गंगा-यमुना के दोआब के 139 गांव हर साल जूझते हैं बाढ़ की समस्या से
फतेहपुर, 18 जून। गंगा-यमुना के दोआब स्थित 139 गांवों के लोगों के सिर पर मंडराते बाढ़ के खतरे से निपटने की प्रशासन ने कागजी तैयारी तो पक्की कर ली है लेकिन हकीकत में बाढ़ आने की स्थिति में आवश्यक संसाधनों को ही पूरा नहीं किया जा रहा है। हालत यह है कि न पर्याप्त नाव हैं न गाड़ी। फिर भी बाढ़ से निपटने की तैयारी की जा रही है। बाढ़ चौकियों में चिकित्सकों को तैनात कर दिया गया है लेकिन हकीकत यह है कि अधिकारी व चिकित्सक अपने मुख्यालयों पर कभी रुकते ही नहीं हैं। सूखे के बढ़ रहे आसार से भले ही बाढ़ के फिलहाल हालात न बन रहे हों और अधिकारी इसको लेकर इत्मिनान में हैं लेकिन अगर कहीं बाढ़ की विभीषिका से लोगों को गुजरना पड़ा तो हालात गंभीर होंगे। जनपद में गंगा व यमुना दो ऐसी नदियां है जो अपने-अपने क्षेत्रों में दर्जनों गांवों को बरसात के मौसम में चपेट में लेती हैं।
जरा-सी बरसात लोगों को घर-बार छोड़ने को मजबूर कर देती है। अभी तक यहां सूखे जैसे हालात हैं। बीते साल जून में झमाझम पानी बरस चुका था लेकिन अभी आधा जून निकल गया है लेकिन पानी नहीं बरसा। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 33 सदस्यीय जिला बाढ़ सहायता समिति बनाई गई है। इसके अलावा तहसील क्षेत्रों में विधायकों की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय बाढ सहायता समिति बनाई गई है। जिसमे उप जिलाधिकारी सदस्य हो। बाढ़ से निपटने के लिए 24 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं।
हकीकत में बाढ़ आने की स्थिति में आवश्यक संसाधनों को ही पूरा नहीं किया जा रहा है। हालत यह है कि न पर्याप्त नाव हैं न गाड़ी। फिर भी बाढ़ से निपटने की तैयारी की जा रही है। बाढ़ चौकियों में चिकित्सकों को तैनात कर दिया गया है लेकिन अधिकारी व चिकित्सक अपने मुख्यालयों पर कभी रुकते ही नहीं हैं।सदर तहसील में आदमपुर, खानपुर, हाजीपुर गंगा, खुसरूपुर, उन्नौर, भिटौरा, आलपुर नरही, कैंडेपुर, पट्टी, मिट्ठनपुर, मातिमपुर, मिर्जापुर, तालुके, सेनपुर, जमरांवा, गोपालपुर, चकपिहनी, भदसरी, फिरोजपुर, सिहार, देवरानार, महोबा, नरौली बुजुर्म, कोटवी, रामनगर कौहन, सरकंडी, सुसवन, ओती, लतौली, गढ़ी, महना, लमेहटा, ललौली, कोडार, उरौली, अढ़वल, ससौली, दशहरी, सेमरई, रेंह, कोर्रा कनक, देवलान, लिलरा, गोकन, सेवरामऊ, सरवल, परसेंठा, घाटमपुर हैं।
बिंदकी तहसील में नौ बाढ़ चौकियां बनाई गई है इनमें गलाथा, कौड़िया, अभयपुर, आसिफपुर, छिवली, मानिकपुर, सगुनापुर, शिवराजपुर, भाऊपुर, दमौतीखेड़ा, थानपुर, गुनीर, मवइया, पुरानी कटरी, मदोकीपुर, गोविंदपुर, कोटिया, किशनपुर, भियामऊ, रावतपुर, लहंगी, देवमई, सुल्तानपुर, दरियाबाद, गुगौली, मौहारी, सैबसी, जमरौली, बिंदौर, कुकेरी, गजईपुर, धौरहरा, ककोरा, चांदपुर, चकनौरोजअली, बारा, बरवा, परसेठा, मवई, दपसौरा, रुस्तमपुर, रिठवां गांव ऐसे हैं जहां के लोग बरसात के मौसम में बाढ़ की विभीषिका से जूझते हैं।
खागा तहसील क्षेत्र में आठ बाढ़ चौकियां बनाई गई है जहां बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग आपदा के समय डेरा डालेंगे। खागा तहसील में कोतला, अमिलिहापाल, अखरी, अकबरपुर, चैराई, पूहन, खालिसपुर, जहांगीरपुर, जाफराबाद, वासलाबाद, सूरजपुर, मकदूमपुर कला, समोपुर, बैगांव, डगडगी, ताहिरपुर, देवचला, चकमियापुर, पहाड़पुर, पैगंबरपुर, इजूरा खुर्द, किसोई, बुधेडा, खरगूपुर, बरगला, रसूलपुर, भडरा, मंडवा, एकौनागढ़, बघौली, हसनपुर कसार, बुरवल, मढ़ौली, विकौरा, गढीवा, मजगवां, रायपुर, भसरौल, किशनपुर, एकडला, असहट, तिहार, गढा, क्रोट , खरखर, गाजीपुर, करवेजपुर, सलेमपुर, धराव, चकशाहजहांपुर, रानीपुर, ऐरई, किशनपुर, सेमरी गांव के लोग बाढ़ की समस्या से जूझते है।
हर बाढ केंद्र में टार्च, पेट्रोमेक्स, रस्सा, लाइफ बेल्ट, रस्सी, प्लास्टिक मग की व्यवस्था करने के निर्देश जरूर हैं लेकिन बाढ़ से बचने के लिए पांच दर्जन के करीब प्राइवेट नावें हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए केवल दो वाहन ही उपलब्ध हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के मार्गों को दुरुस्त करने सहित अन्य संसाधनों की व्यवस्था करने के निर्देश जारी जरूर कर दिए गए हैं लेकिन इन पर अमल बमुश्किल से होता है। लोगों और पशुओं के बाढ़ के दौरान स्वास्थ्य समस्या को देखते हुए हर बाढ़ चौकी में चिकित्सकों तक की तैनाती कर दी गई है। लेकिन हकीकत में बाढ़ के दौरान की बात कौन करे लोगों व पशुओं का इलाज करने वाले चिकित्सक निर्धारित किए गए अपने-अपने मुख्यालयों में रुकते ही नही है।
बाढ़ प्रभारी अपर जिलाधिकारी रामचंद्र ने बताया है कि बाढ़ से निपटने के लिए सारे संसाधनों की व्यवस्था कर ली गई है, बाढ़ चौकियां बना दी गई है। चिकित्सकों समेत खानपान एवं अन्य व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारियों को हिदायत दे दी गई है।
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Post By: pankajbagwan