उमा भारती ने कहा कि पानी की कोई कमी नहीं है और बारिश के पानी के संचयन जैसे उपायों के जरिए पानी के संरक्षण की आवश्यकता है। नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने देश में नदियों को आपस में जोड़े जाने की आवश्यकता पर बल दिया है। भारती ने कहा कि इस परियोजना से 90 प्रतिशत खेती योग्य भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
उमा भारती ने जल संसाधन के अधिकतम उपयोग से संबंधित मुद्दे पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते कहा कि नदियों को आपस में जोड़े जाने से देश में कुल कृषि भूमि के 90 प्रतिशत हिस्से में सिंचाई सुविधा मुहैया हो जाएगी। इस सम्मेलन का नाम ‘जल मंथन’ रखा गया है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कृषि भूमि के 40 प्रतिशत हिस्से में ही सिंचाई की सुविधा है जहां से कुल उत्पादन का 55 प्रतिशत आता है। शेष 60 प्रतिशत कृषि भूमि बारिश पर निर्भर है और यहां से 45 प्रतिशत उत्पादन आता है।
उमा भारती ने कहा कि पानी की कोई कमी नहीं है और बारिश के पानी के संचयन जैसे उपायों के जरिए पानी के संरक्षण की आवश्यकता है। इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि 86 प्रतिशत पेयजल आपूर्ति योजनाएं भूमिगत जल पर निर्भर हैं और जल सुरक्षा की योजना पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा कि मंत्रालय ने 10 राज्यों के 15 प्रायोगिक ब्लॉकों में व्यापक योजना शुरू की है। यह योजना पंचायती राज संस्थानों की सक्रिय सहभागिता के साथ सभी उपयोगकर्ताओं के लिए जल सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए है।
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम का कार्यान्वयन किया जा रहा है ताकि चरणबद्ध तरीके से देश के सभी नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में पेयजल मुहैया कराया जा सके।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश में कार्तिक पूर्णिमा मेले के दौरान गंगा के किनारे जमा हुए ठोस अपशिष्ट के निस्तारण का निर्देश देने की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। एनजीटी के प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार तथा अन्य को नोटिस जारी किया और मामले में आगे विचार करने के लिए 19 दिसंबर की तारीख तय की।
अधिकरण उत्तर प्रदेश निवासी कृष्णकांत सिंह और एनजीओ सेफ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आयोजकों और जिला प्रशासन को मेले के दौरान उचित बंदोबस्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि गंगा नदी में प्रदूषण नहीं हो।
वकील राहुल चौधरी के माध्यम से दाखिल याचिका में दलील दी गई है कि हाल ही में एक से छह नवंबर तक गंगा तटों पर कार्तिक पूर्णिमा का मेला लगा। याचिका में कहा गया कि मेले में आने वाले ग्रामीण नदी किनारे रहते हैं, खाना पकाते हैं और वहीं बर्तन भी धोते हैं। इसके साथ वे उसी जगह पर प्लास्टिक, थर्मोकॉल, बोतलें और अन्य अपशिष्ट पदार्थ फेंक देते हैं।
याचिका के अनुसार, ‘प्रतिवादियों को उत्तर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर, बृजघाट और हापुड़ के पूठ तथा अमरोहा जिले के टिगरी गांव में गंगा के किनारे पूरी पट्टी को साफ करने का निर्देश दिया जाए।’
उमा भारती ने जल संसाधन के अधिकतम उपयोग से संबंधित मुद्दे पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते कहा कि नदियों को आपस में जोड़े जाने से देश में कुल कृषि भूमि के 90 प्रतिशत हिस्से में सिंचाई सुविधा मुहैया हो जाएगी। इस सम्मेलन का नाम ‘जल मंथन’ रखा गया है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कृषि भूमि के 40 प्रतिशत हिस्से में ही सिंचाई की सुविधा है जहां से कुल उत्पादन का 55 प्रतिशत आता है। शेष 60 प्रतिशत कृषि भूमि बारिश पर निर्भर है और यहां से 45 प्रतिशत उत्पादन आता है।
उमा भारती ने कहा कि पानी की कोई कमी नहीं है और बारिश के पानी के संचयन जैसे उपायों के जरिए पानी के संरक्षण की आवश्यकता है। इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि 86 प्रतिशत पेयजल आपूर्ति योजनाएं भूमिगत जल पर निर्भर हैं और जल सुरक्षा की योजना पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा कि मंत्रालय ने 10 राज्यों के 15 प्रायोगिक ब्लॉकों में व्यापक योजना शुरू की है। यह योजना पंचायती राज संस्थानों की सक्रिय सहभागिता के साथ सभी उपयोगकर्ताओं के लिए जल सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए है।
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम का कार्यान्वयन किया जा रहा है ताकि चरणबद्ध तरीके से देश के सभी नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में पेयजल मुहैया कराया जा सके।
गंगा किनारे कचरा जमा होने पर एनजीटी ने केंद्र से जवाब मांगा
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश में कार्तिक पूर्णिमा मेले के दौरान गंगा के किनारे जमा हुए ठोस अपशिष्ट के निस्तारण का निर्देश देने की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। एनजीटी के प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार तथा अन्य को नोटिस जारी किया और मामले में आगे विचार करने के लिए 19 दिसंबर की तारीख तय की।
अधिकरण उत्तर प्रदेश निवासी कृष्णकांत सिंह और एनजीओ सेफ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आयोजकों और जिला प्रशासन को मेले के दौरान उचित बंदोबस्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि गंगा नदी में प्रदूषण नहीं हो।
वकील राहुल चौधरी के माध्यम से दाखिल याचिका में दलील दी गई है कि हाल ही में एक से छह नवंबर तक गंगा तटों पर कार्तिक पूर्णिमा का मेला लगा। याचिका में कहा गया कि मेले में आने वाले ग्रामीण नदी किनारे रहते हैं, खाना पकाते हैं और वहीं बर्तन भी धोते हैं। इसके साथ वे उसी जगह पर प्लास्टिक, थर्मोकॉल, बोतलें और अन्य अपशिष्ट पदार्थ फेंक देते हैं।
याचिका के अनुसार, ‘प्रतिवादियों को उत्तर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर, बृजघाट और हापुड़ के पूठ तथा अमरोहा जिले के टिगरी गांव में गंगा के किनारे पूरी पट्टी को साफ करने का निर्देश दिया जाए।’
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Post By: pankajbagwan