माँ नर्मदा स्वच्छता शिक्षण एवं स्वास्थ्य सेवा समिति

नर्मदा स्वच्छता अभियान
नर्मदा स्वच्छता अभियान

औँकारेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिरलिंगों में से चौथे ज्योतिर्लिंग का रूप माना जाता है। तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ यह बांध और टापू के रूप में पर्यटन का मुख्य स्थान है। इसलिए यहाँ साल भर ही भीड़ रहती है और त्योहारों जैसे अमावस्या आदि पर्वों के समय यहां भीड़ और अधिक बढ़ जाती है। दर्शन करने आए भक्तों की लापरवाही के कारण इस पवित्र स्थल पर प्रदूषण भी
बढ़ जाता है। यहाँ के 3-4 स्थानीय युवक, जो स्नान के लिये नियमित रूप से घाट पर जाते थे, ने यह देखा कि कैसे घाट पर कचरा बढ़ने से नदी भी प्रदूषित हो रही थी। लोगों द्वारा फैलाए नारियल के छिलके, पॉलिथीन, अगरबत्तियां, फूल व शेम्पू-साबुन इत्यादि से नदी का जल दिन-प्रतिदिन दूषित होता जा रहा था। पूजनीय नदी को मैला होते देख इन युवकों का मन विचलित हुआ और इन्होंने इस समस्या का समाधान ढ़ूढना शुरु कर दिया। 

उन्होनें नर्मदा को पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प लिया और प्रति सप्ताह गुरूवार को घाटों पर नर्मदा स्वच्छता अभियान' आयोजित करना आरंभ किया। अभियान के दौरान इन्होंने सबसे पहले लोगों को कचरा और साबुन-शेम्पू इत्यादि से नदी के जल पर होने वाले दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराया।

जैसे-जैसे इस पहल के बारे में लोगों को पता लगा। वे इससे जुड़ने लगे। और इस प्रकार एक संगठन का निर्माण हुआ। इसका नाम मातृ रक्षा संगठन रखा गया।  इसका नाम 8 जुलाई 2016 को पंजीकरण कराने के बाद "माँ नर्मदा स्वच्छता शिक्षण एवं स्वास्थ्य सेवा समिति" रखा गया।

वर्तमान समय में इसमें 65 स्वयंसेवक हैं व सभी की औसत आयु 22 से 25 वर्ष है। संगठन का मुख्य उद्देश्य माँ नर्मदा को पूर्ण रूप से स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाना है। जनहित के लिए संगठन के उद्देश्यों में और भी कई सामाजिक कार्य सम्मिलित किये गए है। संगठन पूर्ण रूप से एक स्वयंसेवी समिति है, जिसमें वित्तीय खर्चा स्वयं सहयोग के आधार पर ही होता है। माँ नर्मदा स्वच्छता शिक्षण एवं स्वास्थ्य सेवा समिति द्वारा हर सप्ताह चलाए जाने वाला नर्मदा के घाटों की सफाई का अभियान वर्ष 2013 से अभी तक निरंतर जारी है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य नर्मदा को पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त बनाना एवं जनमानस को जागरूक करना है। समिति द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए और भी कई अनूठी पहल शुरु की गई हैं। उदाहरण के तौर पर क्षेत्र में ग्रीन कवर को बेहतर करने के उद्देश्य से सभी स्वयंसेवकों के जन्मदिवस पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। क्षेत्र के एक पुराने स्थान को संरक्षण में लेकर वहाँ पर उद्यान स्थापित किया जा चुका है जिसकी देखरेख भी समिति से जुड़े हुए लोग ही करते हैं। इसके अलावा जो लोग एनजीओ से नहीं भी जुड़े हैं उन्हें भी अपने वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया जाता है। देश के भविष्य " बच्चों" को भी मानवता और प्रकृति से जुड़ने की सीख दी जाती है और माँ नर्मदा को साफ रखने और पानी का दुरूपयोगन करने का वचन उनसे लिया जाता है।

अभी तक संगठन द्वारा अनेक गाँवों में जल के महत्व एवं जागरूकता के लिए कई कार्यशालाएँ लगाई जा चुकी हैं जिनके माध्यम से हजारों लोगों को जागरूक किया जा चुका है। संगठन द्वारा भविष्य की योजनाएँ सम्पूर्ण नर्मदा जल के साथ नर्मदा क्षेत्र के घाटों की स्वच्छता पर कार्य करना एवं देखरेख करना है क्योंकि प्रतिदिन नर्मदा घाटों पर हजारों श्रध्दालुओं का अगमन लगा रहता है। समिति का मानना है कि यदि कुँआ, बावड़ी, तालाब या नदी के जल का यदि संरक्षण नहीं होता है और ये लगातार दूषित होते जाते हैं तो इससे मानव समाज पर बुरा असर पड़ेगा और समाज में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होगें। इसी के विपरीत स्वच्छ जल से मानव समाज स्वस्थ रहेगा। यह मनुष्यों का कर्तव्य होना चाहिए कि वे कहीं भी जाएं तो जल को या स्थानों को इस प्रकार दूषित ना करें।

संपर्क - 

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