अरसे से बंद पड़ी 24 जल विद्युत परियोजनाओं को शुरू करने का रोडमैप बजट में नहीं दिखा। सरकार ने बजड 2020-21 में ग्रामीण क्षेत्रों को रोशन करने और आण उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान की दिशा में उपलब्धियां तो गिनाईं, लेकिन बिजली उत्पादन और बिजली सस्ती करने की दिशा में कदम बढ़ाने की कोशिश नहीं दिखी।
उत्तराखणअड में बढ़ते उद्योग और कल-कारखानों से यहां रोजगार की सम्भावनाएं तो बढ़ाई हैं, लेकिन यहां एक बात गौर करने वाली यह है कि राज्य में बिजली उन प्रदेशों से महंगी है, जहाँ विद्युत का उत्पादन नहीं होता।
दरअसल उत्तराखण्ड की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 4400 मिलियन यूनिट है। जबकि इसके सापेक्ष खपत यहां 6000 मिलियन यूनिट से अधिक है। ऊर्जा प्रदेश होते हुए भी बिजली खरीदनी पड़ रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि वर्तमान में 24 जल विद्युत परियोजनाएं शुरू हो जाएं तो राज्य को बाहर से बिजली खरीदने की नौबत नहीं आएगी और बिजली भी सस्ती हो सकती है।
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