नदी

इसी काली भैंस ने खा लिया था मेरा तहमद
बनियान तो खैर मैंने इसके हलक से खींच लिया था

कभी-कभी यह डकराती और पूँछ मारती थी
जिससे कछुए निकल भागते थे

मेरा बहुत-सा साबुन इसके पेट में चला गया

इसी के पेट ने हजम कर ली थी मेरी बाल्टी
पर बदले में इसने उदारता से एक दिन
मुझे प्रदान कर दिया था
न जाने किसका लोटा

बकरियाँ इसके पास जाने से बहुत डरती थीं
यह मुझे अपनी पीठ पर सवार होने देती थी
खूब घुमाती थी
और कभी गिराती नहीं थी।

Path Alias

/articles/nadai-0

Post By: admin
×