मैं गंगा हूँ माँ भी हूँ मैं
कहते जग की कल्याणी मैं
शिव के ललाट में धारी हूँ
उनके करवट लेने से ही
मैं प्रलयंकर बन जाती हूँ
जो गरल पी गए थे हंस कर...
उन सर्जक की अभिलाषा हूँ
मैं सदियों से बन मोक्ष दात्री
अमृत घट, प्रलय ले साथ-साथ
हिमवान पिता का प्रणव घोष
सृष्टि की अनुपम आशा हूँ
मैंने जीवन मिटते देखे
फिर भी मैं जीवित रहती हूँ
अपनी उद्दाम तरंगों में
मैंने दुनिया लुटती देखी
फिर भी मैं बहती रहती हूँ
इतिहास बदलते मैंने देखे
मैं हूँ निर्मल जल की धारा
विध्वंस भवानी बन मैं भी
तट-बंध,किनारे तोड़ दौड़
भूगोल बदल देती जब तब
निस्पृह सब भावों से हो कर
मैं सदा जागती रहती हूँ
पावन माटी की गंध लिए
मैं ऊर्जा बन चलती रहती
उन्मुक्त सर्वदा बंधन से
माँ हूँ न मैं पूज्या हूँ मैं
मैं गंगा हूँ गंगा हूँ मैं !!
कहते जग की कल्याणी मैं
शिव के ललाट में धारी हूँ
उनके करवट लेने से ही
मैं प्रलयंकर बन जाती हूँ
जो गरल पी गए थे हंस कर...
उन सर्जक की अभिलाषा हूँ
मैं सदियों से बन मोक्ष दात्री
अमृत घट, प्रलय ले साथ-साथ
हिमवान पिता का प्रणव घोष
सृष्टि की अनुपम आशा हूँ
मैंने जीवन मिटते देखे
फिर भी मैं जीवित रहती हूँ
अपनी उद्दाम तरंगों में
मैंने दुनिया लुटती देखी
फिर भी मैं बहती रहती हूँ
इतिहास बदलते मैंने देखे
मैं हूँ निर्मल जल की धारा
विध्वंस भवानी बन मैं भी
तट-बंध,किनारे तोड़ दौड़
भूगोल बदल देती जब तब
निस्पृह सब भावों से हो कर
मैं सदा जागती रहती हूँ
पावन माटी की गंध लिए
मैं ऊर्जा बन चलती रहती
उन्मुक्त सर्वदा बंधन से
माँ हूँ न मैं पूज्या हूँ मैं
मैं गंगा हूँ गंगा हूँ मैं !!
Path Alias
/articles/maain-gangaa-hauun-maan-bhai-hauun-maain
Post By: Hindi