्गत एक से लेकर चार चरणों तक नहर निर्माण किया। इसके बाद किसानों के खेतों को इससे जोड़ा है, लेकिन कहीं पर सही तरीके से नहर निर्माण नहीं होेने तथा कहीं अधिकारी-कर्मचारियों की मनमानी के चलते किसानों को इस योजना का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।

नहर किनारे खेत है। बावजूद खेतों में खड़ी फसलों को पानी नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते भीषण गर्मी में किसानों की लाखों रुपए की फसल सूखकर बर्बाद होने की कगार पर है। हालात यह है कि किसानों को अपने मवेशियों तक को पानी पिलाने में दिक्कत आ रही है।

ओंकारेश्वर परियोजना की तृतीय चरण की नहर द्वारा पानी नहीं छोड़ने से अपनी सूखती फसलों की बर्बादी की गुहार लेकर सुन्द्रैल, धामनोद, पेटलावद, झाकरूड़, डोंगरगाँव, पंधानिया, सेमल्दा, धोगदा, पिपल्याखेड़ी व धनखेड़ी के बड़ी संख्या में किसान मनावर पहुँचे। किसानों ने ओंकारेश्वर परियोजना के एई आरपी उईके से मुलाकात कर नहर द्वारा अतिशीघ्र पानी छोड़ने की माँग की।

चार माह से नहीं मिला पानी, सूख रही फसलें


धामनोद मंडी प्रतिनिधि कैलाश वर्मा, जल उपभोक्ता समिति क्रमांक 6 सुन्द्रैल के कमलेश लाडुला, जल उपभोक्ता समिति क्रमांक 5 पंधानिया के राजू बघेल, वीरेंद्र पाटीदार सेमल्दा, दीपक पटेल भवानिया, नरेंद्र पाटीदार, कुलदीप पाटीदार , देवराम, पप्पू चौहान, राघवेंद्र मुकाती, सुनील पाटीदार, अश्विन पाटीदार, जितेंद्र सोलंकी, देवराम राठौर, राजू सोलंकी, कान्हा राठौर सहित अन्य किसानों ने बताया कि ओंकारेश्वर नहर परियोजना तृतीय चरण के अन्तर्गत कुक्षी से धामनोद तक 110 किमी के क्षेत्र में इस भीषण गर्मी में नहरों द्वारा पानी नहीं छोड़ने से किसानों की मक्का, कपास इत्यादि की फसलें सूख रही है। पानी बन्द करे चार माह बीत चुके हैं।

भीषण गर्मी के चलते क्षेत्र का भूजल स्तर काफी नीचे गिर गया है। जिससे कुएँ व अन्य जलस्रोतों में भी सिंचाई व मवेशियों को पिलाने के लिये पानी नहीं बचा है। मानसून में भी देरी है। ऐसे में पानी के अभाव में किसानों की फसलें सूख रही हैं। जबकि द्वितीय चरण की नहरों में पानी नदी व नालों में व्यर्थ बहाया जा रहा है।

एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के पास दौड़ा रहे हैं


किसानों ने बताया कि इस सम्बन्ध में जब हम तृतीय चरण के एई उईके से मिले तो उन्होंने द्वितीय चरण के एई आरएस गुप्ता मंडलेश्वर से चर्चा कर तो दो-तीन दिन में पानी छोड़ने की बात बताई थी। इसके बावजूद पानी नहीं छोड़ा गया। इस पर किसानों ने सांसद सावित्री ठाकुर से शिकायत की थी, तब गुप्ता ने पानी छोड़ने में अपनी असमर्थता जताते हुए इसे ओंकारेश्वर परियोजना के इंजीनियर एमएस अंजनिया के अधिकार क्षेत्र का बताया था।

इस पर किसानों ने अंजनिया से बात की, तो उन्होंने कहा था कि जब तक नहर का पानी आखिरी टेल तक नहीं पहुँचेगा, तब तक पानी नहीं छोड़ेंगे। तृतीय चरण के अन्तर्गत इस क्षेत्र में नहर कच्ची है, जिससे आखिर टेल तक पानी नहीं पहुँच पा रहा हैै। वहीं किसानों ने बताया कि कुछ दूर जरूर नहर कच्ची है, लेकिन यह पहाड़ी क्षेत्र है। यहाँ आखिरी टेल तक पानी आसानी से पहुँचेगा। पानी के नुकसान वाली कोई बात नहीं है।

किसानों ने आरोप लगाया कि द्वितीय चरण की नहरों में पानी व्यर्थ बहाया जा रहा है। वहीं तृतीय चरण के अन्तर्गत नहरों में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। अधिकारियों द्वारा महेश्वर व धामनोद के बीच के कच्चे स्थान पर मिट्टी डालकर पानी आगे जाने से रोक दिया गया है। ऐसे में अब किसान अपनी फसलों की चिन्ता के साथ अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं अधिकारी उन्हें एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के पास दौड़ा रहे हैं।

तीन क्षेत्रों में एक साथ पानी नहीं छोड़ पाते


ओंकारेश्वर मेन डैम में 191 के लेबल पर स्टे लगा है। जबकि वह 196.6 के लेबल तक पूरा भरा पाता है। डैम में पानी कम होने की वजह से ज्यादा प्रेशर नहीं बन पाता है। इस वजह से तीन क्षेत्रों में एक साथ पानी नहीं छोड़ पाते हैं। अभी हम कसरावद क्षेत्र व सीसलिया तालाब की ओर पानी छोड़ रहे हैं। इस ओर भी नजरपुर तक पानी छोड़ा गया है। कसरावद के 64 किमी क्षेत्र में से 56 किमी तक पानी छोड़ दिया गया है। आखिरी टेल तक पानी पहुँचने में दो-तीन दिन लगेंगे। वहाँ की आपूर्ति होने के बाद इंजीनियर एमएस अजनारे के निर्देशानुसार रविवार-सोमवार तक उक्त क्षेत्र में पानी छोड़ पाएँगे।

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Post By: RuralWater
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