भास्कर न्यूज/ महिपाल मील/March 09,09/
मंडावा. मंडावा की सूखी होली में जयपुर, दिल्ली व बंबई ही नहीं विदेशों से भी सैलानी यहां आते हैं। यहां की होली में ना फुहड़पन, ना कीचड़, ना पानी और ना ही पक्का रंग, फिर भी रंग ऐसा चढ़े की छुटाए ना छूटे। चेहरे पर लगाया जाता है तो सिर्फ अबीर-गुलाल। पक्के रंग व पानी के प्रयोग पर पब्लिक का प्रतिबंध है। सूखी व शालीन होली की यह परंपरा करीब सौ साल से चली आ रही है। कुछ सालों से यहां होली पर पर्यटकों की संख्या भी बढ़ने लगी है।
Tags - Dry holi in Rajsthan
साभार - भास्कर न्यूज
मंडावा. मंडावा की सूखी होली में जयपुर, दिल्ली व बंबई ही नहीं विदेशों से भी सैलानी यहां आते हैं। यहां की होली में ना फुहड़पन, ना कीचड़, ना पानी और ना ही पक्का रंग, फिर भी रंग ऐसा चढ़े की छुटाए ना छूटे। चेहरे पर लगाया जाता है तो सिर्फ अबीर-गुलाल। पक्के रंग व पानी के प्रयोग पर पब्लिक का प्रतिबंध है। सूखी व शालीन होली की यह परंपरा करीब सौ साल से चली आ रही है। कुछ सालों से यहां होली पर पर्यटकों की संख्या भी बढ़ने लगी है।
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