मां रेवा, जिसे हम नर्मदा नदी के रूप में जानते हैं वह मध्य-भारत की जीवनरेखा है। नर्मदा का निर्मल पानी एवं उसके कल-कल करते बहते पानी को लेकर एक बहुत ही बेहतरीन गीत है, जिसे नर्मदा घाटी के किनारे की संस्कृति में रचे-बसे लोग तो गाते ही हैं, पर वह नदियों पर लिखे गए गीतों में बहुत ज्यादा गाया जाने वाला गीत है-
मां रेवा थारो पानी निर्मल
कल-कल बेहतो जाए रे,
अमरकंठ से निकली ओ रेवा
जन-जन करी रे थारी सेवा,
सेवा से सब पावे मेवा
ऐसो वेद-पुराण बतावे रे,
मां रेवा थारो पानी निर्मल
कल-कल बेहतो जाए रे।
नर्मदा पर यह गीत किसने एवं कब लिखा, यह ज्ञात नहीं, पर इतना पता है कि इस गीत में नदी को जिस तरह से सम्मान दिया गया है, वह हमें अहसास कराने के लिए काफी है कि हमारे जीवन में पानी का कितना ज्यादा महत्व है? पर आज हम पानी का महत्व भूलते जा रहे हैं।
यदि हम इस बात पर विचार करें कि अगर दुनिया में पानी नहीं हो, तो क्या होगा? क्या तब भी हमारा जीवन संभव होगा? क्या पानी के बिना हमारी दुनिया अस्तित्व में रहेगी? सामान्य तौर पर हम ऐसे सवालों का सामना ही नहीं करते। यदि हम ऐसे सवालों को अनसुनी करेंगे, तो इन सवालों का जवाब कठिन से कठिन होता चला जाएगा। तब शायद हम इनके जवाब देने की स्थिति में नहीं रह जाए, क्योंकि जिस तरीके से हम पानी को बर्बाद कर रहे हैं, उससे लगता है कि वह दिन दूर नहीं, जब सच में हमारे लिए पानी नहीं होगा। पानी के दुरुपयोग और उसे नहीं सहेजने के कारण स्थिति आज यह हो गई है कि नदियां सूख रही हैं, झीलें एवं तालाब सूख रहे हैं या फिर खत्म हो गए हैं।
कुएं, कुंड, बावड़ियां अब पुरातत्व में तब्दील हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में वह दिन दूर नहीं, जब पूरी दुनिया बंजर हो जाएगी। विश्वबैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अगले दो दशक के बाद पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मचने वाली है। आज हम पानी के महत्व को भूल रहे हैं। पानी, जो हमारे लिए जीवन है। पानी, जिसके बिना भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती। उस पानी को हम सहेजने के बजाय नष्ट कर रहे हैं। पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर रहे हैं। पानी में कचरा डालना हो या पानी के प्रवाह को रोकना हो या फिर पानी के दुरुपयोग का मामला हो। सभी ने पानी को बड़े पैमाने पर बर्बाद किया है और नतीजा! नतीजा हमारे सामने हैं - जल संकट। आज हम जल संकट से जूझती दुनिया में जी रहे हैं।
पानी का इंतजाम हमारे लिए एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आई है और ऐसा कहा जाने लगा है कि अगला विश्व युद्ध जल के लिए होगा। आए दिन हमें ऐसी घटनाओं के बारे में सूचना मिलती रहती है कि पानी के लिए लड़ाइयाँ हो रही हैं, पानी के लिए हिंसक झड़पें हो रही हैं और पानी के लिए हत्याएं भी हो रही हैं। यह दुखद है कि इससे मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं है, जहां नर्मदा के कल-कल बहते हुए पानी की महिमा गीतों में गाई जाती है। निश्चय ही इस बात पर गौर करने की जरूरत है और पानी प्रकृति का एक अनमोल उपहार है, जिसे हमें बहुत ही सोच-समझकर खर्च करना होगा, इसके बेहतर प्रबंधन से इस काम को आसान बनाया जा सकता है और तभी हम ‘मां रेवा’ गीत की सार्थकता सिद्ध कर पाएंगे।
मां रेवा थारो पानी निर्मल
कल-कल बेहतो जाए रे,
अमरकंठ से निकली ओ रेवा
जन-जन करी रे थारी सेवा,
सेवा से सब पावे मेवा
ऐसो वेद-पुराण बतावे रे,
मां रेवा थारो पानी निर्मल
कल-कल बेहतो जाए रे।
नर्मदा पर यह गीत किसने एवं कब लिखा, यह ज्ञात नहीं, पर इतना पता है कि इस गीत में नदी को जिस तरह से सम्मान दिया गया है, वह हमें अहसास कराने के लिए काफी है कि हमारे जीवन में पानी का कितना ज्यादा महत्व है? पर आज हम पानी का महत्व भूलते जा रहे हैं।
यदि हम इस बात पर विचार करें कि अगर दुनिया में पानी नहीं हो, तो क्या होगा? क्या तब भी हमारा जीवन संभव होगा? क्या पानी के बिना हमारी दुनिया अस्तित्व में रहेगी? सामान्य तौर पर हम ऐसे सवालों का सामना ही नहीं करते। यदि हम ऐसे सवालों को अनसुनी करेंगे, तो इन सवालों का जवाब कठिन से कठिन होता चला जाएगा। तब शायद हम इनके जवाब देने की स्थिति में नहीं रह जाए, क्योंकि जिस तरीके से हम पानी को बर्बाद कर रहे हैं, उससे लगता है कि वह दिन दूर नहीं, जब सच में हमारे लिए पानी नहीं होगा। पानी के दुरुपयोग और उसे नहीं सहेजने के कारण स्थिति आज यह हो गई है कि नदियां सूख रही हैं, झीलें एवं तालाब सूख रहे हैं या फिर खत्म हो गए हैं।
कुएं, कुंड, बावड़ियां अब पुरातत्व में तब्दील हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में वह दिन दूर नहीं, जब पूरी दुनिया बंजर हो जाएगी। विश्वबैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अगले दो दशक के बाद पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मचने वाली है। आज हम पानी के महत्व को भूल रहे हैं। पानी, जो हमारे लिए जीवन है। पानी, जिसके बिना भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती। उस पानी को हम सहेजने के बजाय नष्ट कर रहे हैं। पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर रहे हैं। पानी में कचरा डालना हो या पानी के प्रवाह को रोकना हो या फिर पानी के दुरुपयोग का मामला हो। सभी ने पानी को बड़े पैमाने पर बर्बाद किया है और नतीजा! नतीजा हमारे सामने हैं - जल संकट। आज हम जल संकट से जूझती दुनिया में जी रहे हैं।
पानी का इंतजाम हमारे लिए एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आई है और ऐसा कहा जाने लगा है कि अगला विश्व युद्ध जल के लिए होगा। आए दिन हमें ऐसी घटनाओं के बारे में सूचना मिलती रहती है कि पानी के लिए लड़ाइयाँ हो रही हैं, पानी के लिए हिंसक झड़पें हो रही हैं और पानी के लिए हत्याएं भी हो रही हैं। यह दुखद है कि इससे मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं है, जहां नर्मदा के कल-कल बहते हुए पानी की महिमा गीतों में गाई जाती है। निश्चय ही इस बात पर गौर करने की जरूरत है और पानी प्रकृति का एक अनमोल उपहार है, जिसे हमें बहुत ही सोच-समझकर खर्च करना होगा, इसके बेहतर प्रबंधन से इस काम को आसान बनाया जा सकता है और तभी हम ‘मां रेवा’ गीत की सार्थकता सिद्ध कर पाएंगे।
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