नदी

(1)
नदी ने जो सहा
नदी जानती है
उसके दो किनारे हैं
उनका शासन भी
वह मानती है
जहाँ भी वह जाती है
उन्हें अपने साथ पाती है
(2)
नदी तो बहती है, बहेगी
वह थिर क्यों रहेगी

(3)
नदी को समुद्र से
जा मिलने की इच्छा है
तीव्र इच्छा

लेकिन समुद्र
उसे,केवल उसे, चाहता है

समुद्र से मिलने के लिए
उसे किनारों को छोड़ना होगा
अपने आप को
जाने कितने रास्तों से मोड़ना होगा

कभी-कभी ऐसा करती भी है नदी
हो जाती है उद्दाम
किनारे तोड़
समुद्र बन जाती है नदी

(4)
मैं नदी में उतरता हूँ
जैसे आदमी
औरत में
औरत की दुनिया में
उतरता है
अपने आपको खो देने के लिए
जैसे आदमी
नींद में उतरता है

(5)
उसी नदी में
दोबारा स्नान करना
असंभव है-
यह जाना तो
नदी पर जाना ही छोड़ दिया
इतना चाहा कि
भुलाना ही छोड़ दिया।

1985-89

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