मर्ज बांटती आयड

उदयपुर। शहर के मध्य से गुजरती आयड नदी के दोनों किनारों से सौ-सौ मीटर तक का भूमिगत जल मानव स्वास्थ्य के लिए हर दृष्टि से हानिकारक साबित हो चुका है। नदी में लगातार बहते गंदे नालों के कारण ही प्रदूषण की यह सौगात मिली है।

हालांकि जिम्मेदार विभागों ने तो कभी नदी क्षेत्र का जल शीशी में भरकर प्रयोगशाला नहीं भेजा, लेकिन बायोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. जी. एस. देवडा व डा. श्वेता शर्मा के निर्देशन में विद्यार्थियों ने अपने शोध में साफ कर दिया कि आयड नदी क्षेत्र का भूमिगत जल किसी भी सूरत में मानव के पीने योग्य नहीं है। इस पानी में विभिन्न बीमारियां फैलाने वाले जीवाणु भी बहुतायत में है। डा. देवडा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से की गई तुलना में सामने आया कि आयड नदी क्षेत्र का पानी अत्यधिक कठोर और क्षारीय है। आक्सीजन की मात्रा बहुत कम होने से इसे पीने से विभिन्न मर्ज होने की आशंका बढ जाती है।

डा. देवडा ने बताया कि तय मानक को देखते हुए पीने लायक पानी में पीएच 7 होना चाहिए। इससे नीचे होने पर पानी में अम्लीय और ऊपर होने पर क्षारीय मात्रा अधिक होगी। दोनों स्थिति में पानी मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। इसके विपरीत आयड नदी क्षेत्र के पानी में पीएच 9.27 है। यही स्थिति शहर के स्वरूप सागर में एकत्र पानी की है।

उल्लेखनीय है कि शहर से निकल रही आयड नदी में बदेला-बडगांव से लेकर मादडी-कानपुर तक दोनों किनारे बसे आबादी क्षेत्र से अनेक गंदे नाले गिर रहे हैं। नदी में बारह माह मानव मलजल बहता रहता है।

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