भाव:
परियोजना के आरंभ में ग्रामीणों ने अपना ध्यान गांव में स्वच्छता कार्यों में लगाया किंतु बाद में उनकी यह प्रक्रिया धीमी पड़ गई और इसे गति देने के लिए एक अलग रणनीति को बनाने की योजना की जरूरत पड़ी। ग्राम पंचायत और जलसांवरिया समिति ने संयुक्त रूप से विभिन्न गतिविधियों की एक योजना बनाई जिनके परिणामस्वरूप गांव में शोचालय की संख्या बढ़ गई।
प्रभाव:
इस गतिविधि को दूसरे गांवों में अपनाया गया जैसे (रिठारे, हरनाक्ष, खरसूंदी, लिंगनूर, जडर बोबलद) तथा परियोजना के गांवों में इसे लागू किया गया जैसे कासगांव, मडगयाल, अरवाड़ी आदि।
पूर्व शर्तें :
कार्यान्वयन चरण के दौरान जलापूर्ति योजना के साथ-साथ शौचालय निर्माण के कार्य को आरंभ करना भी अनिवार्य था। ग्रामीणों में शौचालय निर्माण के प्रति जागरूकता लाने के लिए कुछ विशेष प्रयासों की जरूरत थी।
परिवर्तन की प्रक्रिया:
खुले में शोच से मुक्त ग्राम्य जागरूकता अभियान की शुरूआत खेरोड़ी वांगी गांव की ग्राम जलापूर्ति एवं स्वच्छता समिति (वीडबल्यूएससी) द्वारा 9 अगस्त 2005 को ग्राम पंचायत के सहयोग से की। समाज के सभी स्तरों पर स्वच्छ ग्राम जागरूकता वाला यह अभियान आज तक चलाया जा रहा है। बीएलएससी, एसएचजी, सीबीओ तथा गांव की विभिन्न वादी-बस्तियों में रहने वाले वीपी के सदस्यों के प्रतिनिधियों को इस अभियान के संचालन हेतु सुविधापरक व्यक्ति के पदों पर तैनात किया गया है। वीडबल्यूएससी की मदद करने के अतिरिक्त ये सुविधापरक व्यक्ति खुले में शोच से मुक्त ग्राम्य जागरूकता अभियान के अंतर्गत चलाई जा रही गतिविधियों की प्रगति की भौतिक निगरानी एवं मूल्यांकन के प्रति उत्तरदायी भी हें। इस अभियान की शुरूआत निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए की गई थी:
ग्राम स्तर पर खुले में शौच से मुक्त ग्राम्य जागरूकता पैदा करना।
शौचालयों के निर्माण की उपलब्धि (व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक) की वर्तमान स्थिति से संबंधित सूचनाओं का संग्रहण, एकत्रीकरण एवं सम्प्रेषण हेतु सुविधाओं का विकास, पेयजल आपूर्ति तथा पर्यावरणीय स्वच्छता।
100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त ग्राम के सामान्य उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सीबीओ, एसएचजी तथा महिला मंडलों का नेटवर्क विकसित करना।
न्यूजलेटर और अन्य स्रोत सामग्री के माध्यम से जलसांवरिया अविचारणीय सिद्धांतों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करना।
ग्रामीण विकास के लिए सुसंगत खुले में शौच संबंधी मुद्दों पर सूक्ष्म योजनाओं के अभ्यास का आयोजन करना।
पेयजल के सुरक्षित रख-रखाव के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना।
व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण करने के लिए जनता को प्रोत्साहित करना।
खेराड़ी वांगी की वीडबल्यूएससी ने ''क्रांति दिन'' के अवसर पर इस अभियान को आरंभ किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ''स्वच्छ ग्राम'' था। इन गतिविधियों को समुदाय को प्रोत्साहित करने, जागरूकता लाने तथा समाज के विभिन्न वर्गो में कार्य करने के लिए व्यवस्थित किया गया था।
हगनदारी हाथव रैली:
जलस्वराज्य परियोजना के द्वितीय चरण के कार्यान्वयन पर विचार करते हुए खेराड़ी वांगी की वीबल्यूएससी ने आरंभ में जेड.पी. स्कूल के छात्रों (स्वेच्छादूत) के साथ ग्राम स्तर पर खुले में शौच मुक्त ग्राम जागरूकता पैदा करने के लिए इस रैली का आयोजन किया।
ग्रामसभा
खेराड़ी वांगी के ग्रामीणों ने अपने गांव को 100 प्रतिशत खुले में शौच से मुक्त ग्राम बनाने का निर्णय लिया और ग्राम सभा ने व्यक्तिगत घरों के संबंध में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किया कि जिनके घरों में कोई शौचालय नहीं हैं अथवा प्रयोग में नहीं लाए जाने वाले शौचालय हैं और जो इस अभियान में सहयोग नहीं दे रहे हैं, ग्राम सेवक अपनी सूची में से ऐसे परिवारों का नाम काट देंगे। ग्रामसेवक तथा तलाथी 7/12 के अंश एवं अन्य कोई दस्तावेज ऐसे परिवारों को जारी नहीं करेंगे । ऐसे परिवारों को राशन और केरोसिन भी नहीं दिया जाएगा।
जिन परिवारों को शौचालय निर्माण अनुदान योजना का लाभ मिल रहा है किंतु इस समय शौचालयों का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उन्हें तत्काल उपयोग में ले लेना चाहिए, अन्यथा ऐसे परिवारों से भेजी गई राशि पर 18 प्रतिशत ब्याज लिया जा सकता है।
नोटिस जारी करना:
वीडबल्यूएससी ने सभी ग्रामीणों को नोटिस जारी कर दिए है जिनके पास व्यक्तिगत शौचालय नहीं हैं। इसके अतिरिक्त वीडबल्यूएससी ने उन लोगों को भी नोटिस जारी कर दिया है जिनके घरों में बने शौचालय उपयोग में नहीं लाए जा रहे हैं और इसमें बीज के लिए दी गई राशि में 18 प्रतिशत ब्याज वसूली का भी उल्लेख कर दिया गया है।
नुक्कड़ सभाएं:
भौगोलिक रूप से बिखरी हुई जनसंख्या को देखते हुए खेराड़ी गांव की वीडबल्यूएससी ने वादी और वस्ती में 5 नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया है। इसमें उपस्थित प्रतिभागियों के साथ निम्नलिखित महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गईं। पर्यावरणीय स्वच्छता की जरूरत तथा स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के साथ इसका प्रत्यक्ष संबंध, सरकारी योजनाएं जैसे संत गड़गे बाबा अभियान, निर्मल ग्राम पुरस्कार, अमाचे गावत अम्ही सरकार आदि। इसके अतिरिक्त शौचालय निर्माण से संबंधित कठिनाईयों और शिकायतों पर भी चर्चा की गई।
वित्तीय समस्या सबसे बड़ी समस्या देखी गई। ग्राम स्तर पर वित्तीय संकट पर विचार करते हुए सुविधापरक व्यक्तियों ने ऋण प्रदान करने वाने विभिन्न स्रोतों के बारे में सूचनाएं दी जेसे स्थानीय बैंक, एसडीसीबी तथा अन्य सहकारी बैंक।
प्रदर्शन:
वीडबयूएससी ने गांव में विभिन्न स्थानों वाले ऐसे परिवारों की पहचान की है जो तत्काल शौचालय बनवाना चाहते हैं। इस प्रकार के शौचालय निर्माण को प्रदर्शन के तौर पर उसी समय आरंभ करवा दिया गया।
सूक्ष्म नियोजन:
दिन के अंत में वार्ड और वस्ती में 100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त ग्राम अभियान का कार्य ग्रामीणों के साथ परामर्श करते हुए किया गया। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप सभी ग्रामीण खुले में शौच मुक्त ग्राम की अवधारणा को समझ गए। सेप्टिक टेंक शौचालयों की बजाए वे कम लागत वाले जल सोखने वाले गड्ढानुमा शौचालय बनाने में गतिशील हो गए। शेरे-ताती नाम गांव की एक वस्ती ने प्रत्येक घर के लिए शौचालय निर्माण का अपना लक्ष्य पूरा कर लिया1 इस समस्त अभ्यास से यह ज्ञात हुआ कि यदि ग्रामीणों को समुचित तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाए तब स्थानीय स्वच्छता से संबंधित समस्याओं को सुलझाने में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है।
जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग, महाराष्ट्र सरकार
/articles/khaulae-maen-saauca-karanae-sae-maukata-garaama-abhaiyaana