मंडलसेरा के वृक्ष प्रेमी मलड़ा समाज के लिए बने मॉडल

प्रस्तुति :- घनश्याम विद्रोही


आज भी हरेला त्यौहार के दिन पौध लगाने का रिवाज पहाड़ में प्रचलित है। लोग अपने घरों में पौध लगाना नहीं भूलते। यदि यह सिलसिला साल भर चले तो पहाड़ पूरी तरह हरा-भरा हो जाए। यही संदेश मंडलसेरा के वृक्ष प्रेमी किशन सिंह मलड़ा लोगों को दे रहे हैं। उन्हें पौधारोपण तथा बीज शोधन में महारथ हासिल हो गई है। मलड़ा कहते हैं कि जब पेड़ लगाओ तब हरेला। हमारे बुजुर्गों ने इस त्यौहार को तभी अपनाया होगा। हरियाली किसकी आँखों को नहीं भाती ?

मलड़ा पूर्व में ग्राम प्रधान थे, लेकिन महिला सीट आने पर अब उनकी पत्नी गाँव की प्रधान हैं। पौध लगाना और उसकी देखरेख करना बचपन से उनके शौक में शुमार है। अब गाँव की खाली भूमि में विभिन्न प्रजातियों के पौधे लहलहाने लगे हैं। पौध और बीज आदि का शोधन भी वे स्वयं करते हैं। उन्हें अब वृक्ष प्रेमी के नाम से भी जाना जाने लगा है। मंडलसेरा गाँव में खेती के लिए जगह नहीं बची। 1997 में जिला बनने के बाद शिक्षा, व्यवसाय तथा नौकरी आदि के लिए लोगों का यहाँ पलायन हुआ। अधिकतर भूमि में लोगों ने मकान बना लिए हैं। खेती-पाती तो उजड़ गई, लेकिन बची हुई भूमि में दस सालों से मलड़ा पौध रोपण का कार्य कर रहे हैं। दस नाली भूमि में पौध उगाकर गाँव को पूरा जंगल का रूप देने में लगे हैं। उनकी मेहनत रंग भी लाई है। मंडलसेरा गाँव में चारों ओर इस तपती धरती में भी हरियाली देखी जा सकती है। उन्होंने बाँज, फल्यांट, सिलिंग, अखरोट, रुद्राक्ष, पांगर, उतीस, अमरूद, आँवला, हरड़, बहड़, तेजपात, रिंगाल, बेलपत्री तथा पारिजात के पौध लगा दिए हैं। उन्हें ग्रामीणों का भी सहयोग मिल रहा है। लोग पौध लगाने की विधि उनसे पूछते हैं। छायादार वृक्ष जहाँ हजारों प्राणियों को छाया दे रहे हैं, वहीं गाँव में पानी के स्रोत भी बनने लगे हैं। गाड़-गधेरों से भूकटाव की समस्या से भी निजात मिली है। मलड़ा ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में भी ‘शहीद स्मारक वन’ तैयार किया है। अब वह इसके विस्तार के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

मलड़ा में एक और भी खूबी है। वह पेड़-पौधों से जितना प्यार करते हैं, उतना ही पेड़ लगाने वालों से भी। यदि उनसे कह दिया जाए कि उन्हें पौध चाहिए तो वह दिन रात एक कर निःशुल्क भाव से पौधे संबंधित व्यक्ति के घर तक पहुँचाना नहीं भूलते। एक चाय पीकर, उनसे पेड़ों की कीमत लेने से भी इंकार कर देते हैं। जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर जिला जजी तक उनके द्वारा तैयार पौधे लगाए गए हैं। वन विभाग ने गत साल उनकी सेवा के लिये उन्हें सम्मानित भी किया। उनसे कई टिप्स भी लिए। उनकी ग्राम प्रधान पत्नी रमा मलड़ा अपने वृक्ष प्रेमी पति को पूरा सहयोग कर रही हैं।

Path Alias

/articles/mandalasaeraa-kae-varkasa-paraemai-maladaa-samaaja-kae-laie-banae-maodala

Post By: Hindi
×