मुल्लापेरियार बांध : केरल में एक और आपदा की आशंका

मुल्लापेरियार बांध (स्रोत: विकिपीडिया कॉमन्स, फोटो - जयेश)
मुल्लापेरियार बांध (स्रोत: विकिपीडिया कॉमन्स, फोटो - जयेश)

कोच्चि, वायनाड में भूस्खलन और बाढ़ के बाद केरल में एक और बड़ी आपदा आने वाली है। इस बाढ़ में 400 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और 300 घर नष्ट हो गए। पेरियार नदी पर बना 130 साल पुराना मुल्लापेरियार बांध टूटने के कगार पर है और इससे राज्य के पांच जिलों की पूरी आबादी खत्म होने की आशंका है। हालांकि बांध केरल में है, लेकिन जलग्रहण क्षेत्र का पूरा पानी तमिलनाडु में जाता है. जो यह शोर मचा रहा है कि मुल्लापेरियार बांध सुरक्षित है। लेकिन बांध निर्माण और सुरक्षा के विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं। हालांकि तुंगभद्रा बांध कर्नाटक में है, लेकिन बाढ़ के पानी से चेन लिंक टूटने के कारण इसके एक गेट के बहने की खबर ने केरल के पांच जिलों के लोगों को हिला कर रख दिया है। 

1953 में बने तुंगभद्रा बांध और 130 साल पहले केरल में बने मुल्लापेरियार बांध में काफी समानताएं हैं। दोनों को सुरखी, मोर्टार, मिट्टी और चूना पत्थर से बनाया गया है, जो उन्हें भारत में अंतिम जीवित गैर-सीमेंट बांध बनाता है। तमिलनाडु के चार जिलों की पीने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के एकमात्र उद्देश्य से केरल में पेरियार नदी पर बनाया गया मुल्लापेरियार बांध आधुनिक समय का जल बम बन गया है। बांध के टूटने के बाद इडुक्की, पथानामथिट्टा, अलपुझा, कोट्टायम और एर्नाकुलम जिलों में रहने वाले लोग जलप्रलय में डूब जाएंगे। राज्य के सात बार के विधायक पी सी जॉर्ज ने कहा, यह कभी भी हो सकता है, क्योंकि बांध अपनी उपयोगिता खो चुका है। पीसी जार्ज एक नया बांध बनाने के लिए अधिकारियों के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। जॉर्ज ने कानून निर्माता और विधान सभा की याचिका समिति के अध्यक्ष के रूप में अपनी 35 साल की लंबी सेवा में अधिकारियों को तीन व्यापक रिपोर्ट सौंपी थीं उन्होंने कहा कि मुल्लापेरियार बांध के ढहने का असर वायनाड में 1,000 भूस्खलनों के नतीजों जैसा होगा। उन्होंने कहा, बूढ़े और बच्चे एक दिन भी ठीक से सो नहीं पाते क्योंकि उन्हें डर रहता है कि बांध कभी भी गिर सकता है। यह पश्चिमी घाट के ऊपर है और आप बांध से निकलने वाले पानी की तीव्रता का अंदाजा नहीं लगा सकते क्योंकि निकासी और बचाव अभियान के लिए कोई समय नहीं होगा।

मुल्लापेरियार बांध 53.67 मीटर ऊंचा और 365.85 मीटर लंबा है। कोट्टायम जिले के पूर्व राजस्व अधिकारी पीएनएस नंबूदरी ने कहा, बांध की सक्रिय क्षमता 10.56 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी फीट) है। भूवैज्ञानिकों ने हमें आगाह किया है कि बांध उच्च तीव्रता वाले भूकंपों के लिए असुरक्षित है क्योंकि फॉल्ट लाइन जलाशय से होकर गुजरती है। जबकि तमिलनाडु सरकार ने बांध के संभावित टूटने की खबरों का मजाक उड़ाया, लेकिन यह मदुरै में भारतीय न्यूट्रिनो वेधशाला का विरोध करने में कई कदम आगे निकल गई, इस बहाने कि फॉल्ट लाइन प्रस्तावित परियोजना के लिए निर्धारित क्षेत्र से होकर गुजरती है।

लेकिन फॉल्ट लाइन मुल्लापेरियार बांध के खतरनाक रूप से करीब है। भूकंप विशेषज्ञों और भूवैज्ञानिकों ने चेतावन दी है कि सुरखी और मोर्टार से बना यह बांध अपनी उपयोगिता खो चुका है और इसे जल्द से जल्द बंद कर दिया जाना चाहिए। आईआईटी दिल्ली के डॉ. एके गोसाई, जिन्होंने बांध के सुरक्षा पहलुओं का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम का नेतृत्व किया था, उन्होंने 2011 में ही एक नए बांध के निर्माण का आह्वान किया था। उन्होंने इस अखबार से कहा था, मैं यह नहीं कहता कि मुल्लापेरियार कल ढह जाएगा। लेकिन जलविज्ञानी के दृष्टिकोण से बांध सुरक्षित नहीं है। मुल्लापेरियार के बहने पर ऊपर बताए गए पाँच जिलों के 40 लाख से ज्यादा लोग मारे जाएंगे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टलिन द्वारा मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में पांच करोड़ रुपए दान करने के कदम को केरल में राज्य सरकार की चुप्पी को भुनाने की चाल के रूप में देखा जा रहा है। जॉर्ज ने कहा, जिस 8100 एकड़ जमीन पर बांध बनाया गया है, वह केरल की है। और बांध का निर्माण त्रावणकोर राज्य द्वारा दिए गए पैसे से किया गया है। तमिलनाडु को इसका फायदा मिल रहा है और वह इसे खा भी रहा है।

कुमार चेल्लप्पन पेशे से पत्रकार हैं, यह आलेख उनके पायनियर हिंदी में प्रकाशित शीर्षक ‘मुल्लापेरियार बांध : केरल में एक और आपदा की आशंका’ से साभार।

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Post By: Kesar Singh
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