मंदाकिनी घाटी में आग

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को मंदाकिनी नदी पर ‘लार्सन एंड टूब्रो’ कंपनी द्वारा बनाई जा रही सिंगोली-भटवाड़ी जल विद्युत परियाजना का विरोध कर रहे दो आन्दोलनकारियों, सुशीला भण्डारी एवं जगमोहन झिंक्वाण को पुलिस प्रशासन ने गिरफ्तार कर लिया। ये लोग प्रदर्शन कर वापस लौट रहे थे तभी बिना आरोप बताये प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सेवानिवृत्त सैनिक जगमोहन झिंक्वाण के साथ पुलिस द्वारा मौके पर तथा थाने में भी मारपीट की गई। सुशीला भण्डारी से फोन छीन लिया, उनको अपने परिजनों से बात तक नहीं करने दी गयी। उनकी चप्पलें भी वहीं छूट गयी, वे नंगे पाँव ही जेल में लायी गयीं। उन्हें पहले जखोली तथा फिर पौड़ी जेल तक कम्पनी के ही वाहन से ले जाया गया। जगमोहन को पुरसाड़ी जेल में रखा गया है।

‘लार्सन एंड टूब्रो’ कंपनी शुरू से ही परियोजना से प्रभावित गांवों में बिना अनुमति के जंगल काटने से लेकर गाँवों में फूट डालने तक के सारे अनैतिक व अवैध काम करती आयी है। मंदाकिनी व उसकी सहायक नदियों में 12 जल विद्युत परियाजनायें प्रस्तावित हैं, जिनमें से सिंगोली-भटवाड़ी व फाटा-व्यूँग परियोजना के विरोध में पिछले 5 महीनों से ‘केदार घाटी संघर्ष समिति’ के झंडे के नीचे प्रभावित क्षेत्र के 30 गाँवों की जनता उखीमठ पर धरने पर बैठी है। लालच देकर लाये गये युवाओं के माध्यम से कम्पनी द्वारा की गई तोड़-फोड़ व नेताओं की दलाली के चलते आन्दोलन कई बार टूटा, लेकिन सुशीला भण्डारी के साथ खड़ी सैकड़ों महिलाओं ने संघर्ष की मशाल जलाये रखी।

इस परियोजना की सुरंग बनाने के लिये किये जा रहे विस्फोट से पूरा इलाका दहल रहा है। रायड़ी तथा अरखुण्ड गाँव के प्रत्येक घर में दरारें पड़ चुकी हैं। जल स्रोत अपना स्थान छोड़कर गहराई में पहुँच रहे हैं। इन सुरंगों के अन्दर मूसलाधार बारिश की तरह सैकड़ों लीटर प्रति सेकेण्ड की दर से गिरते पानी को देखकर सहज अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ खेतों की नमी देर-सवेर समाप्त हो जायेगी। रायड़ी गाँव निवासी गजपाल सिंह नेगी के अनुसार ग्रामीणों के सामने पानी का संकट खड़ा हो रहा है। सुरंग एडिट 3 के मुहाने पर अरखुण्ड तथा एडिट 4 के मुहाने पर रायड़ी गाँव पड़ता है। 27 जनवरी को कम्पनी ने एडिट 3 पर पुल बनाने के लिये दीवार खड़ी की, जिसे अरखुण्डवासियों ने तोड़ दिया। कम्पनी ने रातों-रात फिर से दीवार खड़ी कर दी। 30 जनवरी को दोनों गाँवों ने फिर से दीवार को तोड़ डाला।

उनका कहना था कि कम्पनी हमारी खेती, जंगल व पानी बर्बाद कर रही है, हमारे मकान अब रहने के लिये खतरा बन रहे हैं लेकिन हमें पूछने वाला कोई नहीं। हमें तो मुआवजे के दायरे में तक नहीं रखा गया है। जो भी प्रशासनिक अधिकारी आता है उसके बिकने में एक सप्ताह से अधिक समय नहीं लगता है। आन्दोलन के नाम पर लोगों का नेतृत्व करने कोई नेता आता है तो आन्दोलन से अपना भाव ऊँचा कर आन्दोलन को ही बेच डालता है। ग्रामीण ठगे जाते हैं।

‘उत्तराखण्ड नदी बचाओ’ अभियान में सक्रिय उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट, उत्तराखण्ड युवा बिरादरी के संयोजक बसन्त पाण्डे तथा गांधी शांति प्रतिष्ठान के गिरीश तिवारी ने 4 फरवरी रायड़ी में ग्रामीणों से मुलाकात भी की। उन्होंने बताया कि गाँव का पूरा समर्थन सुशीला भण्डारी के साथ है। इस दौरान उन्होंने पौड़ी जिला कारागार में सुशीला भण्डारी से तथा चमोली जेल में जगमोहन झिंक्वाण से भी मुलाकात की। 5 फरवरी को ‘उत्तराखण्ड सर्वोदय मंडल’ के सदस्यों के एक दल ने भी रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय पर जिलाधिकारी कार्यालय के आगे सांकेतिक धरना तथा जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा। इन लोगों ने भी जेल में सुशीला भंडारी तथा जगमोहन से भेंट की।

प्रदेश व देश भर के अनेक संगठनों द्वारा मंदाकिनी के इन आन्दोलनकारियों की गिरफ्तारी के विरोध में धरना व ज्ञापन पर ज्ञापन दिये जा रहे हैं, जिनमें माँग की जा रही है कि इन लोगों की बिना शर्त ससम्मान रिहाई की जाये और सिंगोली भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना का सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन वाडिया भूगर्भ विज्ञान संस्थान एवं आई. आई. टी. रुड़की से करवाई जाये। अध्ययन पूरा होने तक परियोजना का काम पूर्ण रूप से बंद रखा जाये। सुशीला व जगमोहन की अदालत में पेशी के दिन बिना शर्त रिहाई को लेकर 11 फरवरी को रुद्रप्रयाग कलेक्ट्रेट में लगभग एक हजार लोगों ने प्रदर्शन किया। गंगाधर नौटियाल व गजपाल सिंह नेगी के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में उत्तराखंड के अन्य स्थानों से तथा देश भर से आये लोगों ने भी भाग लिया।
 

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