लाखों खर्च, जीरो हरियाली

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धार। सन 2014 में मनरेगा के अन्तर्गत मुंगेला पंचायत के गुंदीखेड़ा में 53 लाख 57 हजार की लागत से रोपे गए 13 हजार पौधों में से आधे पौधे भी जीवित नहीं बच पाये। जो पौधे बचे हैं, वे भी देखरेख के अभाव में दम तोड़ते नजर आ रहे हैं।

ये पौधे 8 से 9 हजार हेक्टेयर शासकीय भूमि में हरियाली महोत्सव अन्तर्गत समारोहपूर्वक एक साथ रोपे गए थे। इसके लिये चार भागों में एक ही कार्यादेश के जरिए 27 जून 2014 को यह राशि जारी की गई थी। इसके सूचना पटल मौके पर लगे हुए हैं। दो साल में पौधों को पेड़ बन जाना चाहिए था या फिर वन की शक्ल ले लेना चाहिए थी। क्योंकि इनमें ज्यादातर पौधे जल्दी बढ़ने वाली प्रजाति के थे, लेकिन पानी, खाद एवं समुचित रख-रखाव के अभाव में ये जल्दी पनप नहीं पाये। हजारों पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए।

 

पंचायत को आय भी नहीं हो रही अर्जित


मौके पर मात्र दो-तीन हजार पौधे ही दिखाई दे रहे हैं। जबकि योजना का उद्देश्य फलदार पौधों की बहार से पंचायत को आय अर्जित कराना था। इसीलिये ज्यादातर फलदार पौधे रोपे गए थे। योजना के तहत लागत राशि में दो कुएँ खुदवाए जाने एवं पाइप लाइन बिछाने का प्रावधान भी था, लेकिन कुआँ अधूरा पड़ा है और पाइप लाइन बिछाई ही नहीं गई। पाइप ऐसे ही पड़े हुए हैं, जो अपनी कहानी स्वयं बयाँ कर रहे हैं।

 

 

 

पहले तालाब, अब टंकी से दे रहे पानी


ग्राम पंचायत के सचिव मोहनलाल वसुनिया ने बताया कि पौधों को पहले तालाबों से पानी पिलाया गया। उनमें पानी सूखने से पाँच-पाँच हजार लीटर की पाँच बड़ी टंकियाँ रखकर पौधों को पानी दिया जा रहा है। मौके पर 8-9 हजार पौधे मौजूद है। गत वर्ष 10 प्रतिशत पौधे नष्ट हो गए थे। इस पर इतने ही नए पौधे लगाए गए थे। इस बार भी नए पौधे लगाए जाएँगे। पौधों की सुरक्षा के लिये तीन चौकीदार तैनात हैं।

 

 

 

पशु घुस आते हैं


पौधारोपण के आसपास वायर फेंसिंग नहीं होने के कारण पशु अन्दर घुस आते हैं, जो पौधे चर जाते हैं। इससे भी बहुत सारे पौधे नष्ट हुए हैं। जब तक पौधों की सुरक्षा नहीं की जाती, इसी तरह पौधे नष्ट होते रहेंगे। यदि मौके पर चौकीदार तैनात रहते हैं, तो पशु कैसे अन्दर घुस सकते हैं। पौधारोपण के पहले न तो उबड़-खाबड़ भूमि को समतल किया गया और न ही क्यारियाँ बनाई गई। इस कारण भी पौधे नहीं पनप पा रहे हैं। मौके की स्थिति देख यह नहीं लगता है कि इस पर 53 लाख रुपए खर्च किये गए होंगे।

 

 

 

 

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Post By: RuralWater
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